जमीन जायदाद के मामलों में सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने और जनता को धोखाधड़ी से बचाने के लिए 10 अक्टूबर को संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लागू किया। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य दस्तावेज़ पंजीयन को सरल और डिजिटलाइज़ेशन करना भी था। अब तक इस नई व्यवस्था को लागू हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन इसे लेकर कई परेशानियां आ रहीं हैं। इसे लेकर आम लोग और सर्विस प्रोवाइडर सभी परेशान हैं। धार जिले में भी यह व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकी है। पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेज़ तो पंजीकृत हो रहे हैं, लेकिन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त वाली रजिस्ट्री के काम रुक रहे हैं और यही काम आम तौर पर सबसे ज्यादा होते हैं।
ओटीपी प्रक्रिया बनी परेशानी का कारण
संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर के तहत रजिस्ट्री के लिए ओटीपी प्रणाली लागू की गई है। सर्विस प्रोवाइडर का कहना है कि चार-चार बार ओटीपी लेना पड़ता है, लेकिन फिर भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती। इससे काम में देरी हो रही है और लोगों को रुपए फंसने का डर सता रहा है। पुराने सॉफ्टवेयर का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन उसमें भी सर्वर की समस्या से काम ठप हो जाता है।
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संपदा 2.0 से अब तक 70 दस्तावेज़ पंजीकृत और समय ज्यादा खर्च
जिले में संपदा 2.0 पर अब तक 70 से अधिक दस्तावेज़ों का पंजीयन हो चुका है। हालांकि, उप पंजीयन कार्यालय में नई प्रणाली के साथ काम करने में अधिकारी और कर्मचारी जूझ रहे हैं। उन्हें संपदा 1.0 पर भी वापस लौटना पड़ रहा है, जिससे समय की बर्बादी हो रही है। इसके अलावा संपदा 2.0 के बाद दस्तावेज़ पंजीयन की प्रक्रिया में 10 मिनट का काम अब 20-30 मिनट में हो रहा है। सर्विस प्रोवाइडरों और ग्राहकों दोनों को बार-बार ओटीपी लेने और सर्वर डाउन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इससे न केवल क्रेता-विक्रेता परेशान हैं, बल्कि बैंक अधिकारियों और सर्विस प्रोवाइडरों के लिए भी यह नई व्यवस्था गफलत भरी साबित हो रही है।
संपदा 2.0 में रजिस्ट्री के लिए आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर ही ओटीपी आता है। यदि किसी पक्ष का मोबाइल नंबर लिंक नहीं है, तो प्रक्रिया बीच में ही अटक जाती है। ग्रामीण और सामान्य वर्ग के लोग इस प्रक्रिया को समझ नहीं पा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ओटीपी की संख्या एक या दो बार तक सीमित होनी चाहिए। सरकार ने संपदा 2.0 के तहत रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए बैंक, हाउसिंग बोर्ड और विकास प्राधिकरणों को शामिल करने का विकल्प दिया है। हालांकि, यह निर्णय संस्थानों के मुख्यालय स्तर से होगा। नई प्रक्रिया में क्रेता और विक्रेताओं को गवाह लाने या दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं है। केवल आधार कार्ड, समग्र आईडी और खसरा नंबर जैसी जानकारी से ऑनलाइन वेरिफिकेशन किया जा रहा है।