धार। धार व झाबुआ दो जिलों में वाचनालय की शुरुआत होगी। किस्से-कहानियों से मिलेगी नैतिक और विज्ञान सहित अन्य प्रकार की शिक्षा। सरकारी स्कूलों में अब बच्चों को पाठ्यक्रम की पुस्तकों से अलग उनकी रूचि की किस्से-कहानियों की पुस्तकें भी पढ़ने को मिलेंगी।
इसके लिए प्रदेश के दो जिले धार और झाबुआ के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में ‘वाचनालय’ स्थापित होंगे। वाचनालय में रोचक, ज्ञानवर्द्धक एवं नैतिक शिक्षा आधारित पुस्तकें होंगी।
वाचनालयों की पुस्तकें नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा तय करके भेजी गई हैं। जिले के 13 ब्लॉकों के करीब साढ़े तीन हजार प्राथमिक-माध्यमिक विद्यालय के लिए लाखों पुस्तकें धार पहुंच गई हैं।
सीईओ के विचार ने लिया आकार –
धार में जिला पंचायत सीईओ आशीष वशिष्ठ पिछले कई समय से बैठकों के माध्यम से शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों को शालाओं में वाचनालय स्थापित करने हेतु निर्देशित कर रहे थे।
वाचनालय में पुस्तकों के रखरखाव हेतु पुराने रैक व अन्य सामग्रियों के उपयोग सहित कई बिंदुओं पर चर्चा की जाती थी। सीईओ के विचार को शिक्षा विभाग ने ही आकार दे दिया है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत अब एक-दो नहीं बल्कि जिले की 3 हजार 88 प्राथमिक शालाएं और 453 माध्यमिक विद्यालयों के लिए 150 से 200 पुस्तकों का सेट पहुंच चुका है।
3 शिक्षक तैयार करेंगे पठन का शेड्यूल –
पिछले डेढ़ वर्ष से कोरोना महामारी के कारण शालाओं में अध्यापन कार्य बंद है। इसके बावजूद बच्चों का शिक्षा से नाता जुड़ा रहे, इसके लिए विभाग द्वारा पाठ्यक्रम की पुस्तकें प्रत्येक विद्यार्थी के घर तक पहुंचाई गई हैं।
इसके साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी कराई जा रही है। हालांकि आदिवासी बाहुल्य धार जिले में ऑनलाइन से सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई कागजी आंकड़े भरने भर के लिए हैं। हकीकत में जिले में अनेकों ऐसे सुदूर क्षेत्र एवं शालाएं हैं जहां तक मोबाइल की रेंज भी नहीं पहुंच पाती है।
इधर वाचनालय प्रारंभ होने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ इसमें बच्चों को जोड़ने की प्रक्रिया पर भी चर्चा होने लगी है। सूत्रों की मानें तो नियमित शाला प्रारंभ होने के बाद विद्यालय के शिक्षक ही तय करेंगे कि नियमित अध्यापन के दौरान किस तरह बच्चों को वाचनालय से जोड़ा जाए।
जिले में वाचनालय स्थापित करने के लिए पुस्तकें आ चुकी हैं। सभी पुस्तकें एनबीटी ऑफ इंडिया की ओर से आई हैं। माध्यमिक के लिए करीब 160 पुस्तकों का सेट है और इसी तरह प्राथमिक शालाओं के बच्चों के लिए पुस्तकों के सेट विद्यालय पहुंची है।
– कमल सिंह ठाकुर, एपीसी, सर्व शिक्षा अभियान, धार