शहर के प्रतिष्ठित पीएम श्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में इस साल भी सीटें खाली रह गईं। 1 मई से शुरू हुई प्रवेश प्रक्रिया के चौथे और अंतिम राउंड के बाद भी स्नातक (यूजी) में 421 और स्नातकोत्तर (पीजी) में 367 सीटें खाली हैं। कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, कई छात्रों ने प्रवेश की अंतिम तिथि तक फीस जमा नहीं की, जिसके कारण सीटें खाली रह गईं। अब प्रवेश प्रक्रिया समाप्त हो गई है और भविष्य में शासन से निर्देश मिलने पर ही प्रवेश की नई जानकारी दी जाएगी।
‘कॉलेज चलो’ अभियान की लापरवाही?
सरकार द्वारा लाखों-करोड़ों के बजट से संचालित सरकारी कॉलेजों की सीटें भरने में असफलता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ‘कॉलेज चलो’ अभियान का जमीन पर सही क्रियान्वयन न होने के कारण प्रचार-प्रसार में खर्च तो किया गया, लेकिन इसका लाभ विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच पाया। धार के इस प्रतिष्ठित कॉलेज में स्थायी प्राचार्य का न होना भी समस्या का एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। कॉलेज प्रशासन का मानना है कि यदि स्थायी प्राचार्य नियुक्त किया जाए, तो कॉलेज की कार्यप्रणाली और शिक्षा के स्तर में सुधार हो सकता है।
एमए संस्कृत और एमएसडब्ल्यू में प्रवेश कम
इस बार पीजी स्तर पर एमए संस्कृत और एमएसडब्ल्यू (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) में प्रवेश काफी कम हुए हैं। एमए संस्कृत को इस साल नए विषय के रूप में जोड़ा गया, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण विद्यार्थियों में इसके प्रति रुचि नहीं दिखाई दी। वहीं, एमएसडब्ल्यू में हर साल ज्यादा विद्यार्थी प्रवेश लेते थे, लेकिन इस बार इसमें भी रुझान कम रहा है।
छात्र गांवों में शासकीय कॉलेजों को दे रहे प्राथमिकता
धार जिले में पिछले कुछ वर्षों में कई नए शासकीय कॉलेज खोले गए हैं। कुक्षी, मनावर, बदनावर, सरदारपुर और गंधवानी जैसे स्थानों पर कॉलेजों के खुलने से विद्यार्थी अब धार आने की बजाय अपने आसपास के कॉलेजों में दाखिला ले रहे हैं। इससे धार के लीड कॉलेज में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है।
बीए में बढ़ी रुचि
बीकॉम और बीएससी की तुलना में अब विद्यार्थी बीए में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बीए का चयन करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीए की 1,460 सीटों में से अधिकांश भरी जा चुकी हैं, जबकि बीकॉम और बीएससी में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या घट रही है।
नए पाठ्यक्रमों में कम प्रवेश
पीएम श्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में इस साल कुछ नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं, जैसे मनोविज्ञान और संस्कृत, लेकिन इनमें अपेक्षित प्रवेश नहीं हो पाया। संस्कृत की 60 सीटों में से केवल 29 सीटें ही भरी जा सकीं। इसी तरह बीकॉम रिटेल और बीएससी इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विषयों में भी प्रवेश की स्थिति बेहद खराब रही।
कुल 4,380 सीटों में से 788 सीटें खाली
ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के दौरान कुल 4,380 सीटों में से 3,592 सीटों पर ही प्रवेश हो सका, जबकि 788 सीटें खाली रह गईं। सबसे ज्यादा प्रवेश बीए, बीकॉम और बीएससी बायो विषयों में हुए, जबकि अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश काफी कम रहा।