
धार जिले में शराब दुकानों के ठेकों को लेकर ठेकेदारों ने इस बार नवीनीकरण में खास रुचि नहीं दिखाई है। सरकार की नई आबकारी नीति और बढ़ी हुई लाइसेंस फीस के कारण ठेकेदारों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत आवेदन का आज, 27 फरवरी, अंतिम दिन है। यदि ठेकेदारों की ओर से आवश्यक आवेदन नहीं आते हैं, तो जिला प्रशासन को नीलामी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी, जिसमें जिले की सभी 88 दुकानें एक समूह में आवंटित की जाएंगी।
ठेकेदारों की बेरुखी और नई नीति का असर
इस बार की आबकारी नीति में शराब ठेकों की लाइसेंस फीस में 20% की बढ़ोतरी की गई है। पिछले साल यह ठेके 396 करोड़ रुपये में नीलाम हुए थे, जबकि इस बार सरकार ने 475 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। ठेकेदारों का मानना है कि बढ़ी हुई दरों और अन्य खर्चों के कारण अब यह धंधा पहले जैसा लाभदायक नहीं रह गया है।
इतना ही नहीं, पहले जो ठेकेदार आसानी से लाइसेंस रिन्यू करा लेते थे, उन्होंने भी इस बार आवेदन करने से दूरी बना ली है। धार, झाबुआ और अलीराजपुर सहित कई जिलों में पुराने ठेकेदारों ने इस व्यवसाय में रुचि नहीं दिखाई, जिससे आबकारी विभाग के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है।
ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया और नई चुनौतियां
सरकार ने 27 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं, लेकिन इसमें ठेकेदारों की सूची सार्वजनिक नहीं की जाती है। यदि आवेदन पर्याप्त संख्या में नहीं आते हैं, तो जिला स्तरीय समिति—जिसमें कलेक्टर, एसपी, सीईओ, आबकारी एसी और डीसी शामिल होंगे—फैसला लेगी कि दुकानों को किस तरह आवंटित किया जाए ताकि सरकार का राजस्व प्रभावित न हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि घाटे वाली दुकानों को लेकर ठेकेदार ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जबकि लाभदायक दुकानें नई नीति के कारण महंगी हो गई हैं। यही कारण है कि नई नीलामी प्रक्रिया को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।
शराब ठेकेदारों के लिए घाटे का सौदा बनी नई नीति
इस बार ठेकेदारों को लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी के साथ-साथ अन्य अतिरिक्त खर्चों का भी सामना करना पड़ रहा है। पहले शराब की एमएसआरपी और एमआरपी में अंतर था, जिससे ठेकेदारों को मुनाफा होता था, लेकिन अब नई नीति में यह अंतर समाप्त हो गया है। इससे ठेकेदारों की कमाई प्रभावित हुई है और वे इस व्यवसाय में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
सिंडिकेट भी पीछे हटा, टेंडर प्रक्रिया की उम्मीद
पिछले कुछ वर्षों से जिले में एक विशेष सिंडिकेट शराब व्यापार पर हावी था, लेकिन इस बार उसने भी पीछे हटने का फैसला किया है। हालांकि, यह संभव है कि ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के दौरान ठेकेदार सिंडिकेट बनाकर फिर से बाजार में उतरें।
इस बार जिले की 88 दुकानों को एक ही समूह में रखा गया है। पहले जहां एक-एक दुकान के लिए कई ठेकेदार आवेदन करते थे, वहीं अब स्थिति बदल गई है। आबकारी विभाग को उम्मीद है कि टेंडर प्रक्रिया में नए ठेकेदार सामने आएंगे और सरकार को निर्धारित राजस्व प्राप्त होगा।
क्या होगी आगे की प्रक्रिया?
आज टेंडर आवेदन की अंतिम तिथि है। अगर तय समय तक आवेदन पर्याप्त संख्या में नहीं आते हैं, तो विभाग मूल्यांकन समिति की सिफारिश के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा। यह संभव है कि ठेकेदारों की रुचि बढ़ाने के लिए सरकार कुछ नीतिगत बदलाव करे या नीलामी की शर्तों में ढील दे।
फिलहाल, सभी की नजरें 27 फरवरी की प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं। अगर टेंडर प्रक्रिया में ठेकेदारों की भागीदारी कम रहती है, तो जिले में शराब ठेकों के भविष्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है।