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मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर में गुरुवार को यूनियन कार्बाइड प्लांट के जहरीले कचरे को ट्रकों से उतारा गया। यह कदम तब उठाया गया जब इस कचरे के निपटान को लेकर अगली सुनवाई 18 फरवरी को जबलपुर हाईकोर्ट में होनी है। इस घटना के बाद पीथमपुर और आसपास के इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की लहर फिर तेज हो गई है।
40 साल बाद भी सुलगता जख्म
भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन यूनियन कार्बाइड के बंद पड़े प्लांट का जहरीला कचरा अब भी एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। यह कचरा 2 जनवरी से 12 ट्रकों में भरकर पीथमपुर के इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड प्लांट में रखा गया था, जिसे रामकी ग्रुप संचालित करता है। राज्य सरकार ने इसे वहां लाकर वैज्ञानिक तरीके से जलाने (इनसिनरेशन) की योजना बनाई थी, लेकिन स्थानीय विरोध और जनभावनाओं के चलते इसे फिलहाल टाल दिया गया है।
स्थानीय लोगों की आशंकाएं
पीथमपुर और आसपास के इलाकों के लोगों का कहना है कि इस कचरे को जलाने से हवा और पानी जहरीला हो सकता है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विरोध कर रहे लोगों में डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक शामिल हैं। बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने शवासन (कॉर्प्स पोज़) करके विरोध जताया, जिसमें वे सफेद चादरों में लिपटे लेटे रहे।
विरोध के कारण सरकार को हाईकोर्ट से छह सप्ताह का समय लेना पड़ा, ताकि स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जा सके। इसके बावजूद, पीथमपुर में एक बार फिर विरोध तेज हो गया है क्योंकि कचरे को ट्रकों से उतारा जाने लगा है।
प्रशासन की सफाई
धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी सुरक्षा के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल कचरे को केवल उतारा जा रहा है, उसे जलाने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
पीथमपुर के एसडीएम प्रमोद गुर्जर ने भी कहा कि कचरे को जलाने को लेकर जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, वे गलत हैं। “कोई गलत जानकारी न फैलाए, अभी केवल कंटेनरों को उतारा जा रहा है, उन्हें खोला भी नहीं गया है। कोई भी फैसला वैज्ञानिक विशेषज्ञों की सिफारिश और जनता की सहमति के बाद ही लिया जाएगा,” उन्होंने कहा।
सरकार का रुख और वैज्ञानिक समाधान
सरकार का कहना है कि कचरे का निपटान वैज्ञानिक पद्धति से किया जाएगा और इसमें कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी। प्रशासन के मुताबिक, भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट में पड़े 358 टन जहरीले कचरे को हटाने का फैसला हाईकोर्ट के आदेश के बाद लिया गया था।
सरकार का यह भी मानना है कि इस मुद्दे को लेकर फैली गलत जानकारी के कारण ही जनवरी में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इनमें दो लोगों द्वारा आत्मदाह की कोशिश भी शामिल थी। इसके बाद प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इस प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी देने की कोशिश की।
अब आगे क्या?
18 फरवरी को जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे कानूनी लड़ाई पर फोकस कर रहे हैं और अदालत के निर्देशों के आधार पर आगे की रणनीति तय करेंगे।
फिलहाल, पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, और स्थानीय लोग सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि जहरीले कचरे को यहां जलाने की योजना को पूरी तरह से रद्द किया जाए। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो इस विवाद का अगला कदम तय करेगा।
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