धार। कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरा देश लॉकडाउन व कोरोना कर्फ्यू के कई चरणों से गुजरा और इन सबके बाद भी किसानों ने जो हौंसला और हिम्मत दिखाई है, वह निश्चित रूप से काबिलेतारीफ है।
इसका ही परिणाम है कि देश में अनाज का बंपर उत्पादन होने के कारण ही देश की अर्थव्यवस्था डगमगा नहीं पाई और अब मानसून के आने से पहले ही ज़िले में खरीफ फसल की तैयारी तेज हो गई है।
कोई किसान खेतों में रबी फसल के अवशेषों को जलाकर जमीन तैयार कर रहा है तो किसी के खेत में जुताई हो रही है। जमीन की उर्वरकता बढ़ाने के लिए किसान खेतों में गोबर खाद डाल रहे हैं।
मानसून पूर्व खेतों में जुताई के लिए खेत सुधारने का काम शुरू हो गया है। आपको बता दें कि जिले में परंपरागत और आधुनिक दोनों तरह से फसल ली जाती है। सुविधा संपन्न किसान ट्रैक्टर व अन्य कृषि यंत्रों का जमकर उपयोग करते हैं।
किसानों द्वारा गांव में खेतों में जुताई कार्य शुरू किया जा चुका है। कई किसान तो खेत में खाद भी डालने लगे हैं। सप्ताह भर के भीतर दो बार हुई बारिश से मिट्टी में नमी है। किसानों का कहना है कि बारिश होने का इंतजार है। खेत तैयार होने के बाद अच्छी बारिश होते ही बोनी कर दी जाएगी।
प्री-मानसून के बाद बोवनी की तैयारियां शुरू –
किसानों ने खेतों में बोवनी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। दो दिन पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई थी। इसके कारण किसानों ने खेतों में बोवनी के लिए उपयोग होने वाले उपकरणों की रिपेयरिंग भी शुरू कर दी है।
मौसम के बदलाव को देखते हुए किसान सक्रिय हो गए हैं और मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं। किसानों को इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद है। बारिश होने के कारण इस साल कई क्षेत्रों में किसानों की फसलों की उपज अच्छी आई थी लेकिन लॉकडाउन के कारण भाव नहीं मिल पाए थे।
किसानों द्वारा खेतों को ट्रैक्टर से ठीक किया जा रहा है ताकि बारिश में मिट्टी सही हो जाए। इसके बाद फसल बुआई का काम शुरू किया जाएगा। हालांकि किसान अभी एक-दो बार और तेज बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं।
किसान नहीं करे बुवाई में जल्दबाजी –
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, किसानों को सोयाबीन की बुवाई में जल्दबाजी नहीं करना चाहिए। उन्हें मुनाफे के बजाय घाटा उठाना पड़ सकता है। किसान ऐसी गलती ना करें इसलिए उन्हें विभाग ने चेतावनी देते हुए जिले के किसानों को सुझाव दिया है कि वे कुछ इंतजार करें।
वर्षा आगमन के बाद पर्याप्त वर्षा होने पर यानी 4 इंच से अधिक वर्षा होने पर सोयाबीन की बुवाई का कार्य करना चाहिए। इसके लिए मध्य जून से जुलाई का पहला सप्ताह सोयाबीन की बुवाई के लिए उपयुक्त है।
हर साल बढ़ रही लागत –
किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेसर आधुनिक मशीनों के आ जाने से मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो गई है। खेती करना पहले से सरल जरूर हो गया है, लेकिन लागत भी काफी हद तक बढ़ गई है।
ट्रैक्टर की बहुपयोगिता ने परंपरागत खेती के ढर्रे को पीछे छोड़ दिया है। कुछ ही घंटों में काम हो जाता है। यही वजह है कि अनेक लोग इसका उपयोग करने लगे हैं। लेकिन, हर साल डीजल उपकरणों के कारण खेती महंगी होती जा रही है।
खेतों की सफाई और जुताई में जुटे किसान –
मानसून के नजदीक आते ही किसानों ने खरीफ फसल के लिए खेतों की सफाई और जुताई शुरू कर दी है। इस सीजन अच्छी बारिश की उम्मीद जताई जा रही है। किसानों ने खेतों में जुताई कर खाद आदि डालना शुरू कर दिया है।
खरीफ की फसलों में सोयाबीन और मक्का मुख्य फसल होते हैं। किसान बताते हैं कि हम मानसून के साथ जुआ खेलते हैं। मानसून ठीक रहने से खेती अच्छी होती है। शुरू के रोहिणी नक्षत्र में वर्षा नहीं होने से केवल खेत की जुताई ही होती है।
मृगशिरा नक्षत्र में मानसून प्रवेश कर जाता है तो हम सब उत्साहित होते हैं। खेती के लिए पूरा गांव व परिवार सब लोग जुट जाते हैं।
दिन में गर्मी, शाम को मौसम ठंडा –
मौसम ने करवट बदली है और लगातार तीन दिन से दिन में गर्मी और शाम होते ही बदली के बाद ठंडा मौसम हो जाता है। इससे लोगों को गर्मी से राहत मिलती है। किसानों में भी ठंडे मौसम के साथ अब अच्छी बारिश की उम्मीद जाग रही है।
फसल विविधीकरण जरुरी –
सोयाबीन फसल के अलावा मक्का, उड़द, मुंग आदि की उन्नत किस्मों की सोयाबीन की बोवनी के पहले बीज को अंकुरित कर देख लें अथवा सोयाबीन के बीज को उपचारित कर बोवनी करें। कृषि विभाग द्वारा किसानों से कहा गया है कि सोयाबीन की बोवनी के लिए न्यूनतम 90% प्रतिशत अंकुरित के आधार पर उपयुक्त बीज दर का ही उपयोग करें।
बारिश अच्छी हो तब ही करें बोवनी –
कृषि विभाग द्वारा बताया गया है कि 4 इंच बारिश होने पर ही किसान बोवनी करें। किसान बोवनी में जल्दबाजी ना करें। अच्छे बीज का उपयोग करें। बीज को पूर्व में अलग से अंकुरित कर देख लें। किसान बीज उपचार कर ही बोवनी करें।
– आरएल जामरे, उपसंचालक कृषि विभाग, धार
उर्वरक की मात्रा पर्याप्त है –
खरीफ फसल की तैयारी के पहले विभाग के द्वारा किसानों को जरूरतों के हिसाब से खाद वितरण का काम शुरू कर दिया गया है। इस वर्ष जिले को एक लाख 80 हजार 400 मीट्रिक टन उर्वरक लक्ष्य रखा गया है। सोसाइटी व अन्य संस्थाओ को यह उपलब्ध करवा दिया गया है, जहां से किसानों को खाद वितरण किया जा रहा है।
– स्वाति रॉय, जिला विपणन अधिकारी, धार (मार्कफेड)