फसल बीमा की पॉलिसी किसानों के हाथ आने से बढ़ी पारदर्शी व्यवस्था


पहले बस एक रसीद मिलती थी तो होती थी परेशानी, किसानों ने कहा बीमा अच्छा मिल रहा और पॉलिसी दस्तावेज़ मिलने से अब नहीं काटने पड़ते चक्कर


DeshGaon
धार Updated On :

मप्र में मालवा निमाड़ का इलाका खेती बाड़ी के लिए खासा उन्नत माना जाता है। इन दोनों क्षेत्रों के मौसम में थोड़ा अंतर है लेकिन इन दोनों ही क्षेत्रों के किसान प्रदेश में उन्नत खेती करने वाले किसानों के रूप में जाने जाते हैं। हालांकि मौसम में हो रहे बदलावों से यहां की खेती बाड़ी भी जूझ रही है।

मप्र के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में बसे धार जिले की बात करें तो बीते दो तीन सालों में यहां कम बारिश या फिर बेमौसम बारिश का सिलसिला बढ़ा है। ऐसे में किसानों को फसलों का खासा नुकसान हुआ है। इस बीच किसानों को फसल बीमा योजना से कुछ उम्मीद जागी है। यह बीमा योजना धीरे-धीरे किसानों का भरोसा जीत रही है। वहीं किसान अब एक पारदर्शी समाधान की उम्मीद भी कर रहे हैं।

धार जिले के धरावड़ा गांव के किसान मुकेश पटेल एक दस्तावेज़ को गौर से पढ़ रहे हैं। यह उनकी फसल बीमा की प्रति है। जिसमें उनका फसल बीमा से संबंधित सभी जानकारियां दी गईं हैं। मुकेश बताते हैं कि कहने को तो यह एक सामान्य सा बीमा कागज़ है लेकिन किसानों के लिए यह दो वजहों से अहम है। पहली वजह है कि किसानों को पहली बार पता चला है कि जिस बीमा राशि को वे बैंक में जमा करते हैं उसका कोई लिखित प्रमाण भी उनके पास है जो कि अब से पहले उनके पास कभी नहीं होता था। और दूसरी वजह यह भी इसी पहली वजह से जुड़ती है जिसके मुताबिक अब फसल बीमा हासिल करने के लिए सर्वे करने आए अधिकारी को कोई बहुत अधिक दस्तावेजी प्रमाण दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती।

मालवा से ही शुरू हुई योजना…

किसानों को उनकी फसल बीमा पॉलिसी उनके हाथ में देने की शुरूआत मेरी पॉलिसी मेरा हाथ नाम की योजना के कारण संभव हो पाया है। इस योजना की शुरूआत 26 फरवरी 2023 को इसी मालवा निमाड़ इलाके में आने वाले इंदौर शहर से करीब पैंतीस किमी दूर बूढ़ी बरलाई गांव से हुई थी। इसके बाद किसानों को उनकी पॉलिसी उनके घर जाकर देने के लिए एक अभियान भी चलाया गया।

मुकेश पटेल, किसान, धार

धार जिले के किसान मुकेश पटेल बताते हैं कि बीमा हर बार होता आया है लेकिन पॉलिसी हाथ में पहली बार आना शुरू हुई है। वे कहते हैं कि धीरे-धीरे ऐसी बीमा पॉलिसी आसपास के गांवों के दूसरे किसानों तक भी पहुंच रही है और उनके लिए भी यह अचरज से कम नहीं है। एक अन्य किसान रतनलाल यादव बताते हैं कि यह बीमा की पारदर्शी प्रक्रिया का पहला कदम है क्योंकि इससे पहले किसानों को अपने फसल बीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती थी। धार जिले के एक किसान आशीष यादव बताते हैं कि सभी किसानों को बीमा पॉलिसी उनके हाथ में नहीं मिल पा रही है लेकिन इसके लिए उन्हें यह जानकारी दी जाती है कि वे उसे डाउनलोड कर सकते हैं। खुद आशीष यादव भी ऐसा ही करते हैं। आशीष बताते हैं कि योजना की शुरूआत के बाद से जिन किसानों को पॉलिसी के कागज़ मिल रहे हैं उनमें धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है।

अब चक्कर नहीं काटने पड़ते…

इसी के नज़दीक देवास जिले के किसान गोवर्धन पाटीदार भी फसल बीमा योजना के तहत आने वाली इस योजना से खुश हैं। उनका कहना है कि किसान के पास दस्तावेज़ होना उसकी बड़ी ताकत है। फसल बीमा हासिल करना पहले एक परीक्षा पास करने जैसा था क्योंकि उस समय किसान के पास एक रसीद ही होती थी जो बैंक से उसे मिलती थी और कई बार तो वह रसीद भी किसानों के पास नहीं पहुंचती थी ऐसे में किसान को बैंक के चक्कर काटने पड़ते थे लेकिन अब फसल बीमा होने के सुबूत के रूप में एक पूरा दस्तावेज है जिसके आधार पर किसानों को बीमा हासिल करना आसान हुआ है और उन्हें अब बैंकों या अधिकारी के चक्कर नहीं काटने पड़ते। पाटीदार कहते हैं कि उनके इलाके के किसान इस योजना से संतुष्ट नजर आते हैं।

इन्हें मिला सबसे बड़ा बीमा…

धार जिले में फसल बीमा का लाभ कई किसानों को मिला है। यहां कई किसानों को तो इसके तहत बड़ी राशि मिली है। जिले के सलकनपुर गांव के किसान सीताराम जाट नाम के एक किसान को यहां करीब 1.40 लाख रुपए की बीमा राशि मिली है। वे बताते हैं कि उन्हें 2021 में सोयाबीन नुकसानी का पैसा मिला है। वे बताते हैं कि फसल की नुकसानी की पूरी भरपाई होना तो संभव नहीं है लेकिन फिर भी वे इस राशि से खुश हैं क्योंकि यह स्थिति पहले से बेहतर है।

किसानों को हाथ में देना है पॉलिसी…

जिले में कृषि बीमा की स्थिति को लेकर कृषि अधिकारी आरएस मोहनिया बताते हैं कि साल 2021-22 रबी और खरीफ की फसलों के लिए 77 करोड़ 42 लाख 97 हजार की दावा राशि मिली थी और इससे 110907 किसान लाभान्वित हुए थे। वहीं 2022-23 22 करोड़ 53 लाख रुपए की दावा राशि स्वीकृत हुई है और इससे एक लाख 754 किसान लाभान्वित हुए हैं। वहीं मेरी पॉलिसी मेरे हाथ योजना को भी जिले में गति देने का काम डारी है। इसे लेकर मोहनिया बताते हैं कि बीमा कंपनी के प्रतिनिधि ब्लॉक लेवल पर भी जाकर लोगों को पॉलिसी देते हैं और कई बार एप्लीकेशन आईडी के हिसाब से भी डाउनलोड करना भी सिखाते हैं। मोहनिया बताते हैं कि पॉलिसी वितरण के काम में लगातार तेजी आ रही है और फिलहाल बीमित किसानों में से करीब तीस से चालीस प्रतिशत तक पॉलिसी पहुंचाना संभव हो पा रहा है लेकिन धीरे-धीरे यह आंकड़ा भी बढ़ जाएगा।

इस योजना से जुड़े एक निजी संस्थान में काम करने वाले राजेश शर्मा बताते हैं कि शुरुआत में यह बेहद मुश्किल लग रहा था लेकिन अब धीरे-धीरे किसानों तक पॉलिसी पहुंचाने के लिए प्रयास बढ़ रहे हैं। शर्मा बताते हैं कि बड़ी बात यह है कि अब किसान जागरुक हो रहे हैं, पारदर्शिता की सराहना कर रहे हैं।



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