प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर लगेगी लगाम, नए नियमों की तैयारी शुरू


 प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। 25 हजार से अधिक वार्षिक फीस लेने वाले स्कूलों को अब जिला समिति से अनुमति लेनी होगी।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों में मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। अब वार्षिक 25 हजार रुपए से अधिक फीस लेने वाले स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले जिला समिति से अनुमति लेनी होगी। सरकार द्वारा प्रस्तावित नए नियमों के तहत, यदि किसी स्कूल को समिति के फैसले पर आपत्ति होती है, तो वह राज्य समिति में अपील कर सकता है।

 

सरकार की सख्ती, शिक्षा विभाग ने शुरू किया नियमों का प्रारूप

प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी फीस को नियंत्रित करने के लिए दिसंबर 2024 में एक कानून पारित किया गया था। इस कानून के अनुसार, 25 हजार रुपए सालाना फीस वसूलने वाले स्कूल अधिकतम 10% फीस बढ़ा सकते हैं। यदि कोई स्कूल 15% से अधिक फीस वृद्धि करना चाहता है, तो उसे जिला समिति और फिर राज्य समिति की अनुमति लेनी होगी।

स्कूल शिक्षा विभाग ने इस कानून के क्रियान्वयन के लिए 11 मार्च को एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें नए नियमों का प्रारूप तैयार कर एक माह के भीतर दावे-आपत्तियां मांगी गई हैं। इसके बाद, अगले शिक्षा सत्र से इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा।

 

900 निजी स्कूलों पर होगा सीधा असर

धार जिले में कुल 900 से अधिक निजी स्कूल संचालित हैं। इनमें से 700 स्कूल कक्षा 1 से 8 तक हैं, जबकि 219 स्कूल कक्षा 9 से 12 तक शिक्षा प्रदान करते हैं। सरकार के इस फैसले का असर जिले के उन सभी स्कूलों पर पड़ेगा, जो अब तक बिना किसी अनुमति के फीस में मनमानी बढ़ोतरी कर रहे थे।

 

छोटे स्कूलों को कुछ राहत, लेकिन सख्ती भी रहेगी

सरकार ने छोटे निजी स्कूलों को कुछ राहत दी है। जिन स्कूलों की वार्षिक फीस 25 हजार रुपए से कम है, वे 10% तक फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होंगे और उन्हें किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी। लेकिन यदि वे 15% से अधिक फीस बढ़ाते हैं, तो जिला समिति से मंजूरी लेनी अनिवार्य होगी। ऐसा न करने पर संबंधित स्कूल के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

 

एफिडेविट अपलोड करना होगा

25 हजार रुपए से अधिक वार्षिक फीस लेने वाले स्कूलों को अब एक नोटरी एफिडेविट जमा करना होगा, जिसे ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। विभागीय और राज्य समिति इस प्रक्रिया की निगरानी करेगी और यदि किसी स्कूल द्वारा नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो पेनल्टी लगाई जा सकती है।

 

45 दिनों में होगा फैसला

अगर किसी स्कूल को फीस बढ़ाने या अन्य नियमों को लेकर कोई आपत्ति है, तो उसे 45 दिनों के भीतर विभागीय समिति से निर्णय लेना होगा। अपील की स्थिति में राज्य समिति को भी 45 कार्यदिवसों के भीतर फैसला सुनाना अनिवार्य होगा।

 

क्या कहता है नया कानून?

फीस नियंत्रण: दिसंबर 2024 में पारित कानून के अनुसार, 25 हजार से अधिक वार्षिक फीस लेने वाले स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए अनुमति लेनी होगी।

 

सीमा निर्धारित: 10% तक की बढ़ोतरी बिना अनुमति के की जा सकती है, लेकिन 15% से अधिक बढ़ोतरी के लिए जिला समिति की स्वीकृति अनिवार्य होगी।

 

छोटे स्कूलों को राहत: 25 हजार से कम फीस वाले स्कूल बिना अनुमति 10% तक फीस बढ़ा सकते हैं।

 

एफिडेविट अनिवार्य: अधिक फीस लेने वाले स्कूलों को शपथपत्र (एफिडेविट) जमा करना होगा और इसे पोर्टल पर अपलोड करना होगा।

 

समिति की भूमिका: किसी भी विवाद के निपटारे के लिए विभागीय और राज्य समिति बनाई गई है, जो 45 दिनों के भीतर फैसला लेगी।

 

सरकार का सख्त रुख, अभिभावकों को मिलेगी राहत

निजी स्कूलों में बढ़ती फीस लंबे समय से अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी। सरकार के इस कदम से फीस नियंत्रण में पारदर्शिता आएगी और अभिभावकों को राहत मिलेगी। अब स्कूल अपनी मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा पाएंगे और उन्हें नियमों का पालन करना होगा।

 

यह नियम लागू होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि निजी स्कूल इसे किस तरह अपनाते हैं और क्या इससे फीस नियंत्रण में वाकई कोई फर्क पड़ेगा।

 



Related