खरमोर की उड़ान थमी, किसानों की जमीन पर अधिकार अधूरा


मध्यप्रदेश के धार जिले का खरमोर अभ्यारण्य दुर्लभ पक्षी लेसर फ्लोरिकन के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन पिछले दो साल से एक भी पक्षी नहीं दिखा। किसानों की जमीनों पर अधिकार का मुद्दा भी गर्माया हुआ है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

मध्यप्रदेश के धार जिले की सरदारपुर तहसील स्थित खरमोर अभ्यारण्य, जो दुर्लभ पक्षी लेसर फ्लोरिकन (खरमोर) के संरक्षण के लिए बनाया गया था, आज खुद अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। इस अभयारण्य में पिछले दो साल से एक भी खरमोर नहीं दिखा है। इसके साथ ही, यहां रहने वाले किसानों को उनकी जमीनों पर अधिकार न मिलने से भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

1983 में स्थापित इस अभ्यारण्य का उद्देश्य दुर्लभ खरमोर पक्षी के लिए अनुकूल पर्यावरण तैयार करना था। लेकिन, पिछले चार दशकों में इस प्रोजेक्ट को सफलता नहीं मिली। वन विभाग के अनुसार, विंड मिल की बढ़ती संख्या, शहरीकरण और खेती का विस्तार, इन पक्षियों के न आने के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
खरमोर पक्षी अपने अद्वितीय प्रजनन व्यवहार और छलांगों के लिए जाना जाता है। लेकिन अब इनकी संख्या चिंताजनक रूप से घट रही है। 2022 में मात्र पांच खरमोर देखे गए, और 2023-24 में इनमें से एक भी पक्षी नहीं आया।

किसानों की समस्या: जमीन पर अधिकार का अभाव

अभ्यारण्य के आसपास बसे 14 गांवों के किसानों की जमीनें 40 साल पहले अभ्यारण्य के लिए आरक्षित कर दी गई थीं। इन जमीनों की खरीदी-बिक्री पर रोक है, लेकिन किसानों को इसका कोई मुआवजा या अधिकार नहीं मिला। किसान इन जमीनों पर लोन भी नहीं ले सकते और सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं उठा पाते।

खरमोर अभ्यारण्य: संरक्षित क्षेत्र और चुनौतियां

खरमोर के लिए 1983 में 35,000 हेक्टेयर जमीन को आरक्षित किया गया था, लेकिन अब यह सिमटकर 348 हेक्टेयर रह गई है। इसमें से 548 हेक्टेयर वन विभाग के अधीन है। बरसात के मौसम में जब खरमोर के आने की संभावना होती है, तो किसानों को खेती करने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

खरमोर के न आने के पीछे कई कारण सामने आए हैं:

  1. विंड मिल का बढ़ता शोर: पंखों से निकलने वाली आवाज और टर्बाइन की गूंज पक्षियों को डराती है।
  2. तेजी से बढ़ता मानव हस्तक्षेप: वाहनों की बढ़ती आवाजाही और किसानों के परिवारों की बढ़ती संख्या ने खरमोर को दूर कर दिया।
  3. ग्लोबल वार्मिंग: अनियमित और देर से होने वाली बारिश भी एक बड़ी समस्या है।

 

खरमोर की साल-दर-साल घटती संख्या

वर्ष संख्या
2009 32
2012 12
2020 06
2022 05
2023 00
2024 00

 

क्या किया जा सकता है?

  1. पुनर्वास योजनाएं: किसानों को उनकी जमीनों का उचित मुआवजा और अधिकार दिया जाए।
  2. विंड मिल का पुनर्नियोजन: अभयारण्य के आसपास विंड मिल की संख्या कम की जाए।
  3. स्थानीय लोगों की भागीदारी: संरक्षण योजनाओं में स्थानीय किसानों को शामिल किया जाए।
  4. शोध और सर्वेक्षण: खरमोर की उपस्थिति बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय और जैविक शोध किए जाएं।



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