धार जिले के नर्मदा किनारे स्थित चंदनखेड़ी के मेघनाद घाट को अब नदी पर्यटन का मुख्य केंद्र बनाने की तैयारी है। यहां से गुजरात के केवड़िया स्थित स्टेच्यू ऑफ यूनिटी तक क्रूज संचालन के लिए पर्यटन विभाग चार करोड़ रुपये की लागत से डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कर रहा है। योजना के तहत क्रूज संचालन से पहले मेघनाद घाट पर सभी आवश्यक सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। इस 120 किमी लंबे जलमार्ग के जरिए मध्य प्रदेश का पहला अंतरप्रांतीय जलमार्ग बनेगा। इस परियोजना के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग और गुजरात सरकार के बीच एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी तक के लिए मेघनाद घाट पर पोंटून तैयार
इस जलमार्ग पर दोनों राज्यों की सरकारों द्वारा दो-दो फ्लोटिंग जेटी (पोंटून) क्रूज टर्मिनल के रूप में स्थापित की जाएंगी। मध्य प्रदेश को दो पोंटून प्राप्त हो गए हैं, जो मेघनाद घाट पर खड़े हैं। जल्द ही गुजरात को भी अपने पोंटून मिल जाएंगे। पर्यटन विभाग ने नर्मदा किनारे रिसॉर्ट निर्माण के लिए मेघनाद घाट और आलीराजपुर जिले के ककराना क्षेत्र में भूमि उपलब्ध कराने के लिए निविदा जारी की है। एक कंपनी की टीम ने इस क्षेत्र का दौरा किया और अमित महाजन के अनुसार, मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ रिसॉर्ट निर्माण पर चर्चा जारी है।
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डीपीआर में फ्लोटिंग पुल और अन्य सुविधाएं शामिल:
भोपाल से पर्यटन विभाग के सलाहकार अनिमेष श्रीवास्तव ने बताया कि मेघनाद घाट पर क्रूज संचालन के लिए चार करोड़ रुपये की लागत से डीपीआर तैयार कर ली गई है। इसमें जेटी तक पहुंचने के लिए फ्लोटिंग पुल, क्रूज के लिए स्टैंडिंग एरिया और अन्य आवश्यक सुविधाएं शामिल होंगी। पहले चरण में डीपीआर पूरी की गई है, और क्रूज संचालन के लिए विभिन्न कंपनियों से बात चल रही है।
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मेघनाद घाट से ओंकारेश्वर तक सड़क मार्ग:
मेघनाद घाट से ओंकारेश्वर तक के सड़क मार्ग में बाग गुफाएं, डायनासोर पार्क, मांडू, महेश्वर और धार जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल शामिल किए जाएंगे। क्रूज संचालन के साथ गुजरात और मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल भी जोड़े जाएंगे, ताकि पर्यटकों को अधिक सुविधाएं और अनुभव मिल सके।
परियोजना की विशेषताएं:
- गुजरात की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर स्थित स्टेच्यू ऑफ वननेस को जलमार्ग से जोड़ा जाएगा।
- केवड़िया से मेघनाद घाट तक 120 किमी की यात्रा क्रूज से होगी, और ओंकारेश्वर तक की यात्रा बस द्वारा पूरी करवाई जाएगी।
- 120 किमी लंबे इस जलमार्ग में तीन जगह पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति से परिचित कराने के लिए क्रूज से उतारने की योजना है।
मंजूरी के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था:
क्रूज संचालन के लिए वन विभाग, जल संसाधन विभाग और एनवीडीए से मंजूरी आवश्यक है। मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा। क्रूज संचालित करने वाली कंपनियों के लिए सिंगल विंडो प्रणाली से मंजूरी प्रक्रिया सरल की जाएगी। क्रूज के लिए स्टॉपेज और पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार भी योजना का हिस्सा है।