अच्छी बारिश से बढ़ा गेहूं का रकबा, खाद की किल्लत से किसान परेशान


आगामी फसल की तैयारी में जुटे किसान अब गेहूं की बुआई के लिए खेतों की जुताई में व्यस्त हैं, क्योंकि बारिश ने अच्छी स्थिति बनाई है। इस बार 4 लाख 33 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई होगी, जिसमें से प्रमुख फसलें गेहूं और मटर होंगी।


आशीष यादव
धार Updated On :

इस साल की शुरुआत में बारिश की स्थिति सामान्य रही, लेकिन जाते-जाते मानसून ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। सितंबर और अक्टूबर में पर्याप्त बारिश ने किसानों को बड़ी राहत दी है, जिससे रबी के मौसम के लिए खेत तैयार हो गए हैं। क्षेत्र के किसानों का रुझान इस बार चने की तुलना में गेहूं की ओर अधिक देखने को मिल रहा है। किसानों ने गेहूं की बुआई के लिए खेतों की तैयारी शुरू कर दी है और वे कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों का चयन कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस बार क्षेत्र में गेहूं का रकबा बढ़ा है।

 

रबी सीजन के लिए खेतों में जुताई और बखराई का काम जोरों पर है। कुछ किसानों ने खेतों में पानी छोड़ा है और लहसुन की बुआई भी शुरू कर दी है। हालांकि, चार महीने तक लगातार हुई बारिश ने रबी बुआई के कार्यक्रम को प्रभावित किया था, जिससे किसानों को समय की कमी के चलते फसलें जल्दी बोनी पड़ेंगी। लगातार बारिश के कारण रबी फसलों की बुआई में देरी हुई है।

इस बार बुआई का क्षेत्र 4 लाख 33 हजार हेक्टेयर है, जिसमें से 3 लाख 20 हजार हेक्टेयर में गेहूं और बाकी में चना, लहसुन, अरहर और अन्य फसलें बोई जाएंगी।

 

गेहूं का रकबा इस बार बढ़ने की संभावना: अच्छी बारिश के कारण इस वर्ष गेहूं का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। गेहूं की फसल को पानी की अधिक आवश्यकता होती है और जलस्तर बेहतर होने से किसान गेहूं की बुआई की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि, चना की बुआई अपेक्षाकृत कम हो सकती है।

रबी फसल की बुआई के लिए किसान तापमान कम होने का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि फिलहाल तापमान ज्यादा है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, किसानों ने रबी की बुआई की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन तापमान कम होने पर ही बुआई शुरू होगी।

 

खाद की कमी बनी समस्या: इन दिनों किसानों को सबसे अधिक परेशानी खाद की उपलब्धता से हो रही है। खासकर 12:32:16 और 18:46 जैसी खाद की कमी के कारण किसान परेशान हैं। भंडार होने के बावजूद किसानों को जगह-जगह चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, क्योंकि अधिकांश सोसाइटी में खाद उपलब्ध नहीं है। वहीं, नगदी बिक्री केंद्रों पर नकदी विवरण की प्रक्रिया से किसान भी असंतुष्ट हैं।

 

जिले में खाद की पर्याप्त मात्रा होने के सरकारी दावों के बावजूद किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है। कृषि अधिकारी लगातार खाद रैक पहुंचने की बात कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति अलग है। किसान 12:32:16 के साथ-साथ यूरिया की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं।

 

यूरिया की मांग बढ़ी: गेहूं की फसल में यूरिया की मांग सबसे ज्यादा रहती है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद यूरिया की कमी लगातार बनी हुई है। जिले के सभी विकासखंडों में किसान सोसाइटी और नकदी केंद्रों पर यूरिया के लिए पहले से लाइन में लग रहे हैं, क्योंकि गेहूं की बुआई के 15 दिन बाद पहला पानी देते समय यूरिया की जरूरत होती है।

हर साल की तरह इस साल भी यूरिया की कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। यदि समय पर पर्याप्त पानी और खाद मिल जाए तो किसान धरती से सोना उगा सकते हैं। धार जिले का गेहूं उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और मालवा क्षेत्र का गेहूं अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है।

 

नमी से बढ़ी फसलों की तैयारी: अच्छी बारिश के बाद अब किसान बुआई की तैयारियों में जुट गए हैं। जिले के कई हिस्सों में रबी फसलों की बुआई शुरू हो चुकी है। सहायक संचालक संगीता तोमर के अनुसार, कृषि विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं और इस साल गेहूं और चने का रकबा बढ़ाया गया है। अंतिम समय की बारिश से किसानों को बहुत लाभ हुआ है, जिससे उन्हें कम पानी की जरूरत पड़ेगी।

 

कृषि विशेषज्ञ ज्ञानसिंह मोहनिया का कहना है कि अच्छी बारिश के कारण इस बार गेहूं का रकबा बढ़ने की संभावना है और चने की बुआई भी ठीक-ठाक रहेगी। किसानों को सलाह दी गई है कि वे खाद की उपलब्धता के अनुसार वैकल्पिक विकल्पों का इस्तेमाल करें।

 

 


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