14 साल वनवास के बाद भी पूरी नहीं हुई आदिवासी क्षेत्र धार-झाबुआ में रेल लाइन की योजना


इलाके में रेललाइन बिछाने का काम कब पूरा होगा और कब यहां रेलगाड़ी आएगी, और कब उन्हें ट्रेन की छुक-छुक की आवाज सुनने को मिलेगी, पता नहीं है।


आशीष यादव
धार Published On :
dhar jhabua railline

मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ, अलीराजपुर और धार जिले की तस्वीर और तकदीर बदलने मैं आया हूं। दो रेल परियोजनाओं को लेकर एक इंदौर लाया झाबुआ, दाहोद रेल लाइन और दूसरी छोटा उदयपुर वाया अलीराजपुर, धार रेल लाइन। इन रेल लाइनों के आने से ये आदिवासी अंचल देश के नक्शे पर विकास की नई इबारत लिखेंगे और सन 2011 तक यहां रेल पटरी पर रेल चलती दिखलाई देगी।

उक्त विचार देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2008 में मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ में स्थित हरीभाई की बावडी पर इंदौर दाहोद रेल परियोजना और छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना के शिलान्यास समारोह में उपस्थित एक लाख लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए थे।

इस समारोह में तत्कालीन प्रदेश के राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नारायण भाई राठवा, रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, केंद्रीय राज्य मंत्री कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, पृथ्वीराज चौहान और कई सांसद व विधायकगण उपस्थित थे।

जहां एक ओर सरकार आदिवासियों को सर्व सुविधाएं देने की बात करती है, वहीं 14 साल का वनवास पूरा होने के बाद आज भी रेल के लिए उनकी आंखें टकटकी लगाए हुए हैं।

इलाके में रेललाइन बिछाने का काम कब पूरा होगा और कब यहां रेलगाड़ी आएगी, और कब उन्हें ट्रेन की छुक-छुक की आवाज सुनने को मिलेगी, पता नहीं है।

इंदौर दाहोद रेललाइन की लंबाई 200.97 किमी लंबी और इसकी लागत 678.56 करोड़ थी। इस परियोजना में 5 महत्वपूर्ण, 29 बड़े पुल, 181 छोटे पुल और 20 स्टेशन बनाया जाना प्रस्तावित है।

इसी प्रकार से छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना की लंबाई 157 किमी और लागत 608.25 करोड रुपये थी। 7 सुरंगें, जिनकी लंबाई 9.85 किमी, 30 बड़े पुल, 85 छोटे पुल व 14 स्टेशन बनाया जाना प्रस्तावित है।

14 साल में इंदौर दाहोद रेललाइन हेतु केंद्र सरकार ने बजट में 876 करोड़ रुपये आवंटित किए जोकि उदघाटन के समय की लागत 678 करोड़ से 198 करोड़ ज्यादा है।

वहीं वर्तमान में परियोजना की लागत 1500 करोड़ के लगभग पहुंच गई है। इस 200.97 किमी लंबी परियोजना में पिछले 14 सालों में सिर्फ 36 किमी की रेललाइन डाली गई है जिसमें दाहोद से कतवारा तक 11 किलोमीटर और इंदौर से धार की तरफ 25 किलोमीटर लाइन डाली गई है।

झाबुआ में जमीन का अधिग्रहण का कार्य हो चुका है और गुजरात से झाबुआ की तरफ कुछ काम प्रारंभ किया गया था। वहीं पीथमपुर में बनाई जा रही टनल का काम 3 किमी तक करने के काम कोरोना के चलते बंद कर दिया गया था जो फिर से चालू हो गया है, जिसे दो साल से होल्ड पर डाल दिया गया था।

कोरोना काल में काम पूरी तरह से बंद रहा जिसके बाद अब जाकर इस साल केंद्र सरकार ने 2022 के बजट में इंदौर दाहोद रेललाइन को 265 करोड़ और छोटा उदयपुर अलीराजपुर रेललाइन के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।

जिले की जनता 14 साल बीतने के अवसर पर बताया कि इतने लंबे अंतराल के बाद भी झाबुआ, धार के वनवासियों के हाथ कुछ भी नहीं आया है और उनका रेल का सपना आज भी अधूरा है जबकि अलीराजपुर तक छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना की रेललाइन पहुंची है, लेकिन उसके आगे अभी काम की गति धीमी है।

दूसरी तरफ, इंदौर दाहोद रेललाइन का काम तो पूरी तरह से ही बंद पड़ा है। आवेदनों के माध्यम से केंद्र सरकार व रेलवे से मांग की जा रही है कि उक्त दोनों परियोजनाओं का बजट आवंटन के बाद काम जल्दी से जल्दी तीव्र गति से प्रारंभ किया जाए और आदिवासी अंचल के अवरूद्ध हो रहे विकास को गति दिलाने के लिये परियोजना को शीघ्र पूर्ण किया जाए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी झाबुआ की एक चुनावी सभा में कहा था कि शीघ्र ही इस परियोजना को प्रारंभ करवाएंगे लेकिन उनके कार्यकाल का भी यह दूसरा दौर चल रहा है, लेकिन उक्त दोनों परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं।

बता दें कि तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया ने स्व. सांसद दिलीप सिंह भूरिया की मांग पर मेघनगर और कालिदेवी की आमसभाओं में उक्त रेल परियोजना प्रारंभ करने की घोषणा की थी।


Related





Exit mobile version