धार जिले में नर्सिंग शिक्षा का स्तर पहले जहां उत्कृष्ट माना जाता था, अब फर्जीवाड़े और मान्यता संबंधित समस्याओं के कारण बुरी स्थिति में पहुंच गया है। एक समय पर जिले में 15 से अधिक नर्सिंग कॉलेज संचालित होते थे, लेकिन अब केवल एलएससी कॉलेज धार ही मान्यता प्राप्त कर पाया है। अन्य कॉलेजों को अभी प्रक्रिया में रखा गया है और उन्हें नियमों का पालन करने के लिए समय दिया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश से सख्त कदम
हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने नर्सिंग कॉलेजों की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। सीबीआई जांच में जिन कॉलेजों की कमियां उजागर हुईं, उन्हें कमेटी के सामने प्रमाण प्रस्तुत कर अपनी योग्यता साबित करनी होगी। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल उन्हीं कॉलेजों को काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, जो सभी मानदंडों को पूरा करेंगे।
जिले में नर्सिंग शिक्षा पर फर्जीवाड़े का प्रभाव
फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद जिले के सात नर्सिंग कॉलेजों को सीबीआई जांच के बाद बंद कर दिया गया। इन कॉलेजों में एसएस कॉलेज, रोशन कॉलेज, निमाड़ कॉलेज, प्रयागराज कॉलेज, नवरत्न कॉलेज और सद्भावना कॉलेज प्रमुख हैं। इन कॉलेजों में मानकों के उल्लंघन के कई मामले पाए गए, जिसके चलते इनकी मान्यता रद्द कर दी गई। विद्यार्थियों को अन्य कॉलेजों में परीक्षा देने की अनुमति दी गई थी।
अर्थिक दबाव और कॉलेजों का सरेंडर
फर्जीवाड़े के बाद जिले के तीन नर्सिंग कॉलेजों ने आर्थिक समस्याओं के चलते खुद को बंद कर दिया। स्कॉलरशिप न मिलने और एडमिशन प्रक्रिया ठप होने के कारण ये कॉलेज अपने संचालन का खर्च नहीं उठा सके। छात्रों की फीस पर निर्भर ये कॉलेज बीते तीन सालों से बंद पड़े हैं।
ऑनलाइन काउंसलिंग से उम्मीदें
नर्सिंग कॉलेजों के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया 31 दिसंबर 2024 से शुरू हो चुकी है और 14 जनवरी 2025 को समाप्त होगी। यह कदम न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, बल्कि छात्रों को आसानी से अपनी पसंद के कॉलेज में दाखिला लेने का मौका भी देगा। यह प्रक्रिया सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी।
नर्सिंग शिक्षा में गिरावट का असर
फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद नर्सिंग शिक्षा की ओर छात्रों का रुझान तेजी से घटा है। जहां पहले जिले के नर्सिंग कॉलेजों में हर साल 2,000 से अधिक विद्यार्थी दाखिला लेते थे, अब यह संख्या काफी कम हो गई है। इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ सकता है, क्योंकि नर्सिंग के प्रशिक्षित पेशेवरों की संख्या में कमी आएगी।
सरकार की भूमिका और जरूरत
नर्सिंग कॉलेजों में हो रहे फर्जीवाड़े और घटती शिक्षा गुणवत्ता को रोकने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे। कॉलेजों की नियमित जांच, पारदर्शी काउंसलिंग और स्कॉलरशिप प्रक्रिया को सुधारना प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके अलावा, छात्रों के मन में नर्सिंग शिक्षा के प्रति विश्वास बहाल करना भी आवश्यक है।
संक्षेप में स्थिति:
- जिले में 12 से अधिक नर्सिंग कॉलेज थे, लेकिन अब केवल 1 कॉलेज मान्यता प्राप्त कर सका।
- 5 कॉलेज प्रक्रिया में हैं।
- 7 कॉलेज सीबीआई जांच में दोषी पाए गए और बंद कर दिए गए।
- 3 कॉलेज आर्थिक तंगी के कारण स्वयं बंद हुए।
- ऑनलाइन काउंसलिंग 14 जनवरी 2025 तक पूरी होगी।
धार जिले में नर्सिंग शिक्षा को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार और प्रशासन को सामूहिक प्रयास करने होंगे। पारदर्शिता और गुणवत्ता की बहाली से न केवल छात्रों को लाभ होगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी सुधार होगा।