सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि बिना घूस के फाइलें आगे नहीं बढ़तीं। लोकायुक्त द्वारा की गई हालिया कार्रवाइयों से यह स्पष्ट होता है कि कई अधिकारी और कर्मचारी अपनी सरकारी नौकरी को व्यक्तिगत संपत्ति बढ़ाने का जरिया बना चुके हैं। बावजूद इसके, दोषियों पर ठोस कार्रवाई न होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिशें अधूरी रह जाती हैं।
साल की सबसे बड़ी कार्रवाई
सोमवार को धार में इस साल की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई। सहकारिता विभाग के अंतर्गत आदिम जाति सहकारी संस्था के सहायक प्रबंधक कनीराम मंडलोई और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकायुक्त ने छापेमारी की। छानबीन में यह सामने आया कि कनीराम मंडलोई ने अपने भांजे करन को भी अनियमित तरीकों से संस्था में नौकरी दिलाई थी। दोनों पिछले कई सालों से नियमों का उल्लंघन करते हुए गृहग्राम छोटी जामनिया में पदस्थ थे।
दोषियों पर विभागीय कार्रवाई नहीं
हालांकि, इस कार्रवाई के बावजूद कनीराम और उनके रिश्तेदार अभी भी पद पर बने हुए हैं। शासन के नियमों के अनुसार, लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद संबंधित अधिकारी-कर्मचारी का स्थानांतरण या निलंबन तीन दिन के भीतर होना चाहिए। लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और मेहरबानी के चलते आरोपी आज भी विभाग में कार्यरत हैं।
भ्रष्टाचार की पुरानी फेहरिस्त
पिछले एक साल में धार जिले में लोकायुक्त द्वारा सात प्रमुख कार्रवाइयां की गईं। इनमें सरकारी विभागों के अधिकारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए। जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच जनपद शिक्षा केंद्र, सीएससी ई-गवर्नेंस सेंटर, जनपद पंचायत उमरबन, गंधवानी पंचायत, और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए।
चर्चित मामले:
लोकायुक्त द्वारा धार जिले में भ्रष्टाचार विरोधी प्रमुख कार्रवाईयां
1. 26 अप्रैल 2024: जनपद शिक्षा केंद्र निसरपुर
जनपद शिक्षा केंद्र में ब्लॉक एकेडमिक कोऑर्डिनेटर बृजमोहन गर्ग को 3,000 रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। शिकायतकर्ता दशरथ बामनिया ने बताया कि उनकी पत्नी द्वारा संचालित स्व-सहायता समूह के मध्यान्ह भोजन के भुगतान को जारी करने के लिए गर्ग ने रिश्वत की मांग की थी। लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेते हुए आरोपी को रंगेहाथ पकड़ लिया।
2. 12 जून 2024: सीएससी ई-गवर्नेंस सेंटर
जिला प्रबंधक अरविंद्र वर्मा और समन्वयक रवि सिंह गहलोत ने आधार केंद्र चालू करने के लिए आवेदक विजय कुमावत से 40,000 रुपये की मांग की। लोकायुक्त ने दोनों को 12,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार की जटिलताओं को उजागर करती है।
3. 14 सितंबर 2024: उमरबन जनपद सीईओ
तत्कालीन जनपद सीईओ काशीराम कानूड़े ने गोशाला निर्माण के बिल पास करने के लिए 50,000 रुपये मांगे थे। सरपंच के बेटे गौरव वास्केल की शिकायत पर लोकायुक्त ने 25,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए सीईओ को गिरफ्तार किया। यह मामला विभागीय अनियमितताओं का बड़ा उदाहरण है।
4. 9 नवंबर 2024: गंधवानी पंचायत लेखापाल
गंधवानी जनपद पंचायत के लेखापाल मनोज बैरागी को 40,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। शिकायत ग्राम पंचायत बलवारी कला के सरपंच प्रतिनिधि गुलाबसिंह अजनारे ने दर्ज कराई थी। आरोप था कि लेखापाल ने विकास कार्यों के बिल पास करने के लिए रिश्वत की मांग की थी।
5. 14 दिसंबर 2024: स्वास्थ्य विभाग
धार स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुधीर मोदी को 25,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। शिकायतकर्ता आशीष चौहान, जो एक निजी अस्पताल संचालक हैं, ने आरोप लगाया कि डॉ. मोदी ने सीएमएचओ पद की दौड़ में फेवर के लिए रिश्वत मांगी थी।
6. 20 दिसंबर 2024: वन विभाग अमझेरा
वनपाल दयाराम वर्मा ने अमझेरा में 10 बीघा जमीन का पट्टा दिलाने के बदले 10,000 रुपये रिश्वत ली। शिकायतकर्ता दिनेश कोली ने लोकायुक्त को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
7. 3 जनवरी 2024: धरमपुरी जनपद
जनपद सहायक अकाउंट ऑफिसर आसाराम भगोरे को 13,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। सरपंच सेवंतीबाई ठाकुर के बेटे महेंद्रसिंह ठाकुर ने इस भ्रष्टाचार का खुलासा किया।
आगे की चुनौतियां
लोकायुक्त की सक्रियता से भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए हैं, लेकिन दोषियों को सजा और निलंबन में विभागीय सुस्ती चिंता का विषय है। विभागीय अधिकारियों को ठोस कदम उठाकर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।
लोकायुक्त कार्रवाई पर सवालिया निशान
लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद भी दोषियों पर सख्त विभागीय कदम न उठाना चिंता का विषय है। डीएसपी लोकायुक्त अनिरुद्ध वाधिया ने बताया कि विभागों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है, लेकिन कागजी प्रक्रियाओं और सुस्ती के चलते दोषियों पर कार्रवाई अटक गई है।