धारः जिले में औसत रूप से महज 4 इंच बारिश, किसानों ने कर दी 60 प्रतिशत बोवनी


जिले में करीब सवा पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी होना है। अभी तक पौने तीन लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है।


आशीष यादव
धार Published On :
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धार। जून माह समाप्त होने को है, लेकिन जिले में अभी भी मानसून सक्रिय नहीं हुआ है। 1 जून से 29 जून के मध्य औसत रूप से जिले में करीब सवा दो इंच बारिश दर्ज की गई है।

इसके इतर मानसून के दो फेरे गिरने के बाद ही जिले में किसानों ने स्फूर्ति दिखाते हुए करीब 60 प्रतिशत के लगभग बोवनी कर दी है। गत वर्ष इस समय तक 40 प्रतिशत के लगभग बोवनी हो पाई थी।

जिले में गत वर्ष 1 जून से 29 जून के मध्य करीब 4 इंच औसत बारिश हो चुकी थी। जिले में अभी भी अलग-अलग क्षेत्रों में करीब 40 प्रतिशत बोवनी और होना शेष है।

ग्रामीण क्षेत्रों में किसान खेतों में दिखाई दे रहे हैं। आगामी एक सप्ताह के भीतर शत प्रतिशत रकबे में बोवनी होने की पूरी संभावना है। वहीं बचे हुए भी किसान बारिश होते ही बोवनी कर देंगे।

परंपराओं से हटकर खेती की कोशिश –

जिले में परंपरागत खेती का ही चलन है। गेहूं, सोयाबीन, कपास, मक्का, मूंग-उड़द जैसी फसलों की खेती की जाती है। यह परंपराएं अभी भी बरकरार हैं, लेकिन खेती-किसानी में तौर-तरीके के बदलाव को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार और खेती में नवाचार जैसे कार्यक्रमों का असर अब जिले में दिखाई देने लगा है।

किसान परंपरागत खेती के साथ नवाचार के प्रयोगों में लगे हुए हैं। जिले में कई इलाकों में किसान एक ही खेत में तीन अलग-अलग फसलों की एक साथ कतारबद्ध बुआई कर रहे हैं।

बड़े किसानों के खेतों में ट्रैक्टर दिखाई दे रहे हैं तो सुदूर अंचलों में छोटे आदिवासी किसानों के खेतों में बैलों के माध्यम से बुआई हो रही है। कृषि उपज एवं उद्यानिकी उपज एक साथ खेतों में बोई जा रही है।

कई गांवों में सिर्फ बूंदाबांदी –

मानसून अभी बेहतर स्थिति में नहीं है। कई क्षेत्रों में महज बूंदाबांदी ही दर्ज की गई है। सिर्फ धार क्षेत्र में करीब 5 इंच बारिश दर्ज की गई है। वहीं कई गांव अभी बारिश का इंतजार कर रहे हैं कि कब बारिश होगी और कब बोवनी शुरू होगी।

इसके अलावा मनावर में सवा 5 इंच के लगभग बारिश हुई है। इन दो क्षेत्रों को छोड़कर अन्य कृषि प्रधान क्षेत्रों में बदनावर में 3 इंच, तिरला में 2 इंच, नालछा में 2 इंच, गंधवानी में 3 इंच बारिश हुई है। धरमपुरी में महज सवा इंच बारिश पूरे जून माह में दर्ज की गई है।

डीजल ने महंगी की खेती –

जिले में मजदूर आधारित खेती का चलन कम हो रहा है। खेती में बोवनी से लेकर कटाई तक ट्रैक्टर, थ्रेशर, हार्वेस्टर का उपयोग बढ़ गया है। जिन किसानों के पास यह साधन नहीं हैं, वे किराये पर साधन लेकर खेती कर रहे हैं। ऐसे में खेती-किसानी में खर्चें बढ़ गए हैं।

जहां खेतों में एक घंटा ट्रैक्टर से हकाई के लिए 600 रुपये खर्च करना पड़ते थे वहां अब 800 रुपये खर्च करना पड़ रहे हैं। यह सब डीजल के दाम बढ़ने के कारण हुआ है।

किसानों के लिए यह राहत रही है कि उर्वरकों पर दोगुना होने वाली वृद्धि को फिलहाल सरकार ने रोक दिया है, अन्यथा इसका असर किसान के मुनाफे से लेकर आम आदमी की खरीदी और सरकार की समर्थन मूल्य की खरीदी दाम पर पड़ता।

पर्याप्त मात्रा में है उर्वरक –

जिले में करीब सवा पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी होना है। अभी तक पौने तीन लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है। जिले में पदस्थ कृषि अधिकारी स्वाति रॉय ने बताया कि जिले में खाद की पर्याप्त व्यवस्था की जा चुकी है।

किसानों को जरूरत के हिसाब से खाद देने का काम भी चल रहा है। अधिकारी किसानों को स्टॉक की बजाय मांग के अनुसार खरीदी के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जिले को एक लाख 80 हजार 400 मीट्रिक टन उर्वरक लक्ष्य रखा गया है।

किसान जैसे-जैसे बारिश होती जा रही वैसे-वैसे बोवनी कर रहे हैं। अभी तक 60 प्रतिशत बोवनी ज़िले में हुई है। कई जगह बारिश नहीं हुई है इसलिए बोवनी नहीं की है। जैसे ही बारिश होती है किसान बोवनी करेंगे।

– आरएल जामरे, उपसंचालक, कृषि विभाग, धार


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