मांडू की खुरासानी इमली को मिल सकती है राष्ट्रीय पहचान, जीआई टेग के लिए हुआ आवेदन


मध्य प्रदेश के मांडू की दुर्लभ खुरासानी इमली (बाओबाब फल) को जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन किया गया है। इससे इसे राष्ट्रीय पहचान मिलेगी और किसानों को आर्थिक लाभ होगा।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक नगर मांडू अपनी समृद्ध विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। अब यहां की एक विशिष्ट पहचान खुरासानी इमली (बाओबाब फल) को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इसे जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग दिलाने के लिए आवेदन किया गया है। हाल ही में उज्जैन में हुई एक बैठक में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों ने इस पर विचार-विमर्श किया।

15 जिलों के उत्पादों पर हुई चर्चा

उज्जैन में “एक जिला – एक उत्पाद” योजना के तहत 15 जिलों के उत्पादों पर चर्चा हुई। इनमें धार जिले की खुरासानी इमली भी शामिल थी। इसके अलावा अन्य जिलों के कई उत्पादों को भी जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन किया गया। इनमें शामिल हैं:

 

  • खरगोन की मिर्ची
  • रतलाम का मावली गराड़ू
  • सैलाना की बालम ककड़ी
  • सिवनी का सीताफल
  • जबलपुर का सिंघाड़ा और जबलपुर मटर
  • देवास का मालवी आलू
  • नरसिंहपुर का बरमान घाट का भट्टा
  • बैतूल का गाजरिया आम
  • सतना की खूरचन
  • इंदौर का जीरावन मसाला
  • बुरहानपुर का केला

 

खुरासानी इमली: एक दुर्लभ औषधीय फल

खुरासानी इमली, जिसे बाओबाब फल भी कहा जाता है, एक औषधीय गुणों से भरपूर दुर्लभ फल है। यह केवल मांडू क्षेत्र में ही प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। यहां लगभग 1000 पेड़ हैं, जो इस क्षेत्र की विशेष जलवायु में पनपते हैं।

इतिहासकारों के अनुसार, 1400 ईस्वी के आसपास अफगान शासकों ने इस पौधे को उपहार स्वरूप अलाउद्दीन खिलजी को दिया था, जिन्होंने इसे मांडू में लगाया। यह फल पोषण से भरपूर होता है और इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सिडेंट्स, कैल्शियम और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

 

जीआई टैग मिलने के संभावित लाभ

  • खुरासानी इमली को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
  • नकली और सस्ते विकल्पों से असली उत्पाद की रक्षा होगी।
  • किसानों और उत्पादकों को बेहतर दाम मिलेंगे।
  • खुरासानी इमली को औषधीय और पोषण संबंधी उत्पादों में शामिल करने के नए अवसर बनेंगे।

 

 

क्या है जीआई टैग?

जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग किसी उत्पाद को उसकी भौगोलिक विशेषता और गुणवत्ता के आधार पर कानूनी पहचान दिलाने का प्रमाण पत्र होता है। इससे यह तय किया जाता है कि यह उत्पाद केवल उसी क्षेत्र में बना हो और उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित हो।

 

अगर खुरासानी इमली को जीआई टैग मिल जाता है, तो यह मांडू के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और इस क्षेत्र के किसानों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा।

 



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