प्रदेश के चंदेरी, हनुमंतिया, कूनो, गांधी सागर के साथ तमाम पर्यटन स्थलों पर उत्सवों की बयार बह रही है पर यूनेस्को विश्व विरासत की संभावित सूची में शामिल ऐतिहासिक पर्यटन स्थल मांडू में आयोजित होने वाला मांडू उत्सव विभाग की अनदेखी का शिकार है।
मांडू उत्सव 2023-24 पर संकट के बादल छाए हुए हैं। उत्सव का आयोजन कराने वाला पर्यटन बोर्ड और पर्यटन विभाग अब तक उत्सव की तारीख तो ठीक यह भी बताने में समर्थ नहीं है कि उत्सव के लिए री-टेंडरिंग की प्रक्रिया कब शुरू होगी।
मध्य प्रदेश के छोटे-छोटे पर्यटन स्थलों पर करोड़ों के बजट से उत्सव करवाए जा रहे हैं ताकि उन्हें प्रमोट किया जा सके पर मध्य प्रदेश में अपनी अमिट छाप रखने वाले मांडू उत्सव को लेकर अभी तक कोई चोल चाल तक नहीं होने से कला प्रेमी निराश हैं। पहले मांडू उत्सव को लेकर यह कहा गया कि विधानसभा के चुनाव की आचार संहिता है चुनाव संपन्न होने के बाद कहा गया कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद विचार होगा।
अब मंत्रिमंडल और नई सरकार के गठन के बाद भी मांडू उत्सव की तिथि घोषित नहीं की जा रही है। पर्यटन से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि यह सारी चीज मांडू उत्सव पर लागू होती है तो फिर अन्य पर्यटन स्थलों पर उत्सव कैसे आयोजित हो रहे हैं। मांडू उत्सव का आयोजन आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के बीच होता है इन दिनों यहां देशभर के पर्यटक आते हैं।
सरकार की घोषणा अधूरी कलैंडरराइज्ड नहीं हुआ मांडू उत्सव: मध्य प्रदेश की सरकार मांडू को लेकर हमेशा घोषणाएं तो करती है पर जमीन पर इसका असर देखने को नहीं मिलता। मध्य प्रदेश की पूर्व पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला और धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा की उपस्थिति में मांडू उत्सव को मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के उत्सवों की सूची में शामिल कर कलैंडराइज्ड करने की घोषणा की थी और इसका बजट बढ़ाने के साथ व्यापक तौर पर मनाने के लिए लगभग एक सप्ताह तक मांडू उत्सव आयोजित करने का समय तय किया गया था।
प्रतिवर्ष 25 दिसंबर से 2 जनवरी तक उत्सव के आयोजन की तिथि तय की थी। ना तो इस दिशा में पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने ध्यान दिया और ना सरकार ने हालात जस के तस बने हुए हैं।
मांडू की अनदेखी: यूनेस्को ने 4 वर्ष पहले मांडू को ऐतिहासिक धरोहरो की संभावित सूची में नामांकित किया था। इसके बाद सरकार के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने मांडू को लेकर बड़े दावे किए थे। पर हालात यह है कि इस दिशा में अब तक आगे कदम नहीं बढ़े हैं।
यूनेस्को में प्रेजेंटेशन के लिए अब तक डोजियर का निर्माण भी नहीं हो पाया है। मांडू मध्य प्रदेश का ऐसा पर्यटन स्थल है जहां इतिहास संस्कृति धर्म वास्तुकला का बिरला संगम देखने को मिलता है। यहां पर्यटन और बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है जिसके कारण पर्यटक का स्तर लगातार गिर रहा है।
रीटेंडरिंग को लेकर हो रहा विचार नहीं अभी कुछ तय नहीं: युवराज पटोले डिप्टी डायरेक्टर मार्केटिंग एंड इवेंट एमपी टूरिज्म बोर्ड का कहना कि मांडू उत्सव को लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है। विभाग रिटेंडरिंग के लिए विचार कर रहा है। फिलहाल रिटेंडरिंग को लेकर तारीख तय नहीं है।लगभग एक माह का समय टेंडर बुलाने में लगेगा उसके बाद प्रेजेंटेशन होगा उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
मांडू उत्सव का आयोजन 2 वर्ष के लिए हमारी कंपनी को मिला था पर हमें बताया गया है कि इस वर्ष रिटेंडरिंग होगा। क्या कारण है इसकी जानकारी नहीं दी गई। जो भी इवेंट कंपनी आए पर मांडू उत्सव का आयोजन होते रहना चाहिए।
राघवेंद्र सिंह इफेक्टर एंटरटेनमेंट
फैक्ट फाइल
- 1988 से मांडू में मालवा उत्सव के नाम से हुई शुरुआत फिर मांडू उत्सव के नाम से लगातार हो रहा आयोजन
- देशभर से कला प्रेमी जुटते हैं मांडू उत्सव में ।
- क्षेत्र की संस्कृति इतिहास की जानकारी के साथ नृत्य और संगीत की सस्ती है महफिल।
- देश के नामी और ख्यात नाम कलाकार करते हैं मंद उत्सव में शिरकत।
- विश्व स्तरीय एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी मजा लेते हैं सैलानी।