धार जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पहली बार एक साथ दो जिला अध्यक्ष नियुक्त किए हैं। बुधवार सुबह भोपाल स्थित भाजपा मुख्यालय से धार शहरी जिला अध्यक्ष पद पर निलेश भारती और धार ग्रामीण जिला अध्यक्ष पद पर चंचल पाटीदार की घोषणा की गई। हालांकि, इस अप्रत्याशित फैसले ने न केवल जनता बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच भी संशय और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
दो भागों में बंटा धार जिले का राजनीतिक संगठन
धार जिले के संगठनात्मक ढांचे को दो भागों में विभाजित किया गया है:
1. धार शहरी: इसमें धार, बदनावर और सरदारपुर विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ा गया है।
2. धार ग्रामीण: इसमें धरमपुरी, मनावर, गंधवानी और कुक्षी विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
यह फैसला जिले के बड़े भौगोलिक क्षेत्र और बढ़ते संगठनात्मक कार्यों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अब एक अध्यक्ष शहरी क्षेत्र की तीन विधानसभाओं को संभालेंगे, जबकि दूसरे अध्यक्ष ग्रामीण क्षेत्र की चार विधानसभाओं की जिम्मेदारी संभालेंगे। लेकिन इस विभाजन ने जिले के कार्यकर्ताओं और जनता के बीच यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर दो अध्यक्षों की जरूरत क्यों पड़ी।
जनता और कार्यकर्ताओं में कंफ्यूजन
फैसले के बाद जिले में चर्चा का माहौल गर्म है।
जनता के मन में यह सवाल उठ रहा है कि धार जैसे जिले में दो अध्यक्ष क्यों नियुक्त किए गए हैं।
भाजपा के कई कार्यकर्ता इस फैसले को लेकर असमंजस में हैं। उनका मानना है कि यह फैसला संगठन में समन्वय की बजाय विभाजन का कारण बन सकता है।
कुछ कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि अब यह देखना होगा कि दोनों अध्यक्षों के बीच तालमेल कैसा रहेगा और क्या यह मॉडल पार्टी को मजबूत करने में सफल होगा।
निलेश भारती और चंचल पाटीदार की नियुक्ति का तर्क
निलेश भारती और चंचल पाटीदार दोनों ही भाजपा के अनुभवी और प्रभावशाली चेहरे हैं।
निलेश भारती:
संघ और भाजपा के संगठनात्मक कार्यों में लंबे समय से सक्रिय, 2008 में युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला, और सेवा भारती के तहत झाबुआ-अलीराजपुर में कार्य किया।
चंचल पाटीदार:
ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने के लिए पहचाने जाने वाले नेता। उनकी नियुक्ति से पार्टी को आदिवासी क्षेत्रों में लाभ मिलने की उम्मीद है।
भविष्य की चुनौतियां और उम्मीदें
भाजपा का यह फैसला जिले के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है। हालांकि, अब यह देखना होगा कि दोनों अध्यक्ष संगठनात्मक तालमेल कैसे स्थापित करते हैं। जनता और कार्यकर्ताओं के मन में उठ रहे सवालों का समाधान करना पार्टी के लिए प्राथमिकता बन सकता है।
धार जिले में यह नया प्रयोग कितना सफल होगा, यह समय के साथ ही स्पष्ट हो पाएगा। फिलहाल यह निर्णय चर्चा और बहस का केंद्र बना हुआ है।