भारी बारिश से छात्रावास में भरा पानी, जिम्मेदारों की अनुपस्थिति में भाजपा नेता ने 42 बच्चों की बचाई जान


धार जिले के बड़वान्या गांव में भारी बारिश के कारण शासकीय बालक छात्रावास में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। छात्रावास अधीक्षक की अनुपस्थिति और प्रशासन की लापरवाही के बीच, भाजपा नेता राजू शर्मा और ग्रामीणों ने 42 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें रातभर अपने घर में ठहराया। पानी भरने का मुख्य कारण डही-कुक्षी मार्ग पर चल रहा पुलिया निर्माण था, जिसने स्थिति को और गंभीर बना दिया।


आशीष यादव
धार Updated On :

धार जिले के बड़वान्या गांव में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण शासकीय बालक छात्रावास में अचानक पानी भर गया, जिससे वहां रहने वाले 42 बच्चों की जान पर बन आई। इस अप्रत्याशित स्थिति के कारण बच्चों में दहशत का माहौल बन गया। प्रशासन की ओर से गंभीर लापरवाही का उदाहरण तब सामने आया जब यह पता चला कि छात्रावास अधीक्षक, जिन्हें शासन के निर्देशानुसार रात्रि विश्राम छात्रावास में ही करना था, मौके पर मौजूद नहीं थे।

 

इस संकट की घड़ी में स्थानीय भाजपा नेता राजू शर्मा ने ग्रामीणों के साथ मिलकर बच्चों को सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी संभाली। शर्मा और उनके सहयोगियों ने बाढ़ के पानी के बीच हिम्मत दिखाते हुए सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें अपने निवास पर ठहराने की व्यवस्था की। इस दौरान, बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उन्हें रातभर राजू शर्मा के घर पर रखा गया।

पानी भरने का मुख्य कारण डही-कुक्षी मार्ग पर चल रहा पुलिया निर्माण कार्य था। ग्रामीणों के अनुसार, पहले पुलिया की ऊंचाई अधिक थी, लेकिन वर्तमान निर्माण में इसे काफी नीचे स्लैब डालकर बनाया गया, जिससे पानी का बहाव बाधित हो गया और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।

 

घटना की जानकारी मिलने पर राजू शर्मा ने तुरंत बीईओ डही, प्रमोद कुमार माथुर, से फोन पर संपर्क किया, लेकिन बीईओ ने मामले की गंभीरता को नकारते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और यह भी बताया कि छात्रावास अधीक्षक ने बच्चों के लिए किसी मंदिर में रहने की व्यवस्था कर दी है। हालांकि, वास्तविकता यह थी कि सभी बच्चे पहले ही सुरक्षित रूप से भाजपा नेता के घर पहुंचाए जा चुके थे।

 

रात के अंधेरे में 42 बच्चों को डूबने से बचाने का साहसिक कार्य राजू शर्मा, हकीम भाई बोहरा, सुखराम बघेल और अन्य ग्रामीणों ने मिलकर किया। ग्रामीणों का मानना है कि अगर समय पर ये कदम नहीं उठाए जाते, तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। इस घटना ने प्रशासन की ओर से बरती जा रही लापरवाही और शासन के आदेशों की अनदेखी को उजागर कर दिया है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।


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