जिले में अब पुरानी रजिस्ट्रयां को डिजिटल करने का कार्य इस वर्ष से जिला पंजीयक विभाग ने शुरू कर दिया है। वित्तीय वर्ष का लक्ष्य पूरा करने के साथ कर्मचारी व अधिकारी रजिस्ट्री ऑनलाइन करने का कार्य कर रहे है। क्योंकि पुरानी रजिस्ट्रयों के डिजिटल हो जाने से व्यक्ति आसानी से रजिस्ट्री देख सकेंगा और उसकी प्रतिलिपि निकाल भी सकेगा।
धार पंजीयक प्रभात बाजपेई ने बताया कि वर्तमान में अगस्त 2015 के बाद की ई-रजिस्ट्रियां ही ऑनलाइन सर्च की जा सकती है और उनकी सत्यप्रति डाउनलोड की जा सकती है। इससे पूर्व रजिस्ट्रियां फिजिकल स्टाम्प और पेपर पर लिखी जाती थी। ये रजिस्ट्रियां अभी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। इनके लिए संबंधित उप पंजीयक कार्यालय जाना पड़ता है। ऑनलाइन सर्च और सत्यापित प्रति प्राप्त होने से आम नागरिक आसानी से अपनी प्रापर्टी के दस्तावेज, कोई बंधक या भार आदि के विषय में जानकारी ले सकेंगे।
2015 के बाद की प्रॉपर्टी रजिस्ट्री ऑनलाइन होंगी: पंजीयक और स्टाम्प विभाग के पास 2015 के बाद की रजिस्ट्रियों का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध है। अब इसके पहले की रजिस्ट्रियों को भी स्कैन कर डिजिटल फॉर्मेट में डेटा बेस तैयार किया जा रहा है। इसके लिए फर्म का चयन कर लिया गया है। रजिस्ट्री की हॉर्ड कापी को स्कैन करने का काम फर्म जून माह से शुरू कर दिया था। जानकारी के अनुसार शुरुआत में 2015 से पिछले 20 सालों का कृषि भूमि की रजिस्ट्री और पिछले 15 सालों की रेसिडेंशियल रजिस्ट्री को डिजिटल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद जनता को ऑनलाइन ही एक क्लिक पर रजिस्ट्री की सत्यापित कॉपी उपलब्ध होगी। पहली बार 1908 में रजिस्ट्रेशन एक्ट बना था, तब से रजिस्ट्री हो रही विभाग की योजना है कि सन 1990 तक का रिकॉर्ड धीरे-धीरे डिजिटल कर दिया जाए।
आसान हुआ काम कहि से भी निकाल सकते रजिस्ट्रियां: आधुनिक समय के साथ आधुनिकता के संसाधनों के साथ अब विभाग भी अपने कदम बढ़ा रहा है इसकी तहत ही अब आवेदक किसी भी शहर की रजिस्ट्री प्राप्त कर सकता है वर्तमान में किसी दूसरे शहर में 2015 की रजिस्ट्री को सर्च करने के लिए वहां जाकर 50 रुपये फीस देकर आवेदन देना होता है। जहां इंडेक्स सर्चिंग के बाद सत्यापित कॉपी मिलती है। अब इस पहल से पुरानी रजिस्ट्रियां भी किसी भी शहर में बैठ कर ऑनलाइन सर्च की जा सकेंगी और उसकी तय फीस का भुगतान कर सत्यापित कॉपी डाउनलोड कर सकेंगे।
आग व रिकॉर्ड रखने की चुनौती होगी समाप्त: विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ई-डिजिटल रजिस्ट्रियां होने से पुराने और जर्जर हो चुके रिकॉर्ड को संभालने की चुनौती पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। बताया जा रहा है कि एक आयु के बाद पेपर खराब होने लगते है और स्याही धुंधली हाने से रिकॉर्ड का संरक्षण करना विभाग के लिए चुनौती वाला कार्य हो जाता है। रिकॉर्ड के ऑनलाइन होने से किसी भी तरह कांट-छांट और अग्नि आदि से होने वाली दुर्घटनाओं की आशंका समाप्त हो जाएगा। धार जिले में लगभग 2 लाख 20 हजार रजिस्ट्रियों को ऑनलाइन करने के लिए पंजीयन विभाग ने तैयारी के साथ कार्य कर रहे है। इसके लिए पहले चरण में सन 1 अप्रैल 2006 से 31 जुलाई 2015 तक की रजिस्ट्रियों को स्केन करके पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
ई-रजिस्ट्री होने से धोखाधड़ी कम हुई: अगस्त 2015 से मैन्युअल रजिस्ट्री को बंद करने के बाद संपदा सॉफ्टवेयर की मदद से ई-रजिस्ट्री के लिए सर्विस प्रोवाइडर स्लॉट बुक कर रजिस्ट्री करते हैं। नई व्यवस्था से प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में धोखाधड़ी कम हो गई है। लोगों के समय की बचत हो रही है। जबकि पहले लोगों को रजिस्ट्री कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। शुरुआत में वर्ष 2000 से 2015 तक की मैन्युअल रजिस्ट्री को डिजिटल किया जा रहा है। अगस्त 2015 से प्रदेश में ई-रजिस्ट्री की सुविधा शुरू हुई थी।
कहां कितनी रजिस्ट्रियां…
धार – 2 लाख 10 हजार
रतलाम – 1 लाख 80 हजार 500
झाबुआ – 66 हजार 606
डिजिटल रजिस्ट्रियां होने से विभाग का समय बचेगा। साथ ही पंजीयक कार्यालय आने वाले लोगों का रुपए भी बचेंगे। विभाग ने इस कार्य को शुरू कर दिया है। जल्द ही डिजिटल रजिस्ट्रियां ऑनलाइन कार्य पूर्ण कर लेंगे।