दुर्घटना में मृतकों की आत्मा की शांति के लिए सड़क पर किया गया गंगाजल का छिड़काव


टोल वसूली एवं निर्माण कंपनी द्वारा लेबड़ से जावरा के सवा सौ किलोमीटर लंबाई के मार्ग पर पिछले दिनों गंगाजल का छिड़काव कर हादसों में मृत लोगों की आत्मशांति के लिए यज्ञ एवं हवन पूजन कराया गया।


आशीष यादव
धार Published On :
gangajal sprinkled on four lane road

धार। अकाल दुर्घटनाओं में हुई मृत्यु को लेकर बदनावर स्थित टोल कंपनी के प्रबंधकों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए हवन यज्ञ करके पूरी फोरलेन पर गंगाजल का छिड़काव करवाया।

इस दौरान सुंदर कांड व दुर्घटना में हुए राहगीर की मृत्यु के लिए शांति पाठ किया गया। साथ ही पूरे रोड पर गंगाजल का छिड़काव किया गया जिससे मृत व्यक्तियों की आत्मा को शांति मिले।

लेबड़ नयागांव फोरलेन पर निर्माण के बाद से ही लगातार हो रहे जानलेवा अनगिनत हादसों को रोकने के लिए टोल वसूली एवं निर्माण कंपनी द्वारा लेबड़ से जावरा के सवा सौ किलोमीटर लंबाई के मार्ग पर पिछले दिनों गंगाजल का छिड़काव कर हादसों में मृत लोगों की आत्मशांति के लिए यज्ञ एवं हवन पूजन कराया गया।

फोरलेन के इस भाग में उत्तराखंड से लाए गंगाजल का छिड़काव ट्रैक्टर में भरकर कराया गया तथा उज्जैन के आचार्य दीपक पांडया के सानिध्य में छोकलां स्थित टोल प्लाजा पर हनुमानजी की पूजा अर्चना कर सुंदरकांड का पाठ व यज्ञ हवन का आयोजन किया। इसमें टोल कंपनी के अधिकारियों व कर्मचारियों ने यज्ञ में आहुतियां दी।

हेड मनमोहन ओजुटवाला के साथ राजेश लेमोश, अनिल साल्वे, विकास यादव एवं नंद किशोर, एमपीआरडीसी से अतुल मुले, पूर्व एसडीम विरेंद्र कटारे, एसडीओपी शेर सिंह भूरिया एवं टीआई दिनेश चौहान इस दौरान वहां उपस्थित रहे।

फोरलेन पर 24 घंटे में 8000 से अधिक वाहनों का आवागमन होता है। फोरलेन करीब 300 किलोमीटर लंबा है जिसमें से 125 किलोमीटर के भाग में निर्माण के बाद 2008 से ही दुर्घटनाओं का सिलसिला लगातार चल रहा है।

गत 4 दिसंबर को सातरुंडा चौराहे पर बस का इंतजार कर रहे यात्रियों को एक बेकाबू ट्रक ने रौंद दिया था। इस दुर्घटना में 6 लोगों की मौत हुई थी जबकि 13 अन्य गंभीर घायल हो गए थे। इसी तरह की अनगिनत दुर्घटनाएं बीते वर्षों में हुई हैं।

इनमें से कई हादसों के लिए निर्माण के समय हुई तकनीकी खामियां भी जिम्मेदार हैं। इन्हें दूर करने के लिए दुर्घटना के बाद मांग की जाती है, लेकिन हमेशा की तरह अनसुना कर दिया जाता है। जनता भी इनके प्रति आक्रोश दिखाती है, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा दूर करने का प्रयास नहीं किया जाता।

यह मांग की जाती है कि टोल कंपनी की लापरवाही से होने वाले इस तरह के हादसों के लिए कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए तथा उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए। साथ ही प्रभावित परिवारों को मुआवजा राशि भी दी जाए।

बड़े हादसों के बाद दो-तीन बार जिम्मेदारों के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद सुधार के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं किए जाते फलस्वरूप यह हादसे होते हैं।

 

चौराहों पर अधिक मंडराता है खतरा –

उदाहरण के लिए स्थानीय बड़ी चौपाटी पर चौड़ाई कम होने से अभी तक न तो रोटरी बन पाई है और न ही वाहनों के गुजरने के दौरान क्रॉस करने वाले लोगों को बचाव के लिए आजू-बाजू पर्याप्त जगह मिल पाती है।

वहीं, सर्विस रोड के दोनों ओर दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर अपना सामान रखने तथा वाहन खड़े रहने से आवाजाही बुरी तरह प्रभावित होती है।

चौपाटी पर ही दोनों साइड पर बड़े स्कूल होने से भी बच्चों के लिए हमेशा खतरा रहता है। सर्विस लाइन से ही स्कूली वाहन आते-जाते हैं। एक तरह से यह डेंजर चौराहा बन गया है।

यहीं पर ब्रिज के पास सर्विस लाइन के किनारे अंग्रेजी-देसी शराब की दुकान मौजूद होने से शाम के समय यहां वाहनों का जमघट लगा रहता है।

दुकान को लेकर रहवासियों द्वारा कई बार विरोध दर्ज कराया जा चुका है। ज्ञापन भी दिया गया है, लेकिन दुकान का स्थान टस से मस नहीं हुआ है।

चौपाटी पर ही आईलैंड पर अतिक्रमण है तथा पुलिस सहायता केंद्र एवं प्रतीक्षालय भी स्थानाभाव के कारण नहीं बन सका है। बदनावर में यातायात पुलिस जवानों की नियुक्ति नहीं होने से बड़ी चौपाटी पर इसकी बड़ी कमी महसूस की जाती है।

केवल सिंहस्थ के समय ही जवानों को अल्प समय के लिए यहां तैनात किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया। यदि 1-2 जवानों की ड्यूटी लगाई जाए तो काफी हद तक बेतरतीब आवागमन एवं शरारती तत्वों पर लगाम कसी जा सकती है।

फोरलेन पर निर्माण कंपनी द्वारा पेच वर्क करने के दौरान भी हमेशा चर्चा रहती है। कई जगह हल्का मटेरियल लगाने तथा गड्ढों को भरने के बाद भी वाहनों के तेज रफ्तार से हिचकोले लेते हुए निकलने से भी दुर्घटनाएं होती हैं।

हाल ही में गड्ढे भरने के लिए सीमेंट के पेवर्स लगाए गए हैं जिनके चिकने होने से दुपहिया वाहनों के फिसलने का खतरा पैदा हो गया है। यह भविष्य में जानलेवा साबित होंगे।

मार्ग पर जगह-जगह डिवाइडर तोड़ दिए जाने से भी कई हादसे हो चुके हैं। आसपास की होटलों, ढाबों एवं पेट्रोल पंपों के सामने रोड क्रॉस करने के लिए डिवाइडर तोड़े गए और इसका खामियाजा अन्य वाहन सवारों को भुगतना पड़ रहा है।

500 मीटर से लेकर 1-2 किलोमीटर के बीच पूरे फोरलेन पर डिवाइडर टूटे हुए हैं। इन्हें तोड़ने वालों के खिलाफ कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई। इससे क्रॉस करने वाले वाहन चालक तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में लगातार आते रहे हैं।

2008 में चालू होने तथा 2009 में टोल टैक्स वसूली शुरू करने के बाद अब तक इस पर कई बार पेच वर्क किया जा चुका है, लेकिन स्थाई और मजबूत काम नहीं होने से बारिश में इसके उखड़ने की समस्या हर साल सामने आती है और तब दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ जाता है।

खराब सड़क का फायदा आए दिन वाहनों के साथ लूट करने वाले बदमाश उठाते हैं। ग्राम मुलथान से पीथाकुई के बीच कई बार ट्रकों के साथ लूटपाट एवं भेड़-बकरी लूटने की घटनाएं हो चुकी हैं।

आम लोगों का मानना है कि यदि निर्माण कंपनी ईमानदारी से फोरलेन सुधार का काम कर विभिन्न तकनीकी खामियां दूर करने का प्रयास करें तथा शासन व प्रशासनिक स्तर पर कार्य की निगरानी की जाए तो लोगों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी और तब न तो गंगाजल का छिड़काव करना पड़ेगा और न ही अन्य कोई धार्मिक अनुष्ठान की जरूरत पड़ेगी।


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