धार जिले में 29 अप्रैल को एक दिवसीय गिद्ध गणना अभियान, सिर्फ स्थानीय गिद्धों की होगी गिनती


धार जिले में वन विभाग 29 अप्रैल को ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना अभियान चलाएगा। इसमें केवल भारत में पाई जाने वाली स्थानीय गिद्ध प्रजातियों की गिनती होगी, ताकि संरक्षण योजनाओं को मजबूती दी जा सके।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

गिद्धों के संरक्षण और उनके वास्तविक आंकड़ों का पता लगाने के लिए धार जिले में वन विभाग 29 अप्रैल को एक दिवसीय ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना अभियान चलाने जा रहा है। इस अभियान में केवल जमीन या पेड़ों पर बैठे स्थानीय गिद्धों की गिनती की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार सिर्फ भारत में पाई जाने वाली स्थायी प्रजातियों के गिद्धों को शामिल किया जाएगा, क्योंकि सर्दियों में प्रवासी गिद्ध भी बड़ी संख्या में आते हैं, जिससे वास्तविक आंकड़े प्रभावित होते हैं।

 

वन विभाग ने की पूरी तैयारी, 125 वनकर्मी जुटेंगे काम में

धार के डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी ने बताया कि जिले की सात वन परिक्षेत्रों में गिद्ध गणना के लिए 125 वनकर्मियों की टीम तैयार कर दी गई है। 29 अप्रैल को सुबह 6 बजे से 8 बजे तक ये टीमें जंगलों में गिद्धों की खोज और गिनती करेंगी। गणना के दौरान गिद्धों की तस्वीरें खींचना और उनके पदचिह्नों की वीडियोग्राफी करना अनिवार्य किया गया है, ताकि सभी आंकड़ों का दस्तावेजी प्रमाण भी उपलब्ध रहे।

 

वन विभाग ने इससे पहले फरवरी माह में भी गिद्धों की 3 दिवसीय गणना कराई थी, जिसमें मांडू और चाकलिया बीट सहित पूरे जिले में 6 गिद्ध दर्ज किए गए थे। हालांकि उस समय प्रवासी गिद्धों की उपस्थिति के चलते स्थानीय गिद्धों की वास्तविक संख्या का आकलन करना कठिन था। अब ग्रीष्मकालीन गणना में केवल स्थायी गिद्धों की संख्या सामने आएगी, जिससे संरक्षण योजनाओं की दिशा तय करने में मदद मिलेगी।

 

गर्मी में स्थानीय गिद्धों का ही रहेगा आंकलन

गर्मियों में गिद्धों का प्रजनन काल होता है, जिसमें वे यहीं घोंसले बनाते हैं और अंडे देते हैं। इसलिए यह गणना वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है। वन विभाग ने गिद्धों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए विशेष योजना भी बनाई है।

बताया गया है कि गिद्धों की गणना के दौरान केवल उन्हीं पक्षियों को गिना जाएगा जो जमीन या पेड़ों पर बैठे होंगे, उड़ते हुए गिद्धों को शामिल नहीं किया जाएगा ताकि आंकड़ों में दोहराव से बचा जा सके। इसके लिए वनकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है।

 

पहले भी हो चुकी है गणना

गौरतलब है कि फरवरी में संपन्न हुई तीन दिवसीय गणना में धार जिले में बीते वर्षों के मुकाबले सबसे ज्यादा गिद्ध दिखाई दिए थे। इनमें स्थानीय गिद्धों के अलावा हिमालय और अन्य दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी गिद्ध भी शामिल थे। इसलिए वन विभाग अब स्थानीय गिद्धों की स्पष्ट संख्या जानने के लिए यह एक दिवसीय अभियान चला रहा है।

इस विशेष ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना अभियान के नतीजे न सिर्फ जिले के लिए बल्कि पूरे राज्य के गिद्ध संरक्षण प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।



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