धार जिले में इस बार का विधानसभा चुनाव काफी कश्मकश भरा है। 17 नंबम्बर को मतदाताओं ने अपना वोट देकर प्रत्याशियों के भाग्य को ईवीएम में कैद कर दिया था जिसका फैसला 3 दिसम्बर को भाग्य जा उदय होगा। वहीं कई ऐसी सीटें हैं जहां मुकाबला त्रिकोणीय और काफी करीबी का माना जा रहा है।
ऐसे में कई प्रत्याशियों के सामने इस बार के चुनाव परिणाम उनके राजनीतिक कैरियर का पारा काफी नीचे ला सकते हैं। अगर स्थिति अच्छी नहीं रही तो उनका राजनीतिक कैरियर शून्य पर आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। धार , बदनावर, मनावार विधानसभा जिले की सबसे हॉट सीट बन गई है।
ओपीएस पर सरकारी कर्मचारियों की निगाहों के साथ जातीय समीकरणों पर सवार इस चुनाव में मुख्य मुकाबले में धार से केंद्रीय मंत्री की पत्नी मैदान में है तो भाजपा के बागी प्रत्याशी राजीव यादव इस बार उनको चुनोतियाँ दी हैं वहीं कांग्रेस से प्रभा बालमुकुंद गौतम चुनाव मैदान में थीं तो उनके सामने कांग्रेस पार्टी के कुलदीप सिंह बुंदेला विरोध में थे।
वहीं बदनावर से राजवर्धनसिंह दत्तीगांव व कांग्रेस से भंवरसिंह शेखावत के बीच काटे की टक्कर है। इस बार सातों विधानसभाओं में जिले सभी कद्दावर नेता मैदान में हैं। उनके लिए यह चुनाव जीतना उनके भविष्य की उड़ान तय करेगा। यह अपने क्षेत्र के पूरे जिले के चुनावी राजनीति के कुशल खिलाड़ी माने जाते हैं। सभी को पार्टियों भरोसे से चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में उनकी राजनीति का बहुत कुछ दांव पर लगा है।
विधानसभा चुनाव परिणाम आने को अब कुछ ही समय शेष है। ऐसे में 3 दिसंबर का लोगों को बेसब्री से इंतजार बना हुआ है। वैसे चुनाव संपन्न होने के दिन से ही समर्थक अपने अपने प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित मान रहे है। लेकिन चुनाव के परिणाम तक सभी के आंकडों में हेरफेर हो गया। अभी कार्यकर्ताओं व नेताओं ने पोस्ट डालना कम कर दी है। उधर सट्टा बाजार में जमकर दांव लगाए जा रहे है। चौराहे चौराहे पर एक दूसरे से हार जीत की शर्ते लग रहे है। अब सभी का फेकस चुनाव परिणाम पर है। आज की रात प्रत्याशियों के बढ़ी भारी जाने वाली है।
धार विधानसभा
धार विधानसभा इस बार पूरे जिले का केंद्र है। यहां काफी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां दोनों प्रमुख दावेदार के अलावा दोनों ही पार्टी के बागी प्रत्याशी भी मैदान में थे। ऐसे में दोनों प्रमुख पार्टियों के वोट के साथ ही इन बागियों द्वारा लाएं गए वोटों पर भी सबकी निगाह बनी रहेगी। ऐसा माना जा रहा है कि जिस पार्टी के बागी ने अधिक वोट अर्जित किए। वह उसी की पार्टी के लिए खतरे के संकेत है। लेकिन राजनीतिक में कुछ कहा नहीं जा सकता कुछ भी हो सकता है। वैसे दोनों बागी प्रत्याशी भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे है।
बदनावर विधानसभा
बदनावर विधानसभा में भी काफी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां दोनों ही प्रत्याशी पुराने है। दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड चुके है। बस इस बार दोनों ने अपनी पार्टी बदली है। यहां चुनाव में कड़ी टक्कर देखने को मिली। चुनाव में बाद दोनों ही पार्टी के समर्थक अपने अपने प्रत्याशी को हजार में जीत का दांवा जरुर करते दिख रहे है। लेकिन मुकाबला काफी कडा है। इस चुनाव में भाजपा में जमकर भीतरघात हुआ। कई ने खुलकर पार्टी के खिलाफ कार्य किया तो कुछ ने अंदर अंदर पार्टी को नुकसान पहुंचाया। वहीं कांग्रेस में भीतरघात की खबर अंदरखाने से मिल रही है। ऐसे जहां भाजपा को भाजपा वाले से ही खतरा दिखाई दे रहा है तो वहीं कांग्रेस को कांग्रेस से। यहां का चुनाव अलग ही अंदाज में हुआ। दोनों पार्टियां अपने वोटरों से ज्यादा विपक्षी वोटरों को साधने में दिखी। ऐसे में परिणाम दिलचस्प आने की उम्मीद है।
सरदारपुर विधानसभा
सरदारपुर विधानसभा में भी इस बार कडा मुकाबला देखने को मिला। यहां से मजबूत माने जाने प्रत्याशी प्रताप ग्रेवाल की मुश्किले भाजपा प्रत्याशी की घोषणा के बाद से बढ गई। ग्रेवाल क्षेत्र से विधायक है उनके कार्यकाल में ऐसा कोई आरोप प्रत्यारोप उन पर नहीं रहा। ईमानदार छवि होने के कारण वे काफी मजबूत माने जा रहे थे। लेकिन भूरिया को टिकट मिलने के बाद मुकाबला बराबरी पर आ गया। भूरिया को पूरी विधानसभा का पुराना अनुभव साथ मे सरकारी की जनकल्याणकारी योजनाएं उनके लिए मजबूत पक्ष रही। दोनों में अच्छा मुकाबला देखने को मिलेगा।
धरमपुरी विधानसभा
धरमपुरी विधानसभा में त्रिकोणीय संघर्ष है। यहां भाजपा से कालूसिंह, कांग्रेस से पांचीलाल मेढा के अलावा कांग्रेस से संबंध रखने वाली महिला नेत्री राजू बेन मैदान मे है। यदि राजूबेन अधिक वोट लाती है तो यह मेढा की परेशानी बढा सकती है। मेढा वर्तमान में क्षेत्र के विधायक रहे है। वहीं कालूसिंह भी पूर्व विधायक रहे है। जो पहली लिस्ट में नाम फाइनल होने होते मैदान पर उतर गए थे व जनता के बीच सरकार की योजनाओं को बताकर कार्य किए।
मनावर विधानसभा
मनावर विधानसभा से भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के शिवराम कन्नौज व कांग्रेस के डॉ हिरालाल अलावा के बीच है। लेकिन लालसिंह बर्मन यहां का गणित बिगाड सकते है। उधर स्थानीय विधायक की मांग का फायदा भी कन्नौज को मिल सकता है। वही कन्नौज युवा चहरे है। इस सीट पर जिले के साथ साथ प्रदेशभर की नजर टिकी हुई है क्योंकि अलावा भी यही से चुनाव मैदान में है। अलग अलावा चुनाव हारते है तो इसका सीधा प्रभाव उनके राजनीतिक केरियर पर पड़ेगा।
गंधवानी विधानसभा
गंधवानी विधानसभा में मुकाबला कांग्रेस के उमंग सिंघार व भाजपा के सरदारसिंह के बीच नजर आ रहा है। भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत झौक दी है। राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं की नजर इस सीट पर है। यहां दोनों प्रत्याशी पुराने है। देखते है इस बार उंट किस करवट बैठता है यह बताना तो मुश्किल भरा होगा मगर इस बार इस सीट पर दोनों प्रत्याशी के लिए जीत आसान नहीं है । वही उमंग यहाँ से जीते तो सरकार में अहम भूमिका में होंगे और सरदार मेड़ा जीते तो कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
कुक्षी विधानसभा
कुक्षी विधानसभा में इस बार भाजपा द्वार जबर्दस्त प्रयोग किया गया है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता हनी बघेल के सामने भाजपा के युवा नेता जयदीप पटेल को मैदान में उतारा गया है। यहा भी जीत हार का अंतर काफी मायने रखता है। भाजपा के लिए कुक्षी व गंधवानी दोनों सीट इस बार काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रदेश स्तर से इन दोनो सीटों पर फोकस बना हुआ है। इन सीटों पर प्रत्याशी भी सबसे पहले घोषणा की थी वही घोषणा के बाद से ही प्रत्याशी चुनाव प्रचार में लग गए थे। जनता के बीच जाकर प्रदेश सरकार के कल्याणकारी योजनाओं को जनता के बीच में रखा। लगातार क्षेत्र में प्रचार भी किया। अगर जयदीप यहा से चुनाव जीतेते है तो देश प्रदेश में उनके नाम का डंका बजेगा। क्योकि यह सीट पर काग्रेस की परंपरागत सीट है। यहा बहुत कम बार बीजेपी जीती है।