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तेजी से घट रही गिद्धों की संख्या को लेकर वन विभाग ने जिले में तीन दिवसीय गिद्ध गणना अभियान शुरू किया है। इस सर्वेक्षण के पहले दो दिनों में कुल चार गिद्ध देखे गए। गिद्धों की गिनती के इस अभियान में वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और वालंटियर सुबह सूर्योदय से लेकर निर्धारित समय तक जंगलों में भ्रमण कर रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गिद्ध पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे मृत जीवों को खाकर प्राकृतिक सफाईकर्मी का कार्य करते हैं, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा कम हो जाता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट आई है। यही कारण है कि अब विशेष अभियान चलाकर गिद्धों की गणना की जा रही है।
सात रेंज और 96 बीट में हो रही गणना
धार वनमंडल में गिद्ध गणना का कार्य सात रेंज और 96 बीट में किया जा रहा है। इस अभियान में 151 वनरक्षक, 16 वनपाल, 5 वन क्षेत्रपाल और तीन उप वनक्षेत्र अधिकारी शामिल हैं। धार जिले के डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी खुद इस गणना प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
अब तक मिली गिद्धों की जानकारी:
- पहले दिन मांडू वन परिक्षेत्र में दो सफेद पीठ गिद्ध देखे गए।
- दूसरे दिन धार रेंज के चाकल्या बीट में दो मिस्र गिद्ध (Egyptian Vulture) देखे गए।
- इस तरह अब तक कुल चार गिद्धों की उपस्थिति दर्ज की गई है।
गिद्धों के संरक्षण की आवश्यकता
वन विभाग के अनुसार, गिद्धों की संख्या में गिरावट के पीछे डाइक्लोफेनाक नामक दर्दनिवारक दवा प्रमुख कारण रही है, जो मवेशियों के शवों के माध्यम से गिद्धों तक पहुंचती है और उनके गुर्दों को खराब कर देती है। इसके अलावा, वनों की कटाई, भोजन की कमी और ऊंचे घोंसले बनाने के लिए सुरक्षित स्थानों की अनुपलब्धता भी गिद्धों के घटने का प्रमुख कारण है।
पिछले वर्ष के आंकड़े
पिछले साल भी इसी तरह का सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें पूरे जिले में सिर्फ दो गिद्धों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। इस बार पहले दो दिनों में ही चार गिद्ध नजर आए हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि गणना पूरी होने तक और भी गिद्धों की उपस्थिति सामने आ सकती है।
गिद्धों का महत्व और भोजन
गिद्ध मुख्य रूप से मृत जानवरों के मांस पर निर्भर होते हैं। वे शिकारी नहीं होते, बल्कि मृत जीवों को खाकर प्राकृतिक सफाई करने में मदद करते हैं। उनकी तीव्र दृष्टि और गंध पहचानने की क्षमता उन्हें दूर से ही भोजन खोजने में मदद करती है।
भारत में गिद्धों की सात प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें प्रमुख रूप से ये शामिल हैं:
1. भारतीय गिद्ध (Indian Vulture)
2. राज गिद्ध (King Vulture)
3. लंबी चोंच वाला गिद्ध (Long-billed Vulture)
4. सफेद पीठ गिद्ध (White-rumped Vulture)
5. मिस्र गिद्ध (Egyptian Vulture)
गिद्धों के संरक्षण के लिए क्या किया जा सकता है?
- गिद्धों के लिए डाइक्लोफेनाक की जगह मेलॉक्सिकैम जैसी सुरक्षित दवाओं को बढ़ावा देना।
- घोंसला बनाने के लिए ऊंचे वृक्ष और सुरक्षित चट्टानों की रक्षा करना।
- जागरूकता अभियान चलाकर गिद्धों की महत्वता पर लोगों को शिक्षित करना।
- गिद्ध संरक्षण केंद्रों की स्थापना करना।
गणना अभियान जारी रहेगा
वन विभाग की टीमें लगातार जंगलों में गिद्धों की खोज कर रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, अभी तक जिले में चार गिद्ध मिले हैं, लेकिन अंतिम गणना के बाद ही स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी। गिद्धों की संख्या को बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।