राजेंद्र सूरी बैंक घोटालाः नियमों को ताक पर रखकर बांटे गए लोन, वसूली में भी धांधली


फिलहाल रसूखदार बकायेदारों के संपत्ति नीलामी की कार्रवाई कर प्रशासन द्वारा जमाकर्ताओं को संस्था में जमा राशि लौटाने की कवायद जारी है।


आशीष यादव
धार Published On :
rajendra suri bank scam

धार/सरदारपुर। सरदारपुर तहसील के बहुचर्चित राजेंद्र सूरी बैंक घोटाले में जहां संचालक मंडल एवं संस्था कर्मचारियों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर रसूखदार लोगों को लोन बांटा गया वहीं जमाकर्ताओं की गाढ़े पसीने की कमाई फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ गई।

जमाकर्ताओं द्वारा राजेंद्र सूरी बैंक पर विश्वास कर बैंक में पैसा जमा कराया गया था जो जरूरत पड़ने पर भी जमाकर्ताओं को वापस नहीं मिला। परिणामस्वरूप ना केवल संचालक मंडल पर एफआईआर दर्ज की गई अपितु संचालक मंडल के रसूखदारो व बैंक कर्मचारियों को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है।

संचालक मंडल के भंग होने पर संस्था की कमान एसडीएम के हाथों में सौंपी गई है। फिलहाल रसूखदार बकायेदारों के संपत्ति नीलामी की कार्रवाई कर प्रशासन द्वारा जमाकर्ताओं को संस्था में जमा राशि लौटाने की कवायद जारी है।

बोलीकर्ताओं ने दर्ज कराई आपत्ति –

राजेंद्र सूरी संस्था के रसूखदार डिफॉल्टर बकायदार प्रीतम जायसवाल द्वारा वर्ष 2010 में तीन किस्तों में 7 करोड़ 50 लाख का लोन कृषि भूमि बंधक रखकर लिया गया था।

उक्त लोन नहीं चुकाने की दशा में बकायदार प्रीतम जायसवाल से कुल बकाया राशि 10 करोड़ 57 लाख 3 हजार 419 रुपये की वसूली के लिए तहसीलदार दिनेश सोनारतिया द्वारा प्रीतम जायसवाल की कृषि भूमि कुर्की की कार्रवाई की जा रही है।

शुक्रवार को उक्त भूमि की नीलामी बोली में शामिल बोलीदार महेश शरबतीलाल, नितेश जाट, संतोष सेंचा, मनीष जैन व दिलीप गर्ग आदि के द्वारा तहसीलदार को दो आवेदन प्रस्तुत कर आपत्ति दर्ज कराई गई।

पहले आवेदन में आपत्तिकर्ताओं द्वारा बताया गया कि बकायदार प्रीतम जायसवाल द्वारा संस्था से लोन लेते वक्त पटवारी हल्का नंबर 31 कजरौटा में स्थित भूमि सर्वे नंबर 556 /1 561/2 562/1 कुल रकबा 2.0260 हेक्टेयर भूमि राजेंद्र सूरी संस्था के पास बंधक रखी गई थी।

लेकिन, बकायेदार द्वारा लोन नहीं चुकाने की दशा में बैंक द्वारा तहसीलदार को प्रस्तुत वसूली प्रकरण में उक्त सर्वे नंबरों की भूमि का उल्लेख नहीं किया गया।

उक्त लापरवाही गंभीर प्रकृति की है जबकि न्यायालय उप रजिस्ट्रार सहकारी सोसायटी जिला धार में उक्त बकायादार प्रीतम जायसवाल की राशि वसूली प्रकरण 64/2020/0022 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि प्रीतम जायसवाल द्वारा ग्राम कजरौटा तहसील सरदारपुर पटवारी हल्का नंबर 31 ऋण पुस्तिका क्रमांक ऐन 32197 मैं दर्ज 3 सर्वे नंबर की कुल भूमि 2.090 हेक्टेयर भूमि को संस्था के पास बंधक रखा गया था।

आपत्तिकर्ताओं के मुताबिक उक्त भूमि बंधक होने के बावजूद नीलामी प्रक्रिया में शामिल नहीं होना डिफॉल्टर बकायेदार को संरक्षण का प्रमाण है और जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी भी है।

आपत्तिकर्ताओं द्वारा दूसरे आवेदन में आपत्ति दर्ज कराते हुए निर्धारित समय अवधि बीतने के बाद तहसीलदार द्वारा टांडा के व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत 5 लाख के डीडी को मंजूर कर बोली में शामिल करने के निर्णय पर आपत्ति दर्ज कराई गई है।

आपत्तिकर्ताओं के मुताबिक तहसीलदार समाचार पत्रों में 24 मार्च 2022 को समाचार विज्ञप्ति जारी कर 27 अप्रैल 2022 को प्रीतम पिता सुखदेव जायसवाल की कृषि भूमि नीलामी में बोलीकर्ताओं को शामिल होने की सूचना प्रकाशित करवाई थी।

नीलामी की शर्त 3 में स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि निर्धारित तिथि व समय के पश्चात उपस्थित बोलीदाताओं की बोली मान्य नहीं की जाएगी। फिर भी बोली में अन्य व्यक्ति को शामिल किया जाना आपत्तिजनक है।

आपत्तिकर्ताओं ने मीडिया को बताया कि प्रत्येक नीलामी तिथि पर यदि कोई नया व्यक्ति नीलामी बोली में शामिल होता है तो संपत्ति की नीलामी लंबे समय तक जारी रहने के आसार हैं।

ऐसी दशा में संपत्ति की नीलामी मे विलंब का खामियाजा राजेंद्र सूरी बैंक के जमाकर्ताओं को उठाना पड़ सकता है। फिलहाल तहसीलदार द्वारा उक्त मामले में नीलामी की बोली की तिथि आगामी 9 मई सोमवार को तय की गई है।

नीलामी की आगामी तारीख 9 मई नियत की गई है। दो आपत्ति आवेदन प्राप्त हुए हैं। आवेदन की जांच के लिए बैंक वालों को बुलवाकर दिखाता हूं कि मामला क्या है? बकायेदार से संपूर्ण बकाया राशि वसूली हेतु खुली बोली लगाई जा रही है। इसमें कोई भी व्यक्ति डीडी जमा कर बोली में भाग ले सकता है। – दिनेश सोनारतिया, तहसीलदार, सरदारपुर


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