
जहां एक ओर सरकार बड़े मंचों से किसान कल्याण की बात करती है, वहीं धरातल पर किसान भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच अपनी फसलों को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। धार जिले में इन दिनों तापमान 42 डिग्री तक पहुंच चुका है, और किसान खेतों में दिन के समय पानी देने के लिए मजबूर हो गए हैं। विद्युत विभाग द्वारा सिंचाई फीडरों का शेड्यूल बदलने से किसानों में भारी नाराजगी है। पहले जहां सुबह और रात को ठंडे समय में सिंचाई की जाती थी, वहीं अब दोपहर की तपती धूप में पानी देना किसानों के लिए चुनौती बन गया है।
बदले शेड्यूल से बढ़ी किसानों की परेशानियां
धार जिले के अनारद क्षेत्र और तीसगांव ग्रिड के अंतर्गत आने वाले किसानों का कहना है कि विद्युत वितरण कंपनी ने खेतों की बिजली सप्लाई का समय बदलकर सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक कर दिया है। इसके पहले सुबह 4 घंटे और रात में 6 घंटे बिजली दी जाती थी, जिससे किसान ठंडे समय में आसानी से सिंचाई कर लेते थे। अब भीषण गर्मी में खेतों में पानी देने से फसलों के मुरझाने और जल स्तर घटने का खतरा बढ़ गया है।
किसान राजू यादव ने बताया कि खेतों में प्याज, तरबूज, खरबूजा, गोभी, धनिया और अन्य सब्जियों की फसलें लगी हुई हैं। तपती धूप में पानी छोड़ने से पानी भी गर्म हो जाता है, जिससे फसलें सीधे प्रभावित हो रही हैं। इससे किसानों को बड़े आर्थिक नुकसान का डर सता रहा है।
ऑटोमेटिक पंप से जुगाड़, लेकिन खर्च बढ़ा
दिन में खेतों तक बार-बार जाना संभव नहीं होने के कारण कई किसान अब ऑटोमेटिक पंप स्टार्टर खरीदने को मजबूर हो गए हैं। ये उपकरण मोबाइल से कनेक्ट होकर मोटर को चालू और बंद कर सकते हैं, जिससे किसान धूप में खेत जाने से बच सकते हैं। हालांकि इससे किसानों का आर्थिक बोझ और बढ़ गया है। ऊपर से विद्युत कटौती की समस्या ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।
बिगड़ती बिजली व्यवस्था पर नाराजगी
भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री अमोल पाटीदार ने कहा कि पहले ही बारिश कम हुई थी और अब लगातार दस घंटे बिजली सप्लाई देने से वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। कई बोरिंग सूखने की कगार पर हैं। साथ ही दिन के समय सिंचाई से फसलें खराब हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे पर विद्युत विभाग से चर्चा कर समाधान की मांग की जाएगी।
किसानों की मांग: बिजली शेड्यूल बदला जाए
किसानों ने स्पष्ट कहा है कि दोपहर की जगह सुबह और रात के ठंडे समय में बिजली सप्लाई की जाए ताकि फसलों को गर्मी से बचाया जा सके और सिंचाई प्रभावी ढंग से हो सके। यदि समय पर समाधान नहीं हुआ तो किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।