धार जिले में सरकारी हॉस्टलों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। सोमवार को कुक्षी के एकलव्य आवासीय विद्यालय में नाश्ता करने के बाद 26 विद्यार्थी बीमार हो गए। इनमें से पांच को बड़वानी रेफर किया गया, जबकि 21 विद्यार्थियों का इलाज कुक्षी के अस्पताल में हो रहा है। सभी बच्चों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
घटना का विवरण:
सुबह 9 बजे नाश्ते के बाद विद्यार्थियों की तबीयत बिगड़ने लगी। दोपहर 1 बजे उन्हें सिविल अस्पताल ले जाया गया। एसडीएम, टीआई, और तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर बच्चों की स्थिति का जायजा लिया। डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच में दूषित पानी और नाश्ता को कारण बताया है। पेयजल और नाश्ता सामग्री की जांच की जा रही है।
बिगड़ी तबीयत वाले विद्यार्थी:
ग्राम आमल झुमल के सीटर हॉस्टल में कक्षा 6वीं से 12वीं तक के 351 छात्र रहते हैं। नाश्ता लेने के बाद पहले 6 और फिर 20 विद्यार्थी बीमार पड़े। गंभीर स्थिति में युवराज, प्रतिज्ञा, मनीषा, श्रीराम और नीलम को बड़वानी अस्पताल रेफर किया गया। कुक्षी सिविल अस्पताल में निशा, रंजीत सिंह जामोद, आशी, धर्मेंद्र मंडलोई, दिव्यांशी, दिनेश, शीतल, मुकेश, कृष्णा, सुरेश, पारुल, जुवान सिंह, विनोद, सूरज, शिवम, सुखराम, यशराम, दयाराम, अनिता, अलावा, हेमा, शोभाराम, रोहित, राजेंद्र, प्रद्युम्न, राकेश, सोनल, विकास, कन्हैया, वीरेंद्र, सोलंकी, कृष्णा, माधवसिंह, राजकुमार, कैलाश, भाग्यश्री, मनोज, प्रमिला, खरते, अनिल, देवीसिंह भर्ती हैं।
कार्रवाई:
एसडीएम प्रमोद सिंह गुर्जर ने बताया कि हॉस्टल के पेयजल स्रोत और नाश्ता सामग्री की जांच की जाएगी। नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। लापरवाही सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर मिश्रा की कार्रवाई:
धार कलेक्टर ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अमल झूमल में बच्चों की तबीयत खराब होने की घटना को लेकर प्राचार्य और अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। उन्होंने जांच टीम गठित की है जिसमें सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य, जिला आपूर्ति अधिकारी, और जिला पेंशन अधिकारी शामिल हैं। यह टीम घटना की जांच करेगी।
विधायक बघेल का पत्र:
कुक्षी विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल ने कलेक्टर को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में घटित घटना का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में भोजन में कीड़े और दूषित भोजन की शिकायतें प्राचार्य से की गई थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। विधायक ने आश्रमों में चिकित्सीय व्यवस्थाएं सुधारने और नियमित मेडिकल जांच की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव न पड़े।