धार। समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के दौरान जिले के कई साइलो केंद्रों पर किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान आए दिन लगातार परेशानियों से जूझ रहे हैं और वे अपनी समस्याएं किसे बताएं या किससे शिकायत करें। उन्हें इस बात का पता ही नहीं।
जिले के अधिकांश खरीदी केंद्रों पर किसान परेशान तो हो रहे हैं लेकिन अभी तक उनके लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई है। दूसरी ओर प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्था होने का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ दिखाई नहीं देता है। ये व्यवस्थाएं कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं।
खरीदी केंद्रों पर ना पानी और ना कोई व्यवस्था –
समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने की शुरुआत 27 मार्च से हुई थी। इसके लिए प्रशासन की तरफ से पर्याप्त व्यवस्थाएं करने के दावे भी किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।
जिम्मेदारों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। किसानों को अपनी परेशानियों का सामना खुद करना पड़ रहा है। गेहूं बेचने से ज्यादा दिक्कत उन्हें धूप से हो रही है। किसान धूप में तप रहे हैं और घंटों कतार में लगने पर नंबर का इंतजार करते हुए नजर आ रहे हैं।
उन्हें इंतजार रहता है कि कब उनकी ख़रीदी का वक्त आएगा। खुले आसमान के नीचे ही तुलाई करवाना पड़ रही है। केंद्रों पर पानी के नाम पर खाली बर्तन ही मिल रहे हैं।
जब ख़रीदी चालू होती है तब कुछ वक़्त तक सब व्यवस्था ठीक रहती है। फिर व्यवस्था के नाम पर कुछ नजर नहीं आता है। किसान अपनी व्यवस्था खुद कर रहे हैं। हालांकि, जिम्मेदारों की नजरों में सब ठीक चल रहा है।
केंद्रों पर यह व्यवस्थाएं जुटानी थीं –
किसानों के बैठने के लिए जगह नहीं है। अन्न देने वाले किसानों को जमीन पर नीचे बैठना पड़ रहा है। केंद्रों पर पानी, टेंट का इंतजाम के साथ बिजली व कूलर की व्यवस्था बस कम्प्यूटर ऑपरेटरों व कर्मचारियों के लिए ही है।
नहीं आ रहे किसानों को मैसेज, बिल बनने में आ रही परेशानी –
सरकार ने खरीदी की आखिरी तारीख बढ़ाकर 25 मई कर दी है, लेकिन अधिकांश किसानों को मैसेज नहीं आ रहे हैं जिसके कारण किसान अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं।
दूसरी ओर मंडियां बंद पड़ी हैं तो किसान अपना अनाज कहां बेचे, पता नहीं चल पा रहा है। कोरोना महामारी में किसानों को पैसों की आवश्यकता है, लेकिन एक तरफ सोसाइटी से मैसेज नहीं मिल रहे हैं तो दूसरी ओर कहीं भी मंडी में उपज नहीं बिक रही।
किसानों को आने वाले सीजन के लिए भी पैसों की आवश्यकता है, लेकिन उपज बिक्री होने पर ही वे अपने सभी काम कर सकते हैं। दूसरी ओर जिनकी उपज बिक चुकी है, लेकिन केंद्रों पर सर्वर के डाउन रहने के कारण बिल नहीं बन पा रहे हैं, ऐसे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों के खातों में राशि भी समय पर नहीं आ रही है। बता दें कि इस महामारी में सभी को नगदी की आवश्यकता है व खातों में 7 से 8 दिन तो किसी को 12 दिन तक पैसा नहीं आ रहा है जिसके कारण किसानों को आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है।
साइलो केंद्र पर भीड़ बढ़ने पर ट्रॉलियों की 1 से 2 किमी लंबी कतार लग जाती है –
समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसानों को भारी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा पूर्व निर्धारित व्यवस्था भी किसानों को राहत नहीं दे पाई है।
साइलो केंद्र पर गेहूं से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की करीब 2 किलोमीटर लंबी लाइन लग जाती है। नागदा व पीपलखेड़ा साइलो केंद्र पर भी यही हाल है।
साइलो केंद्र पर भीड़ उमड़ने के कारण किसानों को गेहूं की तौल कराने में दो-दो दिन का इंतजार करने के बाद नंबर आता है। मगर उसके बाद गेहूं तुलवाई हो या नहीं यह किसान को भी पता नही होता है।
क्वालिटी के नाम पर बस खानापूर्ति नजर आ रही है जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना चमक का गेहूं भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा की है, लेकिन अधिकाश सोसाइटी पर कर्मचारियों की मनमानी चल रही है और वे किसानों का गेहूं रिजेक्ट कर देते हैं।
कई केंद्रों पर कुछ छोटे किसान किराये का ट्रैक्टर लेकर पहुंचे हैं, जिन किसानों का गेहूं रिजेक्ट हुआ है, उनको अधिक भाड़ा देना पड़ता है।
फसलों की खरीदी –
सायलो केंद्रों पर केवल एक ही मशीन होने के कारण टोकन मिलने में भी देरी हो रही है। 12 सोसायटियों की खरीदी एक ही जगह होने से हर दिन 500 से ज्यादा ट्रॉलिया पहुंच रही हैं।
धार से करीब 8 किलोमीटर दूर पीपलखेड़ा में बनाए सायलो खरीदी केंद्र पर किसानों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 12 सोसायटियों के अंतर्गत आने वाले 100 से अधिक गांवों के किसान यहां उपज लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन सोसायटियों से पर्ची मिलने में देरी, तुलाई के लिए एक मशीन होने से किसानों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
सोमवार को भी यहां 200 से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लाइन लगी रही। सायलो केंद्र पर एक ही स्थान पर तुलाई और ट्रॉली खाली करने का काम हो रहा है। प्रतिदिन 200 से अधिक ट्रॉलियां पहुंच रही हैं, लेकिन सुबह पहुंचे किसानों का नंबर आते-आते दूसरा दिन हो जाता है।
हालांकि तुलाई और ट्रॉली खाली करने में किसानों को केवल 5 से 10 मिनट का ही समय लग रहा है। ट्रॉली खाली करने के लिए जालीनुमा टैंक बनाया गया है जिसके ऊपर ट्रॉली उलटी करते ही पूरा गेहूं मात्र 5 मिनट में टैंक में चला जाता है।
मशीन के माध्यम से टैंक से यह गेहूं सीधे डंपर में पहुंच जाता है। डंपर भर जाने पर इसे उसी स्थान पर 200 मीटर की दूरी पर रखे सायलो बैग में खाली किया जाता है।
यह है स्थिति –
खरीदी केंद्र – 109
पंजीकृत किसानों की संख्या – 59932
कुल किसान – 21419
गोदामों से खरीदी – 2944
साइलो से खरीदी – 5538
समितियों से खरीदी – 12937
गेहूं ख़रीदी की मात्रा – 18 लाख 14 हजार 262 मीट्रिक टन
गोदामों से खरीदी – 218502
साइलो से खरीदी – 587146
समितियों से खरीदी। – 1008613
परिवहन की मात्रा – 15 लाख 66 हजार 858 मीट्रिक टन
गोदामों से खरीदी – 191742
साइलो से खरीदी – 566624
समितियों से खरीदी – 808492
परिवहन को लेकर नहीं आई परेशानी –
परिवहन को लेकर इस बार हमने जिले के सभी केंद्रों पर उचित व्यवस्था की थी। इस बार किसानों को परिवहन को लेकर कोई परेशानी नहीं हुई।
स्वाति रॉय, जिला विपणन अधिकारी (मार्कफेड), धार