शहर की दर्जनों कॉलोनियों में नगरपालिका कर रही जांच, कई में पाई गईं गड़बड़ियां


कॉलोनियों में जांच के दौरान विकास पूर्णता प्रमाणपत्र हासिल ना करने वाले कॉलोनाईजरों द्वारा बंधक रखे प्लॉट और विकास संबंधी कार्यों की जांच रिपोर्ट को कलेक्टर स्वयं देख रहे हैं।


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धार Published On :
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धार। कॉलोनियां बसाने के दौरान मूलभूत सुविधाओं को नजरअंदाज करने वाले कॉलोनाईजरों की अब खैर नहीं है। जिला प्रशासन के निर्देश पर नगरपालिका का अमला शहर की दर्जनों कॉलोनियों में विकास कार्यों का निरीक्षण एवं बंधक प्लॉटों की स्थितियों को जांच रहा है।

फिलहाल 3 कॉलोनियों में विकास कार्यों की जानकारी निकाली गई है। इनमें कई अनियमिता पाई गई है। कहीं बगीचे के नाम पर सिर्फ बाउंड्रीवाल बना दी गई है। कहीं पर पेयजल सप्लाई की व्यवस्था सही नहीं है।

कुछ स्थानों पर ड्रेनेज सिस्टम भी टूटा-फूटा पाया गया है। अब ऐसे कॉलोनियों में विकास पूर्णता प्रमाणपत्र जारी करने के पहले अधूरे कामों को पूर्ण कराया जाएगा।

इससे कॉलोनी के रहवासियों को समस्याओं से निजात मिलेगी। उल्लेखनीय है कि कॉलोनियों में प्लॉट-मकान बेचने के दौरान सर्वसविुधायुक्त जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

हकीकत में सर्वसुविधा नहीं होती है। फिलहाल जिन 3 कॉलोनियों की जांच की गई है उसमें महालक्ष्मी नगर, डिवाइन पार्क कॉलोनी, क्विंस पार्क कॉलोनी का नाम है। इसके अतिरिक्त शिव विहार, बालाजी, रामकृष्ण नगर सहित कई कॉलोनियों की जांच हो रही है।

बगीचे की जमीनें बेच दीं

शहर में यदि कॉलोनियों के बगीचों की जानकारी निकाली जाए तो कई कॉलोनियों में कॉलोनाईजरों ने बगीचे की जमीन पर प्लॉट काटकर बेच दिए हैं। इधर शहर की सबसे पहली पॉश कॉलोनी त्रिमूर्तिनगर में दोतरफा जांच की जा रही है।

एक आवेदन इस क्षेत्र में राजा भोज द्वारा निर्मित तालाब होने की जांच का है। वहीं दूसरा निम्न आय वर्ग के लोगों के वर्ग लिए आरक्षित प्लॉटों के विक्रय का है।

फिलहाल तालाब वाले मामले में त्रिमूर्ति नगर के कॉलोनाईजर को राहत मिल रही है। दरअसल सन 58 एवं उसके बाद के रिकॉर्ड में जमीन निजी पाई गई है। ऐसी स्थिति में यदि तालाब होगा भी तो निजी भूमि पर हो सकता है। फिलहाल तालाब का रिकॉर्ड भी नहीं है।

चाणक्यपुरी, अपैक्स भी जांच दायरे में

कॉलोनियों की जांच का मुख्य उद्देश्य भूव्यवसाय की आड़ में कानूनों से खेलने वाले लोगों की गलतियों को उजागर करना है। वहीं नागरिकों के हित में कॉलोनाईजर द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं को लागू कराना है।

कॉलोनियों के जांच दायरे में चाणक्यपुरी कॉलोनी और उससे सटी अपैक्स कम्पाउंड कॉलोनी भी शामिल है। इनमें बगीचे और ऐमिनिटीज की जमीन विक्रय सहित उद्यान विकसित ना करने और बुनियादी सुविधाएं मुहैया ना करने की शिकायत है। अपैक्स कॉलोनी में जमीन अफरा – तफरी मामले में पुलिस रिकॉर्ड में फरार घोषित भूव्यवसायी का हस्तक्षेप रहा है।

कलेक्टर स्वयं कर रहे हैं मॉनिटरिंग –

कॉलोनियों में जांच के दौरान विकास पूर्णता प्रमाणपत्र हासिल ना करने वाले कॉलोनाईजरों द्वारा बंधक रखे प्लॉट और विकास संबंधी कार्यों की जांच रिपोर्ट को कलेक्टर स्वयं देख रहे हैं। इससे उम्मीदे बंधी है कि गलत काम करने वाले कार्रवाई के शिकार होंगे। वहीं नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं मिलने वाली हैं।

3 कामों पर विशेष फोकस

नगरपालिका का अमला पिछले कई दिनों से कॉलोनियों में जांच कर रहा है। इनमें बुनियादी सुविधा पेयजल, ड्रैनेज और उद्यान को प्राथमिकता में रखा गया है। इसके अतिरिक्त ऐमिनिटीज के लिए छोड़ी गई जमीनों की भी जानकारी जुटाई जा रही है।

सूत्रों की माने तो एक कॉलोनी में विकास पूर्णता प्रमाणपत्र को लेकर हाईकोर्ट से पत्र जारी हुआ है जिसके बाद इस कॉलोनी में जांच की गई तो उद्यान के नाम पर बाउंड्रीवाल का ढांचा पाया गया है। वहीं अन्य कमियां भी पाई गई हैं।

कुल मिलाकर विकास कार्य पूर्ण नहीं हैं। इस कॉलोनी में दो पुलिस थाना क्षेत्रों में दर्ज मामलों में फरार एक भूव्यवसायी की पूरी दखलअंदाजी रही है। हालांकि कागजों पर दर्ज नहीं है।



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