धार। एडीएम के रुप में नव पदस्थ आईएएस अधिकारी सलोनी सिड़ाना से स्वास्थ्य महकमे के डॉक्टर्स और कर्मी नाराज़ हैं। सोमवार को अपर कलेक्टर की शिकायत लेकर विभाग के चिकित्सक एवं अन्य कर्मी कलेक्टर आलोक सिंह से मिलने पहुंचे थे।
कलेक्टर टीएल बैठक में व्यस्त थे। चिकित्सकों की सुनवाई के लिए उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर अपर कलेक्टर सिड़ाना को ही भेज दिया। जिनकी शिकायत लेकर स्वास्थ्य कर्मी करने पहुंचे थे।
उन्हें सामने देखकर कुछ देर के लिए चिकित्सक चौंक गए। इसके बाद उन्होंने अपना शिकायती आवेदन एडीएम को सौंपा। आवेदन पढ़ने के बाद एडीएम ने चिकित्सकों को कहा कि इस तरह की कोई बात मेरे द्वारा नहीं कही गई है।
उन्होंने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस बात पर मैं कायम हूं। मेरी संवाद शैली अप्रिय नहीं है। इसके बावजूद इस तरह की शिकायत को लेकर आपके आने से मुझे दुख पहुंचा है।
इसके बाद डीएचओ अशोक पटेल और डॉक्टर बर्मन ने कहा कि मैडम आपके साथ पहली मिटिंग थी। हमें स्वागत बैठक में आपसे प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसके विपरित बातें सुनने को मिली है।
समीक्षा दायित्व वापस लेने की मांगः एडीएम ने आवेदन को डॉक्टरों के समक्ष पढ़ा। इसके बाद उन्होंने सामने खड़े पीआरओ विट्ठल माहेश्वरी से पूछा इस आवेदन की भाषा शिकायती है या यह सामान्य आवेदन है। पीआरओ ने कहा शिकायती है। इसके बाद अपर कलेक्टर ने स्वयं के ऊपर लगे आरोपों को पुन: चिकित्सकों के सामने खारिज किया।
इधर चिकित्सकों ने कहा हम शिकायत नहीं हम बात रखने आए हैं। एडीएम ने कहा आवेदन की शैली तो शिकायती है। यहां पर साथ में काम करने जैसी कोई भावना नहीं दिख रही है। दरअसल आवेदन में यह लिखा गया था कि स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा का दायित्व इन्हें नहीं दिया जाए, अन्यथा पूरा जिला आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
बाग बीएमओ ने कहा निलंबित कर दो हम सबकोः करीब 15 से 20 मिनट तक अपर कलेक्टर और चिकित्सकों में चर्चा हुई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ अनुसुईया गवली पीछे की ओर खड़ी थीं। इन्हें अपर कलेक्टर ने आवाज़ देकर सामने बुलवाया। उन्होंने कहा आप तो मिटिंग में मौजूद नहीं थी।
डॉक्टर गवली ने कहा जो मौजूद लोगों ने बताया विभाग की अधिकारी होने के नाते मुझे साथ खड़े होना पड़ा है। इधर बातचीत के दौरान बाग बीएमओ डॉ. शिंदे ने अपर कलेक्टर से कहा कि आपको सबको निलंबित करना है तो कर दीजिये हम सब लोग तैयार हैं। इसके बाद डॉक्टर शिंदे ने सभी से पूछा तैयार हो और सभी की ओर से हां में जवाब आया।
डॉक्टर शिंदे ने कहा दस्तक अभियान में वे पूरे प्रदेश में अव्वल है। हमसे इस तरह से बात नहीं करनी चाहिये । हम भी क्लॉस-1 अधिकारी हैं। अपर कलेक्टर ने उनका नाम पूछा फिर कहा मैं अभी आई हूं। एक साल तक तबादला नहीं ले सकती हूं। मैंने यह कहा कि जिनको काम नहीं करना है वह तबादला करवा लें।
यह था विवादः 17 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में नव पदस्थ अपर कलेक्टर सलोनी सिड़ाना को स्वागत हेतु आमंत्रित किया गया था।
इस बैठक में जिले के सभी बीपीएम, डीपीएम, बीसीएम, डीएचओ मौजूद थे। इस दौरान एएनसी रजिस्ट्रेशन और मातृ मृत्युदर एवं कारणों के निदान व समीक्षा में संतुष्टिजनक कार्य नहीं होने की बात कहते हुए अपर कलेक्टर ने सभी को लताड़ा था।
चिकित्सकों का आरोप हैं कि पहली मिटिंग में इस तरह की सख्ती की उम्मीद नहीं थी। आवेदन में आरोप लगाया गया है कि अपर कलेक्टर के व्यवहार से मानसिक रूप से प्रताड़ित किए गए हैं।
मातृ मृत्युदर, कुपोषण और एएनसी रजिस्ट्रेशन में धार जिले के आंकड़े संतोषजनक नहीं थे। इसको लेकर मौजूद लोगों को अपनी कार्यप्रणाली में कसावट और सुधार लाने के लिए कहा गया था। निलंबित करने या तबादला करवाने जैसी कोई बात नहीं हुई है। चिकित्सक क्यों नाराज हुए हैं यह सोचकर मैं खुद हैरान हूं। विवाद जैसी कोई बात नहीं है। सभी लोग जिला प्रशासन का हिस्सा हैं। हमारा पूरा फोकस अभी भी इस बात पर है कि योजनाओं के क्रियान्वयन और व्यवस्थाओं के सुधार में कोई भी लापरवाही नहीं हो।
सलोनी सिड़ाना, एडीएम धार
इस मामले में कलेक्टर आलोक सिंह ने स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों को आश्वासन दिया कि वे निडर होकर काम करें लेकिन अच्छी तरह करें और सभी योजनाओं पर पूरा फोकस करें बाकि किसी बात से डरने की ज़रुरत नहीं है।