धार। जहां एक ओर सरकार आम जनता को सुविधा देने की बात करती है वहीं दूसरी ओर अभी बिजली कटौती से आम जनता परेशानी झेल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत कटौती की समस्या से जहां आम जनता पस्त है, वहीं जिम्मेदार नेता व अधिकारी मस्त हैं।
वे जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए बंद एसी दफ्तरों व बंगलों से बाहर नहीं निकलना चाहते। आए दिन कभी मेंटेनेंस के नाम पर तो कभी अन्य कारणों से कई-कई घंटे बिजली काट दी जाती है, लेकिन उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है।
जिले सहित प्रदेश के कई प्रमुख शहरों में सरप्लस बिजली का दावा करने वाली सरकार 24 घंटे बिजली गांवों में सप्लाई नहीं कर पा रही है। इससे कृषि, लघु उद्योग धंधे व व्यापार सहित तमाम कार्य प्रभावित होते हैं।
बिजली कटौती से कोई भी अछूता नहीं –
इससे अस्पताल में मरीजों व डॉक्टरों को परेशानी झेलनी पड़ती है। डॉक्टरों को कई बार कैंडल या टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ता है। वहीं गर्मी से ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है।
गर्मी में यह हाल है तो बरसात के दिनों में तो बिजली आपूर्ति की हालत और खराब हो जाती है। जरा सा हवा का झोंका चला नहीं कि तारों के महाजाल में स्पार्किंग होने लगती है। कई स्थानों पर तारों के टूट कर गिरने या स्पार्किंग होने से जान-माल का खतरा भी उत्पन्न हो जाता है।
शायद ही कोई गली या मुहल्ला हो जहां तारों का मकडज़ाल न लगा हो। पुराने तारों को बदलकर उसके स्थान पर नए तार लगाने के लिए कई बार शिकायत नागरिकों द्वारा की जाती है, लेकिन विभागीय अफसर ध्यान नहीं देते।
बिजली आपूर्ति को सरकार ने जब से निजी हाथों में सौंपा है तब से यह समस्या आम हो गई है। बिजली बिल आने की तो गारंटी है, लेकिन बिजली कब आएगी और कब जाएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
बिजली से जलापूर्ति व्यवस्था भी जुड़ी है। अगर सुबह-शाम बिजली कटी तो नागरिकों को पानी की समस्या से भी जूझना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि बिजली व्यवस्था को इस तरह दुरुस्त करे कि नागरिकों को सहूलियत हो। बिजली कटौती की पूर्व सूचना अवश्य दें, ताकि लोग अपनी आवश्यकताओं की समय से पहले पूर्ति कर सकें।
सभी जगह चरमराई व्यवस्था –
क्या गांव, क्या शहर। जिला मुख्यालय सहित के क्षेत्रों की विद्युत व्यवस्था चरमरा गई है। पिछले महीने भर से जिला मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में अघोषित रूप से बिजली आपूर्ति बंद कर दी जा रही है। लगातार हो रही बिजली की आंख मिचौली से ग्रमीण व नगरवासी परेशान हैं।
यहां बिजली के आने जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है। इससे लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा है। जहा एक ओर पहले गर्मी से लोग परेशान हैं। वही मई के आखरी सप्ताह से ही तापमान बढ़ गया है। यहां बिना किसी सूचना के बिजली गुल कर दी जाती है।
इससे उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ जाती है। थोड़े से मौसम में बदलाव आने पर अचानक अनावश्यक रूप से बिजली गुल कर दी जाती है। लगातार कटौती से जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गर्मी की धमक तेज हुई है और हवाओं ने उमस बढ़ा दिया है। गर्मी से घरों में कैद लोग उमस से परेशान होने लगे हैं। अघोषित कटौती आफत बनकर आई है। न घर में चैन है न बाहर जाने से। लोगों के समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें।
जब फोन लगाकर जिम्मेदारों से पूछते हैं तो जवाब मिलता है कि मेंटनेंस का कार्य चल रहा है। जल्द बिजली आ जाएगी। हर समय मेंटेनेंस का बहाना देकर बिजली को काटा जा रहा है।
दिन हो या रात बिजली कटौती जारी –
रात होते ही अंधेरा छा जाता है। वहीं अधिकांश हर रोज रात को भी लाइट कटौती की जाती है। रात में बच्चों व लोगों को काफी परेशानी होती है जिसके कारण लोग घरों के बाहर छतों पर सोना शुरू कर दिया है।
ग्रामीणों ने कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन ग्रिड पर जिसकी ड्यूटी रहती है वह सुनने को तैयार नहीं है। इस विषय में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
हर बार लाइन फॉल्ट या कुछ खराबी का बहाना कर लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिदिन 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की करने का नियम है मगर वह नियम अनुसार हो नहीं रही। बस अधिकारियों द्वारा कागजों पर कार्य हो रहा है।
गांवों में घंटों बिजली की कटौती की जा रही है जबकि कृषि सिंचाई के लिए हर दिन 10 घंटे बिजली किसानों को दिए जाने का नियम है मगर जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
गर्मी में परेशानी हो रही है –
भीषण गर्मी में जीना मुश्किल हो रहा है। बिजली नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी छोटे-छोटे बच्चों को हो रही है। क्षेत्र में सुबह से शाम के बीच में बार-बार बिजली बंद की जा रही है और हद तो तब हो जाती है जब दोपहर में कटौती की जाती है। उस समय की कटौती काफी परेशान कर रही है। – नारायण कामदार, सरपंच, गांव सकतली
बार-बार बिजली कटौती से परेशानी –
बिजली कटौती से ज्यादा परेशानी आ रही है। दिन तो दिन रात को भी कटौती से सोना दुःश्वार हो गया है। घंटों बिजली आंखमिचौली खेल रही है। सरकार और जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। – जमनालाल यादव, किसान