धार। विश्व में अपनी ऐतिहासिक इमारतों और प्राकृतिक सौंदर्य के बूते पहचान बनाने वाला मांडू इस बार फिर उत्सव के लिए तैयार हो रहा है, लेकिन बीते वर्षों में बनी परंपरा इस बार भी देखने को मिल रही है।
मध्यप्रदेश टूरिज्म विभाग इस आयोजन को करता है इसलिए उसकी सारी व्यवस्थाएं और कलाकारों का जुड़ाव भी बड़े स्तर पर होता है। ऐसे में स्थानीय और क्षेत्रीय कलाकारों को मांडू उत्सव में मंच नहीं मिल पाता है। इस कारण मांडू का स्थानीय व्यक्ति ही इस उत्सव से दूर रहता है।
गत वर्ष भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिली थी। इस बार दोबारा 30 दिसंबर से आयोजन प्रस्तावित है। ऐसे में जरूरी है कि आयोजन से स्थानीय लोगों को भी जोड़ा जाए ताकि मांडू उत्सव के उद्देश्य की पूर्ति हो सके।
पर्यटक विभाग की उदासीनता के चलते मांडू उत्सव की रंगत इस बार फीकी नजर आ रही है। करोड़ों रुपये ख़र्चकर आयोजन करने वाले पांच दिवसीय मांडू उत्सव की शुरुआत होने में मात्र कुछ दिन बचे हैं।
आलम यह है कि उत्सव कराने के लिए अब तक टेंडर प्रक्रिया ही चल रही है। आधिकारिक तौर पर अब तक एजेंसी ही तय नहीं हुई है। दुनिया भर में मांडू उत्सव के प्रचार करने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
ना कलाकार और कार्यक्रम तय हुए हैं न अतिथि। कला प्रेमियों में निराशा देखने को मिल रही है। विपरीत परिस्थितियों के कारण उत्सव शुरू होने के पहले ही उसकी सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं।
इस पांच दिवसीय मांडू उत्सव में सांस्कृतिक आयोजनों के साथ यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स, ग्रामीण पर्यटन से सैलानियों को रूबरू कराने, योगा, साइकिलिंग, हेरिटेज वॉक, स्टोरी टेलिंग, ट्रैकिंग, चित्रकला प्रदर्शनी, फोटो प्रदर्शनी जैसी गतिविधियां कराने की बात भी सामने आ रही है।
उत्सव के दौरान यहां टेंट सिटी भी लगाई जाएगी। इन सभी गतिविधियों को लेकर अब तक धरातल पर कोई तैयारी देखने को नहीं मिल रही है।
जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ –
मध्यप्रदेश पर्यटन मंत्रालय ने 30 दिसंबर से 3 जनवरी तक 5 दिवसीय मांडू उत्सव की तिथियों की घोषणा कर दी है, लेकिन इस आयोजन को लेकर हास्यास्पद स्थिति निर्मित हो रही है।
टेंडर की प्रक्रिया लेट लतीफ होने के कारण अब तक आधिकारिक तौर पर मांडू उत्सव करवाने वाली एजेंसी ही तय नहीं हुई है। हालांकि ऊपरी तौर पर पिछले तीन सालों से उत्सव आयोजित कर रही ई-फेक्टर एंटरटेनमेंट का नाम तय माना जा रहा है।
पर्यटन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले एक-दो दिन में टेंडर ओपन होंगे। उसके बाद इस काम को करने वाली कंपनी पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने 21 दिसंबर को अपना प्रेजेंटेशन देगी। उसके बाद ही मांडू में जमीनी स्तर पर तैयारियां देखने को मिल सकती है।
उत्सव का प्रचार, घोषणाएं हवा-हवाई –
रानी रूपमती मार्ग पर जिस स्थान पर मांडू उत्सव आयोजित होना है अभी तक वहां घास भी साफ नहीं हुई है। पर्यटन विभाग का कोई भी जवाबदार अधिकारी अब तक मांडू उत्सव की तैयारियां देखने नहीं आया है।
बीते हर वर्ष मांडू उत्सव के मंच से मंत्रियों और अधिकारियों द्वारा आगामी मांडू उत्सव के प्रचार प्रसार और वृहद आयोजन को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई थी, लेकिन घोषणाएं धरी की धरी रह गईं।
सवाल यह है कि मात्र 2 सप्ताह में मांडू उत्सव को देश और दुनिया में कैसे प्रचारित करेंगे ताकि इस उत्सव में लोग शिरकत कर सके। हर बार की तरह इस बार भी मांडू उत्सव के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया यहां देखने को मिल रहा है। हर बार की तरह इस बार भी आने वाले पर्यटकों निराश हाथ लगेगी।
पर्यटन विभाग के कैलेंडर में नहीं मांडू उत्सव –
मांडू को लेकर हर आयोजन और पर्यटन से जुड़े मामलों में पर्यटन विभाग का उपेक्षापूर्ण रवैया हमेशा देखने को मिलता है। यहां बुनियादी और पर्यटन सुविधाएं बदहाली का शिकार हैं। मांडू उत्सव को लेकर भी हमेशा यही स्थिति रही है।
हालात यह है कि मांडू उत्सव को अब तक मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने आयोजित होने वाले उत्सव के कैलेंडर में ही शुमार नहीं किया है जबकि प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों पर आयोजित होने वाले उत्सवों को तवज्जो दी गई है। कला प्रेमियों का कहना है कि मांडू उत्सव को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूरी तवज्जो मिलनी चाहिए।