घोड़ारोज यानी नीलगाय मालवा इलाके में किसानों के लिए खासी परेशानी बना हुआ है। किसानों की यह समस्या अब कुछ और बड़ी होती जा रही है। देश के शानदार ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में गिना जाने वाला पीथमपुर का नेट्रिक्स भी इससे परेशान है। यहां हर तरह के वाहनों की टेस्टिंग होती है, उनकी गति की को परखा जाता है लेकिन अब इस काम के बीच नीलगाय आ रहीं हैं।
पीथमपुर में बने हाइ स्पीड टेस्टिंग ट्रैक के आसपास नीलगायों की संख्या बढ़ने से खतरा बढ़ गया है। अब इस समस्या से निपटने के लिए नीलगायों को पकड़ कर उन्हें मन्दसौर के जंगलों में छोड़ा जा रहा है क्योंकि आसपास के इलाके में बड़ी संख्या में नीलगाय हैं जो कि अचानक ही अगर ट्रैक पर आ सकती हैं और ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
ट्रैक पर इसी खतरे को देखते हुए अब वन विभाग सक्रिय हुआ है। डीएफओ महेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि नीलगाय एक बड़ा जानवर है। उसका शिकार सिर्फ टाइगर ही कर सकता है। पीथमपुर के आसपास टाइगर नहीं है इसी के चलते उनकी संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इसी को देखते हुए विभाग ने एक निर्णय लिया है कि उन्हें ऐसे इलाकों में शिफ्ट कर दिया जाए जहां पर बाघ का मूवमेंट हो। इस तरह से उनका प्राकृतिक शिकारी मिल जाएगा और संख्या पर भी अपने आप ही नियंत्रण हो जाएगा। इसी के चलते विभाग अब इन गायों को मंदसौर में शिफ्ट कर रहा है।
किसान भी हैं परेशान: वन विभाग ने टेस्टिंग ट्रैक की समस्या तो हल कर दी, लेकिन नीलगायों से आसपास के ग्रामीण इलाकों के किसान परेशान हैं, क्योंकि उनका झुंड खेतों में घुसता है तो पूरी फसल को नष्ट कर देता है। इस परेशानी को लेकर किसान कई बार अधिकारियों का गुहार लगा चुके हैं।
पिछले दिनों जिला मुख्यालय पर घोडारोज को लेकर धरना देने आए थे वही एडीएम के कहने पर आंदोलन स्थिगत करने के लिए कहा वहीं जिले की 100 से ज्यादा गांव है। जहां लाखों हेक्टेयर खेती की जमीन है। घोड़ारोज की संख्या हजारों है। इनका आंकलन करना मुश्किल हैं। किसान संघ के लोगो में बताया कि घोड़ारोज का आंकड़ा 8 हजार से भी अधिक का है। औसतन एक गांव में 50 से अधिक घोडारोज का झुंड रहता है।
इनके तांडव से किसानों को सोयाबीन में 1से अधिक क्विंटल प्रति बीघा तो गेहूं में 2 से 3 क्विंटल प्रतिबीघा का नुकसान हो रहा है। जहां की जमीम सिंचित है वहां नुकसानी ज्यादा है। प्रतिवर्ष एक गांव में लाख रूपए से अधिक की फसल का नुकसान घोड़ारोज के कारण होता है। मुआवजे के लिए किसान सालों से आवेदन दे रहे, लेकिन आज तक मुआवजे का प्रावधान नहीं होना बताकर वंचित रखा जा रहा।
किसान संघ के जिला मीडिया प्रभारी अमोल पाटीदार ने बताया जिले में घोड़ा रोज फसल पर लेटकर व दौड़ कर नुकसान पहुंचाते हैं। घोड़ा रोज फसलों को कम खाता है। झुंड के साथ आकर फसल को नष्ट कर निकल जाते है। यह अधिकांश तुवर व मक्का फसल को खाते हैं। इसके चलते किसानों ने यह फसल लेना ही बंद कर दी। गेहूं, चने, मटर, आलु, लहसुन, प्याज फसल को खाते कम लेकिन लोट लगाकर नुकसान पहुंचाते है।