धार में गिद्धों की संख्या में मामूली सुधार, लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक


धार जिले में हाल ही में हुई गिद्ध गणना में केवल 5 गिद्ध मिले, जो पिछले साल की तुलना में 3 अधिक हैं। जानें, गिद्धों की घटती संख्या के कारण और संरक्षण के उपाय।


आशीष यादव
धार Updated On :

गिद्धों की घटती संख्या पूरे देश के लिए एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता बनी हुई है। धार जिले में हुई गिद्ध गणना के ताजा आंकड़े भी कुछ ऐसा ही संकेत देते हैं। हाल ही में वन विभाग द्वारा की गई तीन दिवसीय गिद्ध गणना के अनुसार, जिले में कुल 5 गिद्ध देखे गए हैं। यह संख्या भले ही बीते वर्ष की तुलना में तीन अधिक है, लेकिन यह अब भी चिंताजनक रूप से कम है।

 

गिद्धों की गणना के नतीजे

गणना के दौरान तीन गिद्ध धार शहर के चाकलिया क्षेत्र में और दो गिद्ध मांडू क्षेत्र में मिले। वन विभाग की विशेष टीमों ने जिलेभर में 96 बीट्स पर गिद्धों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए 151 वनरक्षकों, रेंजरों, एसडीओ, वनपालों और उप वनपालों को तैनात किया था। हालांकि, पूरे जिले में महज पांच गिद्ध मिलना दर्शाता है कि यह प्रजाति अब भी संकट में है।

 

गिद्धों की संख्या घटने के मुख्य कारण

1. डाइक्लोफेनिक दवा का असर:

गिद्धों की संख्या में गिरावट का सबसे बड़ा कारण डाइक्लोफेनिक दवा का उपयोग था। इस दवा का इस्तेमाल मवेशियों के इलाज के लिए किया जाता था, लेकिन जब गिद्ध इन मृत पशुओं का भक्षण करते थे, तो यह उनके लिए जहरीली साबित होती थी। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में गिद्धों की मृत्यु हो गई। सरकार ने इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन इसका असर अब भी देखा जा सकता है।

2. अनुकूल पर्यावास की कमी:

गिद्ध आमतौर पर ऊंचे पेड़ों और पथरीले पहाड़ों पर रहना पसंद करते हैं। धार जिले में इनकी संख्या कम होने का एक कारण यह भी है कि यहां ऐसे स्थानों की उपलब्धता सीमित है।

3. भोजन की अनुपलब्धता:

गिद्ध मुख्य रूप से मृत पशुओं का भोजन करते हैं। लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में मृत पशुओं को तेजी से दफनाया या हटाया जाने लगा है, जिससे गिद्धों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।

 

गर्मी में फिर होगी गिद्धों की गणना

वन विभाग गिद्धों की गणना साल में दो बार करता है—एक बार ठंड के मौसम में और दूसरी बार गर्मी में। अगली गणना अप्रैल-मई में की जाएगी, जिससे गिद्धों की वास्तविक संख्या को और अधिक स्पष्टता से समझा जा सकेगा।

 

मध्यप्रदेश बना गिद्धों का प्रमुख आश्रय स्थल

हालांकि धार जिले के आंकड़े चिंताजनक हैं, लेकिन मध्यप्रदेश पूरे देश में गिद्धों की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य बन चुका है। वर्तमान में राज्य में गिद्धों की संख्या 11,233 तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि आगामी 2024-25 की गणना में यह संख्या 12,000 से अधिक हो सकती है। राज्य सरकार जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए लगातार प्रयासरत है, जिससे न सिर्फ गिद्ध, बल्कि बाघ, तेंदुआ और चीता जैसी अन्य विलुप्तप्राय प्रजातियां भी संरक्षित हो सकें।

संरक्षण के लिए क्या किया जा सकता है?

  • गिद्ध संरक्षण केंद्रों का विस्तार
  • डाइक्लोफेनिक के विकल्प के रूप में मैलोक्लाइजिंगकेम दवा का उपयोग
  • वन क्षेत्रों में गिद्धों के लिए सुरक्षित आवास विकसित करना
  • गिद्धों के भोजन के लिए खुले चारण क्षेत्र सुनिश्चित करना

गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक जीव हैं, क्योंकि वे प्राकृतिक सफाईकर्मी का कार्य करते हैं। धार में उनकी संख्या में भले ही मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह अब भी एक चिंताजनक स्थिति है। संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि आने वाले वर्षों में इनकी संख्या स्थिर बनी रहे और यह विलुप्ति के कगार से बाहर निकल सकें।

 


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