धार। शहर में पतंगबाजी का दौर शुरू हो चुका है और इसके साथ ही घातक व जानलेवा नायलोन धागे का कहर भी देखने को मिल रहा है।
लगातार लोग इस धागे की चपेट में आकर घायल हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं कर पा रहा है। हर साल इस धागे को प्रतिबंधित किया जाता है, लेकिन इस बार प्रतिबंध को लेकर भी आदेश निकाल दिया है।
आने वाले दिनों में नायलोन धागे की बिक्री और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि दुकानों पर चोरी-छुपे धागे की बिक्री जारी है और पतंग के शौकीन इस धागे को अभी से खरीद कर घरों में रख रहे हैं।
मकर संक्राति त्यौहार तिल-गुड़ की मिठास के साथ-साथ पतंगबाजी के उत्साह से भरा पर्व होता है, लेकिन पतंगबाजी के पेंच लड़ाकर, हर पल रोमांच और अनगिनत खुशियों से भर देने वाला यही पर्व एक ही पल में आपसे सारी खुशियां छीन भी सकता है।
जी हां, पतंग उड़ाने के लिए आप जिस मांझे का इस्तेमाल करते हैं, वह बेहद खतरनाक भी हो सकता है। दूसरी ओर प्रशासन की अनदेखी के चलते चीन का नायलोन धागा खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है जबकि इसकी बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन बाजार में नायलोन के धागे की बिक्री धड़ल्ले से जारी है।
खुलेआम हो रही इन इलाकों में बिक्री –
शहर में पतंग व धागे की बिक्री अलग-अलग क्षेत्र में हो रही है। यहां इस बार नायलोन की बिक्री नवंबर से ही शुरू हो चुकी है। इधर शहर भर में भी नायलोन का धागा बेचा जा रहा है।
इसके विपरीत सूती धागा बाजार में कहीं नजर नहीं आ रहा है। न तो दुकानदार सूती धागे को बेचने में रुचि ले रहे हैं और न ही पतंग का लुत्फ लेने वाले इसकी मांग कर रहे हैं।
नायलोन मांझे में मुख्य रूप से कार्रवाई करने के और शहर में नायलोन मांझे न बिक पाए इसकी जिम्मेदारी प्रशासन व पुलिस विभाग पर भी है, लेकिन उन्होंने भी अब तक इसकी शुरुआत नहीं की है।
इस मांझे के कारण अब तक कई दोपहिया वाहन चालक जख्मी भी हो चुके हैं। शहर में आनंद चौपाटी पट्टा चौपाटी व हटवाड़ा व शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में गोपनीय तरीके से इसकी बिक्री हो रही है।
बेजुबानों को भी है नुकसान –
नायलोन से सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों को है। इसकी वजह यह है कि पतंगबाजी के दौरान आकाश में अक्सर पक्षी नायलोन के धागे में उलझ जाते हैं। नायलोन बेहद मजबूत होने के कारण वह टूटता नहीं और पक्षी बुरी तरह घायल हो जाते हैं।
पेड़ों पर फंसा नायलोन भी पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होता है। इधर पतंगबाजी के दौरान विद्युत आपूर्ति लाइन भी फॉल्ट होती है।
साथ ही इससे पशु-पक्षियों के साथ ही पर्यावरण को भी खतरा पहुंच रहा है। इस सबके बावजूद शौकीन लोग नायलोन मांझा खरीद रहे हैं और बेचने वाले इसे चोरी-छुपे बेच भी रहे हैं।
पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से हो रही है बिक्री –
जनता ही नहीं खुले आसमान में उड़ने वाले पक्षियों की जान को रहता है खतरा। प्रतिबंध होने के बावजूद शहर में चीन का नायलोन मांझा पुलिस व प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से बिक रहा है।
दुकानदार इसे चोरी-छुपे बेच रहे हैं। ग्राहक से मोल-भाव तय कर पहले पैसा लिया जाता है, फिर दुकानदार उन्हें लाकर चीन वाला नायलोन मांजा दे देते हैं।
सख्त नियम, सजा का प्रावधान –
नायलोन मांझा बेचने को लेकर सख्त प्रावधान हैं, लेकिन फिर भी बाजार में इसकी बिक्री जोरों पर है। वही इन्हें भी दलालों के माध्यम से बाजार में बेचा जा रहा है।
महंगा हुआ कई क्वालिटी का मांझा –
कोरोना काल के बाद बाजार में मांझा वाले धागों का भाव भी बढ़ गया है व बाजार में सभी वस्तुए मंहगी हुई तो चीन के नायलोन मांझों के भाव भी बढ़ गए।
सूत्रों के मुताबिक, चीन के नायलोन मांझे में सबसे ज्यादा मांग फाइटर व मोनो काइट की है। फाइटर 600 रुपये तो मोनो काइट का दाम 500 रुपये प्रति बंडल है।
इसके अलावा 100 ओर 250 से 300 रुपये में चाइनीज मांझा मिल रहा है। इसे खरीदने के बाद उसे उचके में लपेटना पड़ता है। एक बंडल में करीब 6 से 8 हजार मीटर धागा आता है। इससे कई उचके तैयार किए जा सकते हैं और यह काम रात में ज्यादा हो रहा है।
प्रतिबंध के बाद भी बिक्री चालू –
सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद नशे की तरह चोरी-छुपे चाइनीज डोर बेचने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। मानवीय जीवन के साथ पशु-पक्षियों के लिए भी खतरा बनी डोर की चपेट में आकर हर साल सैकड़ों लोग जख्मी हो रहे हैं। कई तो अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
दिखावे के लिए पुलिस कभी-कभार एकाध व्यक्ति को पकड़ कर डोर बरामद कर लेती है। मगर सच्चाई उससे कोसों दूर है। बता दें कि पुलिस से बचने के लिए डोर बेचने वालों ने चोर दरवाजे बना लिए हैं।
अब सोशल मीडिया के फेसबुक, वॉट्सएप और इंस्टाग्राम पर ग्रुप बना कर ग्राहकों को डोर सप्लाई की जा रही है, जिसे पकड़ने में पुलिस नाकाम साबित हुई है।
केंद्र व राज्य सरकार ने 2012 में चाइनीज डोर पर पाबंदी लगाई थी, जिसके चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूरे भारत में उस पर बैन लगा दिया था।
दिल्ली सरकार ने कड़ा संज्ञान लेते हुए डोर बेचते पकड़े जाने वालों को दो साल की सजा और पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान रखा था।