नई शिक्षा नीति के तहत तैयारी शुरू, कॉलेज में विद्यार्थियों का रिकार्ड होगा ऑनलाइन


अब विद्यार्थियों को फॉर्म भरते समय ही करना होगा एबीसी के लिए रजिस्ट्रेशन, पीजी के 10 हजार तो कन्या में 15 सौ विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ


आशीष यादव
धार Updated On :

कॉलेज में प्रवेश लेने वाले हर विद्यार्थी को नई शिक्षा नीति के तहत अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को पत्र जारी कर दिये गए हैं। विद्यार्थियों को यह काम परीक्षा फॉर्म भरते समय ही करना होगा और बिना इसके फार्म मान्य नहीं होगा।

अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एथीसी) में रजिस्ट्रेशन के बाद विद्यार्थियों की अंकसूचियां डीजी लॉकर में अपलोड की जानी हैं। इससे विद्यार्थियों को फायदा यह होगा कि वे कॉलेज या विश्वविद्यालय अगर बदलते हैं तो उन्हें किसी भी तरह की तकनीकी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और  उन्हें बिना परेशानी आसानी से मार्कशीट डिग्री व माइग्रेशन मिलेगा। प्राचार्य की होगी जिम्मेदारी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के राहत जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि विद्यार्थियों ने परीक्षा फॉर्म भरते समय एबीसी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया तो उनका परीक्षा फॉर्म भी मान्य नहीं किया जाएगा। बिना एबीसी रजिस्ट्रेशन के परीक्षा फॉर्म फारवर्ड अथवा स्वीकृत किए गए तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित कॉलेज प्राचार्य की होगी।

यह होता है एबीसी: एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एक वर्चुअल स्टोर-हाउस है, जो हर विद्यार्थी के डेटा का रिकॉर्ड रखेगा। इसके लिए कॉलेज और विश्वविद्यालय को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद वहां पढने वाले हर स्टूडेंट का डेटा एबीसी में स्टोर होना शुरू हो जाएगा। इससे वे पढ़ाई छोड़ते भी हैं तो भी उनका रिकॉर्ड रहेगा।

तीन साल बाद लागू हुई योजना: एबीसी योजना को एनईपी के तहत जुलाई 2021 में लॉन्च किया गया था। इसका मकसद छात्रों की शैक्षणिक गतिशीलता को आसान बनाना है। इससे छात्रों को ‘क्रेडिट स्कीम’ तंत्र की मदद से भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने की आजादी मिलती है। एबीसी का सुझाव एनईपी ने 2020 में दिया था। इसके लिए कॉलेज व विवि को भी पंजीयन कराना होगा।

 

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में हर स्टूडेंट को एबीसी में फार्म भरते समय पंजीयन करवाना अनिवार्य किया गया है। इससे विद्यार्थियों को ही फायदा होगा कि उनका सारा डेटा ऑनलाइन ही दर्ज रहेगा।

डॉ. सुभानसिह बघेल, प्राचार्य, पीजी कॉलेज धार


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