जिले में सीटी स्कैन मशीन न होने से परेशान जनता और प्रशासन


ऐसे बहुत से संदिग्ध संक्रमित हैं जो  निजी सिटी स्केन सेंटरों पर कोरोना टेस्ट करवाने जा रहे हैं और संक्रमण की जानकारी लेकर अपने घरों में ही इलाज कर रहे हैं। इस दौरान बहुत से लोग पूरी तरह आईसोलेट रहने के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।


आशीष यादव
धार Published On :

धार।  जिले में इन दिनों कोरोना के सरकारी आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। यह आंकड़ा काफी बड़ा है लेकिन जानकारों के मुताबिक स्थिति इससे भी विकट है क्योंकि इलाज के लिए कोरोना संक्रमित कई जगह जा रहे हैं और ज़ाहिर है कि वे कहीं न कहीं अपना संक्रमण बांट भी रहे हैं। यह सब इलाज के लिए सुविधाओं में कमी के चलते ज्यादा हो रहा है और सबसे बड़ी परेशानी है सीटी स्कैन मशीन का न होना।

ऐसे बहुत से संदिग्ध संक्रमित हैं जो  निजी सिटी स्केन सेंटरों पर कोरोना टेस्ट करवाने जा रहे हैं और संक्रमण की जानकारी लेकर अपने घरों में ही इलाज कर रहे हैं। इस दौरान बहुत से लोग पूरी तरह आईसोलेट रहने के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति को रोकना मुश्किल है क्योंकि न तो संक्रमित अपने बारे में जानकारी प्रशासन को दे रहे है और न ही सीटी स्कैन मशीन के संचालक। हालांकि इस खतरे से प्रशासन भी अंजान नहीं है लेकिन इसके बावजूद इस बारे में जानकारी प्रशासन इन संचालकों से नहीं ले रहा है।

ऐसा अगर होता है तो प्रशासन के पास संक्रमण का सही आंकड़ा होगा और उन्हें वायरस कंट्रोल करने में कुछ हद तक और मदद मिल सकती है।

जिला प्रशासन ने पिछले साल कोरोना मरीजों को पहचानने के लिए हर मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों को निश्चित नियम तय किये थे। जिसकी बदौलत प्रशासन के पास कुछ बेहतर जानकारी आ सकी।

यह प्रक्रिया अभी भी जारी है लेकिन सीटी स्कैन करने वाले निजी लैब इसमें फिलहाल शामिल नहीं है और ये लैब इस बार सबसे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां संदिग्ध संक्रमितों की भीड़ लगी हुई है।

पिछले साल कोरोना काल में निजी अस्पतालों सहित उनके वेंटिलेटर तक अधिग्रहण किए गए थे लेकिन इस साल जब सबसे अधिक आवश्यकता सीटी स्कैन मशीन की है तो प्रशासन को इनकी भी सेवाएं लेनी चाहिए ताकि मरीज़ों की जानकारी के मामले में पारदर्शिता बनी रहे। इससे लोगों को इस कठिन समय में आर्थिक रुप से भी मदद मिलेगी।

जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन है लेकिन वह सालों से बंद पड़ी है। अधिकारी इसके लिए खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

वहीं मशीन नहीं होने आर्थिक रुप से कमज़ोर लोगों पर इसका बोझ बढ़ रहा है। आदिवासी बहुल आबादी वाले इस जिले में  मुख्यालय पर एक भी सीटी स्कैन की मशीन नहीं है।

प्रशासन इन मशीनों को अधिगृहीत करता या खरीदता  है तो जिले के माननीय सांसद और विधायक अपनी सालाना विकास निधि से इसका भुगतान आसानी से कर सकते हैं।

 

सीटी स्कैन मशीन करीब डेढ़ करोड़ रुपए की आती है। हमने उच्चाधिकारियों को इसे लेकर कई बार पत्राचार किया है।   उनके माध्यम से व्यवस्था की बात की जा रही है, लेकिन अभी तक मशीन उपलब्ध नहीं हुई है। अस्पताल की पुरानी सीटी स्कैन मशीन अब सुधरने लायख भी नही रह गई है। हमारे पूरे प्रयास है कि इस सुविधा को भी लागू किया जाए।

डॉ सलोनी सिड़ाना, एडीएम धार


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