प्रदेश में लाडली बहना की लहर के बाद भी धार जिले में दो सीटों पर सिमटी भाजपा तो कांग्रेस गढ़ बचाने में कामयाब


इन जिलों से अधिकांश सीटें कांग्रेस के पास आई है। इनमें धार से पांच तो झाबुआ में दो अलीराजपुर में एक सीट कांग्रेस ने जीतीं हैं।


आशीष यादव
धार Published On :
धार जिले में केवल दो सीटें भाजपा को मिली हैं यहां नीना वर्मा लगातार चौथी बार अपनी सीट बचाने में कामयाब हुई हैं।


धार जिले की पहचान प्रदेश में एक अपनी अलग पहचान रखता है मगर यहां हर बार की तरह इस बार भी भाजपा को दो खुश सीटों को जीतकर खुश होना पड़ा तो वहीं कांग्रेस ने अपनी पारंपरिक की सीटों को फिर अपने पास रखा वहीं राजनीतिक मायनो में देखा जाए तो धार झाबुआ अलीराजपुर हमेशा की तरह इस बार भी कांग्रेस के पक्ष में रहा है।

इन जिलों से अधिकांश सीटें कांग्रेस के पास आई है। इनमें धार से पांच तो झाबुआ में दो अलीराजपुर में एक सीट कांग्रेस ने जीतीं हैं। वहीं विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद जल्द ही मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल का शपथ विधि कार्यक्रम होगा। ऐसे में मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका हैं, इस बार धार विधानसभा को भी मंत्री पद मिलने की उम्मीद है क्योंकि प्रदेश की वरिष्ठ महिला विधायकों में धार से चुनाव जीतने वालीं नीना वर्मा का नाम भी सूची में शामिल हैं, लगातार चौथी बार नीना वर्मा ने यह चुनाव जीता है और धार को भाजपा का मजबूत इलाका बना दिया है।

जिले में सबसे बड़ी जीत भाजपा को धार सीट से ही मिली हैं, जिले की सात में से मात्र दो सीट ही भाजपा जीत पाई हैं। धरमपुरी सीट से जीते विधायक कालूसिंह ठाकुर केवल 356 वोटों से विजय हुए हैं, ऐसे में उनकी बजाय प्रदेश संगठन धार की महिला विधायक पर भरोसा करके मंत्री बना सकता है।

बागी के बावजूद चुनाव जीता: धार विधानसभा का चुनाव इस बार मुकाबला बड़ा रोचक रहा है। यहां से पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव भी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में थे, भाजपा का बागी होने के बाद भी पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी ने चुनाव जीता है। नीना वर्मा ने कांग्रेस की प्रभा गौतम सहित पूरे परिवार को भी लगातार चौथी बार चुनाव हराया है। ऐसे में आदिवासी बाहुल्य जिले धार में भाजपा को एक मंत्री पद देना होगा, उपचुनाव के बाद भाजपा ने बदनावर के विधायक दत्तीगांव को मंत्री मंडल में शामिल किया था। हालांकि दत्तीगांव चुनाव अब हार चुके है। अब वर्मा समर्थक मंत्री पद को लेकर उत्साहित दिख रहे है।

संगठन होने के बाद भी हारे बदनावरः जिले की दूसरी सबसे बडी सीट बदनावर में भाजपा की हार हुई हैं, यहां पर भाजपा को भीतर घात के कारण हार मिल चुकी है। भाजपा प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव 2976 वोटों से चुनाव हारे हैं, जबकि जिले में सबसे अधिक पद बदनावर के नेताओं के पास ही है। सामान्य सीट होने के कारण जिले का दूसरा सबसे बडा शक्ति केंद्र बदनावर ही रहा है। वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज सोमानी, युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष जय सूर्या, राज्यमंत्री राजेश अग्रवाल, अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष बदनावर विधनसभा से ही है। साथ ही दत्तीगांव प्रदेश में उद्योग मंत्री भी थे, इसके बावजूद भाजपा को यहां से हार मिली है। इतने नेताओं के जिले सहित प्रदेश की राजनीति करने के बाद भी भाजपा को भाजपा के ही लोगों ने यहां से हरा दिया है।

कुक्षी व गंधवानी बने कांग्रेस के गढ: जिले की दो विधानसभा अब कांग्रेस का गढ बन चुकी हैं, गंधवानी व कुक्षी सीट से लगातार कांग्रेस के ही प्रत्याशी चुनाव जीत रहे है। गंधवानी से उमंग सिंघार लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं, जबकि प्रदेश भाजपा संगठन ने इस सीट पर प्रत्याशी के लिए अधिक मेहनत की थी। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय लगातार दौरे सहित सभा भी कर चुके थे, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी रोड शो किया था, इसके बावजूद लोगों ने कांग्रेस का ही साथ दिया। इसी तरह की स्थिति कुक्षी विधानसभा सीट पर भी हैं, यहां से भाजपा ने प्रदेश संगठन मंत्री जयदीप पटेल को प्रत्याशी बनाया था, आचार संहिता लगने के पहले ही जयदीप के नाम की घोषणा हो चुकी थी। जिसके कारण पटेल को चुनाव प्रचार के लिए अतिरिक्तह समय भी मिला, इसके बावजूद पटेल चुनाव हार गए। कुक्षी से सुरेंद्रसिंह बघेल लगातार तीसरी बार चुनाव जीते है। सरदारपुर में कांग्रेस से प्रताप ग्रेवाल ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता हैं, हालांकि उनकी जीत का आंकडा पिछले चुनाव से कम हुआ है। मगर यहाँ से वेलसिंह पर भाजपा ने मैदान में उतारा था मगर लोगो का कहना है चहरा नया होता तो भाजपा यहा से जीत जाती।

मनावर में कम से हुई हार: मनावर से कांग्रेस प्रत्याशी व जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा चुनाव जीते हैं, यहां से भाजपा प्रत्याशी परमेश्वर शिवराम कन्नौज को महज 708 वोटों से हराया है। पिछला चुनाव संरक्षक अलावा 40 हजार के करीब वोटों से जीते थे, इस मर्तबा युवा चेहरे को भाजपा ने मौका दिया। गृहमंत्री शाह ने भी यहां पर एक चुनावी सभा को संबोधित कर चुके थे, जिसके कारण ही कांग्रेस कम वोटो से ही चुनाव जीती है। इसी प्रकार की स्थिति धरमपुरी में भी रही हैं, यहां से भाजपा प्रत्याशी भी कम वोटों से चुनाव जीते है। मगर यहां भी भाजपा प्रत्याशी को भीतर घात का सामना करना पड़ा वहीं बाजारों में चर्चाओं का दौर है कन्नौज को भी भाजपा के वही के पदाधिकारी को प्रदेश के बड़े नेताओं नेताओं ने चुनाव हराया है।


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