प्रदेशभर में और जिले में भी इन दिनों खाद को लेकर किसानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। खाद की कमी का आलम ऐसा है कि किसान सुबह से शाम तक खाद के लिए सोसाइटी और केंद्रों पर लाइन में खड़े रहते हैं, फिर भी उन्हें अपनी आवश्यकता के अनुसार खाद नहीं मिल पाता। इसी को लेकर धार जिले के भारतीय किसान संघ ने कृषि कार्यालय के अंदर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। किसान संघ ने छह सूत्रीय मांगें रखीं, जिनके समाधान के लिए अधिकारियों ने पांच दिन का आश्वासन दिया। इसके जवाब में किसान संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हम आपको सात दिन का समय देते हैं। यदि इस अवधि में समाधान नहीं निकला, तो कार्यालय के मुख्य गेट पर धरना दिया जाएगा।
जमीन पर बैठकर सुनी किसानों की परेशानी
किसान संघ के पदाधिकारी कृषि विभाग के कार्यालय में धरने पर बैठे थे। शाम को डीडीए ज्ञानसिंह मोहनिया और जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक के.के. रायकवार, प्रवीण मूंदड़ा ने जमीन पर बैठकर किसानों की समस्याएं सुनीं और खाद की उचित व्यवस्था का आश्वासन दिया। साथ ही, किसानों को वैकल्पिक खादों का उपयोग करने का सुझाव भी दिया। अधिकारियों ने कहा कि जिले में खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रैक की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी।
खाद की कमी से परेशान हैं किसान
किसानों की मांगों पर कार्यवाही नहीं होने से नाराज़ भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया, जो शाम तक जारी रहा। कलेक्ट्रेट स्थित कृषि विभाग कार्यालय परिसर में बने टीन शेड में पदाधिकारी और किसान धरने पर बैठे रहे। किसानों की शिकायत है कि अधिकारी उनकी समस्याएं सुनने को तैयार नहीं हैं और अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। संघ के अमूल पाटीदार ने बताया कि एक सप्ताह पहले भारतीय किसान संघ ने कलेक्टर के नाम 6 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा था। जब इन मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो किसान संघ ने धरना शुरू किया।
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एनपीके और डीएपी नहीं मिल रहा
जिले में रासायनिक खाद डीएपी, 12.32.16 और 18:46 खाद की आपूर्ति में कमी है। किसानों को वैकल्पिक खाद जैसे 20.20.00.13, 15.15.15, 16.16, और 10.26.26 की पेशकश की जा रही है, जबकि उनकी मांग नहीं है। किसानों को नैनो यूरिया लिक्विड जबरन न दिए जाने की मांग भी की गई है।
इस वर्ष सोयाबीन की फसल में अतिवृष्टि के कारण भारी नुकसान हुआ है। किसान संघ ने मांग की है कि इस नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा जल्द से जल्द दिया जाए और एक महीने के भीतर बीमा क्लेम का भुगतान हो। अमूल पाटीदार के अनुसार, इससे पहले 15 अक्टूबर को जनसुनवाई में किसानों ने अपनी सोयाबीन की फसल के नुकसान का सर्वे करवाने के लिए आवेदन दिए थे, लेकिन अभी तक सर्वे नहीं हुआ। किसानों को मुआवजा देने की मांग के साथ-साथ जले हुए विद्युत ट्रांसफार्मर को समय पर बदलने और डिवीजनों पर विद्युत उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी मांग की गई है।