कांग्रेस के पूर्व विधायक पाचीलाल मेड़ा की पत्नी हंसा मेड़ा पर अवैध उत्खनन और भंडारण के आरोप में खनिज विभाग ने 2 करोड़ 13 लाख 12 हजार रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस धरमपुरी विधायक कालू सिंह ठाकुर की शिकायत के बाद विभागीय जांच के बाद जारी किया गया। मेड़ा को 15 दिनों के अंदर जवाब देने का आदेश दिया गया है, अन्यथा एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी।
अवैध उत्खनन का मामला
यह मामला धरमपुरी के बागवान्य क्षेत्र में स्थित पत्थर गिट्टी खदान से जुड़ा है, जिसे हंसा मेड़ा को आवंटित किया गया था। धरमपुरी के वर्तमान विधायक कालू सिंह ठाकुर ने 7 अक्टूबर 2024 को खनिज विभाग को इस मामले की शिकायत की थी। इसके बाद गठित जांच दल ने 16 अक्टूबर 2024 को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें अवैध उत्खनन की पुष्टि हुई। खनिज निरीक्षक द्वारा 21 अक्टूबर 2024 को दिए गए प्रतिवेदन के अनुसार, खदान के 0.237 हेक्टेयर क्षेत्र से 14,220 घन मीटर खनिज का उत्खनन हुआ, जिसमें से 5,920 घन मीटर पत्थर और गिट्टी का रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया।
शिकायत और जांच
विधायक ठाकुर की शिकायत के अनुसार, पूर्व विधायक पाचीलाल मेड़ा ने खदान आवंटन के बावजूद अपनी राजनीतिक पहुंच और दबंगई का उपयोग कर अतिरिक्त स्थान पर अवैध उत्खनन किया। ठाकुर ने आरोप लगाया कि मेड़ा ने बिना रॉयल्टी के खनिज को बेचकर भारी मुनाफा कमाया। शिकायत में यह भी बताया गया कि ओंकारेश्वर परियोजना के लिए आवंटित खदान से बचा हुआ माल मेड़ा ने हेराफेरी कर बाजार में बेच दिया।
15 गुना जुर्माना और पर्यावरण क्षतिपूर्ति
खनिज विभाग के निरीक्षक जे.एस. भिड़े ने जानकारी दी कि खदान से 5,920 घन मीटर पत्थर और गिट्टी की रॉयल्टी राशि 7 लाख 10 हजार रुपये है। इसके नियमों के अनुसार 15 गुना जुर्माना लगाया गया, जो 1 करोड़ 5 लाख 56 हजार रुपये है। इसके साथ ही, पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर इतनी ही राशि जोड़कर कुल 2 करोड़ 13 लाख 12 हजार रुपये की वसूली का प्रकरण तैयार किया गया।
जवाब देने के लिए 15 दिन का समय
नोटिस के अनुसार, हंसा मेड़ा को 15 दिनों के भीतर लिखित जवाब देने का समय दिया गया है। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो कलेक्टर कार्यालय द्वारा एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी। खनिज विभाग ने पहले भी इस खदान पर कार्रवाई की थी, लेकिन अवैध उत्खनन जारी रहने पर अब कड़ी कार्यवाही की जा रही है।
शिकायतकर्ता का बयान
विधायक कालू सिंह ठाकुर ने कहा, “पूर्व विधायक पाचीलाल मेड़ा ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर अवैध उत्खनन किया और बिना रॉयल्टी के खनिज को बेचा। मैंने इसकी शिकायत की थी, जो सही पाई गई है। मैं इस मामले को और भी उच्च स्तर पर उठाकर उनके काले कारनामों को उजागर करूंगा।”
पूर्व में भी की गई थी कार्रवाई
खनिज विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस खदान का आवंटन पहले भी निरस्त किया जा चुका था और इसके बाद भी अवैध उत्खनन जारी रहा। राजस्व विभाग और खनिज विभाग के प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर कार्यालय ने अब यह कड़ी कार्रवाई की है।