धार। जिले में 21 से 27 नवंबर तक नवजात शिशु सप्ताह मनाया जाएगा जिसके अंतर्गत जिले में एसएनसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) तथा ब्लॉक की स्वास्थ्य संस्थाओं में एनबीएसयू तथा प्रसव केंद्रों पर एनबीसीसी का चेकलिस्ट अनुसार असिस्मेंट किया जाएगा।
नवजात शिशु देखभाल के संबंध में गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल माताओं को स्तनपान की सलाह देना, टीकाकरण बर्थ डोज, साफ सफाई खतरे के आम चिन्ह, कंगारू मदर केयर एसएनसीयू से डिस्चार्ज शिशुओं का गृह आधारित फॉलोअप अभिभावकों को प्रेरित करने से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जाएगी।
राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के उपलक्ष्य में सीएमएचओ डॉ. शिरीष रघुवंशी एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी एवं विकासखंड चिकित्साधिकारी डॉ. अशोक पटेल ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिरला में उपस्थित स्टाफ एवं प्रसूताओं को शिशु जन्म के समय स्तनपान, छ: माह तक केवल स्तनपान (पानी, शहद, दूध, घुटटी कुछ नहीं), छ: माह बाद पूरक पोषाहार जैसे दलिया, चावल आदि, दो वर्ष तक नियमित स्तनपान अथवा शिशु जब तक चाहे, कंगारू मदर केयर, इंजेक्शन जेंटामाईसिन एमाक्सीसिलीन का उपयोग (चिकित्सीय परामर्श अनुसार) एसएनसीयू, एनबीएसयू, एनबीसीसी में नवजात शिशु की देखभाल और डिस्चार्ज शिशुओं का फॉलोअप, समय पर टीकाकरण, आशा द्वारा गृह आधारित नवजात शिशु की देखभाल, शिशु जन्म के तीसरे, पांचवे, सातवें, चौदहवे, ईक्कीसवें, अट्ठाइसवें दिन टीकाकरण किया जाना आदि ऐसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेप हैं जिनके क्रियान्वयन से नवजात शिशु की मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
21 नवंबर से 4 दिसंबर तक किया जाएगा पुरुष नसबंदी पखवाड़े का आयोजन –
सीएमएचओ डॉ. शिरीष रघुवंशी ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 21 नवंबर से 4 दिसंबर तक पुरुष नसबंदी पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा।
पखवाड़े के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर योग्य दंपत्ति को बास्केट ऑफ चॉइस के आधार पर परिवार कल्याण साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा और उनकी इच्छा अनुसार परिवार कल्याण संबंधी सेवाएं निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
कार्यक्रम की इस वर्ष की थीम ”अब पुरुष निभाएंगे जिम्मेदारी, परिवार नियोजन अपनाकर दिखाएंगे अपनी भागीदारी” निर्धारित की गई है। पखवाड़े के दौरान जिला चिकित्सालय सहित स्वास्थ संस्थाओ में पुरुष नसबंदी के इच्छुक हितग्राहियों को सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
परिवार कल्याण कार्यक्रम अंतर्गत पुरुष नसबंदी के लिए हितग्राही को 3 हजार रूपये की राशि, प्रसव पश्चात 7 दिन के भीतर ऑपरेशन कराने वाली महिला हितग्राही को 3 हजार रूपये की राशि, सामान्य रूप से महिला नसबंदी कराने वाले हितग्राही को 2 हजार 200 रूपये की राशि, अंतरा इंजेक्शन लगवाने वाले महिला हितग्राही को 100 रूपये की राशि प्रदान की जाती है।
इसके अतिरिक्त आईयूसीडी, प्रसव पश्चात आईयूसीडी तथा निरोध एवं माला एन तथा छाया की गोलियों आदि संबधी साधन अपनाने के लिए भी दंपत्तियों को प्रेरित किया जाएगा तथा उनको उनकी इच्छा अनुसार साधनों के संबंध में सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अशोक पटेल ने बताया कि पुरुष नसबंदी अनचाहे गर्भ से बचने का सबसे आसान तथा असरदार तरीका है, नसबंदी के बाद शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा, लिंग मे तनाव, चरम सीमा का आनंद तथा वीर्य की मात्रा जस की तस बनी रहती है।
बिना शुक्राणु के गर्भधारण नहीं हो पाता है। दर्द रहित बिना टाका-बिना चीरा बेहद आसान पद्धति है। केवल 20 मिनट लगते हैं, अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं रहती है।
नसबंदी के बाद पुरुष अकेला चलकर घर जाने की स्थिति में होता है। शारीरिक कमजोरी नहीं आती है। यौन क्षमता में कोई कमी नहीं आती। पुरूष नसबंदी की सुविधा के लिए नजदीकी शासकीय अस्पताल में संपर्क कर सकते हैं।