धार। जिला अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं को जानने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए भोपाल से दो सदस्यीय टीम जिला अस्पताल पहुंची। टीम ने जिला अस्पताल के वार्डों का बारीकी से निरीक्षण कर दस्तावेजों को खंगाला।
टीम ने अस्पताल के अलग-अलग वार्डो का जायाजा लिया। टीम ने कई वार्डों में गंदगी और दीवारों पर जालों को देखकर नाराजगी जाहिर की। हालांकि यह फाइनल सर्वे नहीं है, यह फाइनल के पहले की तैयारियों का रिव्यू सर्वे है।
अस्पताल प्रबंधन ने जिन वार्डों में टीम का सर्वे होना था, उन्हें तो कांच की तरह सजा दिया, लेकिन अस्पताल के कई हिस्सों में गंदगी फैली थी जिसकी अस्पताल प्रबंधन ने सुध तक नहीं ली।
अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड के बाहर तीन स्थानों पर सफाईकर्मियों ने कचरे के ढेर लगा दिए थे जिससे मरीजों और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
कायाकल्प की दो सदस्यीय टीम के डॉक्टर ज्योति सिमलोट और डॉक्टर अभिषेक जिनवाल दोपहर के समय जिला अस्पताल पहुंचे, सबसे पहले डॉक्टरों की टीम ने पीपीटी कक्ष पहुंची जहां प्रोजेक्टर के माध्यम से टीम ने पूरे अस्पताल की जानकारी हासिल की।
इसके बाद टीम अस्पताल ने अस्पताल में सर्वे शुरू किया। सबसे पहले टीम के सदस्य मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की जानकारी लेने अस्पताल के कीचन में पहुंचे और खाने की गुणवत्ता और अन्य चीजों की जानकारी हासिल की।
इसके बाद टीम के सदस्य जिला अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में संचलित इमरजेंसी ओपीडी में पहुंचे, टीम ने आपातकाल में लाए जाने वाले मरीजों की देखभाल और उनको दिए जाने वाले उपचार की जानकारी हासिल की।
गंदगी देख जताई नाराजगी, खामियों को दुरुस्त करने के निर्देश –
टीम के सदस्यों ने दवाई वितरण केंद्र, एसएनसीयू वार्ड, पीकू वार्ड, चिल्ड्रन वार्ड, गायनिक, लेबर रुम, ट्रामा सेंटर, मेल सर्जिकल वार्डों का एक-एक कर निरीक्षण किया और संबंधित वार्डों के रजिस्टर चेक कर स्टाफ नर्सों से जानकारी हासिल कर दस्तावेज भी खंगाले।
वहीं मरीजों के साथ व हॉस्पिटल आने वाले लोगों के लिए बाहर पानी की सुविधा के लिए टंकी रखी गई है मगर उक्त टंकी की हालत खराब थी व आसपास गंदगी पसरी हुई थी जिसको लेकर भी टीम ने नाराजगी व्यक्त की।
ठीक से ग्लब्स नहीं पहन पाई नर्स, फायर सिस्टर की हालात भी खराब –
टीम के सदस्यों ने निरीक्षण के दौरान स्टाफ नर्स से ग्लब्स को पहनकर दिखाने को कहा जिस पर नर्स काफी देर तक ग्लब्स को पहनती रही। टीम के सदस्यों ने नर्सों को सही से ग्लब्स पहनकर बताए।
इसके बाद अस्पताल में लगा फायर सिस्टम भी चेक किया गया। काफी समय तक स्टाफ फायर सिस्टर को दीवार पर से नहीं निकाल पाया। जिस पर टीम के सदस्यों ने फायर सिस्टम और स्टाफ नर्सों को सुधार के निर्देश दिए। टीम के साथ जिला अस्पताल का स्टाफ मौजूद था।
सर्वे के दौरान बंद थी एक्सरे मशीन, मरीज होते रहे परेशान –
भोपाल से आई टीम के सदस्य एक तरफ तो अस्पताल को मरीजों की मिलने वाली सुविधाओं और उसमें सुधार करने की बात करते रहे, दूसरी और ट्रॉमा सेंटर में लगी एक्सरे मशीन के खराब होने से मरीजों परेशान होते रहे।
दूर-दराज के आए मरीज मशीन सुधारने का घंटों इंतजार करते रहे जिसके बाद स्टाफ ने मशीन वाले रुम के बाहर मशीन खराब होने की सूचना चस्पा कर दी।
कई वार्डों में नहीं मिले डॉक्टर –
एक ओर टीम सर्वे कर रही थी वहीं दूसरी ओर मरीज परेशान होते नजर आ रहे थे। हर बार की तरह इस बार भी जिला अस्पताल में अधिकांश डॉक्टर मौजूद नहीं थे।
जब प्रतिनिधि ने हर वार्डों में जाकर देखा तो अधिकांश वार्डों में नर्स ही नजर आ रही थी व जिम्मेदार डॉक्टर गैरमौजूद नजर आए। एक ओर आगे टीम सर्वे कर रही थी ओर पीछे से डॉक्टर व स्टाफ गायब होते जा रहे थे।
2 बजे से पहले ही डॉक्टर अपने केबिन में कुंडी लगाकर चले गए थे। जिला हॉस्पिटल में आज भी वही हाल देखने को मिला जैसा हमेशा मिलता है।