अधिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। सरकार द्वारा मंडियों को आधुनिक और डिजिटल बनाने के प्रयास तेज हो चुके हैं। राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने मंडियों का डिजिटलीकरण करते हुए आधुनिक ई-मंडी प्रणाली लागू की है। धार और बदनावर जैसे ए-ग्रेड मंडियों में यह व्यवस्था छह महीने पहले शुरू हो गई थी। 1 जनवरी 2024 से इन मंडियों में पूरी तरह ऑफलाइन प्रक्रियाएं बंद कर दी गई हैं। इसके अलावा जिले की पांच उप मंडियों में भी ई-मंडी व्यवस्था लागू की गई है।
डिजिटल प्रक्रिया से किसानों को मिलेगी राहत
अब किसानों को उपज बेचने के लिए कतारों में खड़े होने की जरूरत नहीं होगी। मंडी में गेट पर एंट्री से लेकर नीलामी, बिक्री और भुगतान तक सभी प्रक्रियाएं डिजिटल माध्यम से होंगी। मंडी सचिव एसएन पटेल ने बताया कि जिले की बी-ग्रेड मंडियों जैसे मनावर, धामनोद, कुक्षी और राजगढ़ में भी यह प्रणाली सुचारु रूप से लागू हो चुकी है। इससे समय की बचत होगी और किसानों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
10 करोड़ का प्रतिदिन कारोबार
धार की मुख्य अनाज मंडी में प्रतिदिन सैकड़ों किसान अपनी उपज बेचने आते हैं। विशेष रूप से सोयाबीन और गेहूं के सीजन में मंडी का कारोबार 10 करोड़ रुपये प्रतिदिन तक पहुंच जाता है। सीजन के दौरान यहां 400 से 500 ट्रैक्टरों की आवक होती है। ई-मंडी व्यवस्था लागू होने से किसानों का समय बचेगा और प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी हो जाएंगी।
ऐप से मिलेगी हर जानकारी
मंडी पोर्टल और ऐप के माध्यम से अब किसान घर बैठे ही अपनी उपज की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। किस उपज के क्या भाव हैं, बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन, नीलामी और भुगतान की सभी जानकारियां ऐप पर उपलब्ध होंगी। इससे किसानों को बार-बार मंडी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
सोयाबीन उत्पादन में गिरावट
पिछले दो सालों में सोयाबीन के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2022-23 में मंडी में 7,45,307 क्विंटल सोयाबीन की आवक हुई थी, जबकि 2023-24 में यह घटकर 6,69,276 क्विंटल रह गई है। उत्पादन में यह कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
जिले में मंडियों की स्थिति
ए-ग्रेड मंडियां: धार और बदनावर
बी-ग्रेड मंडियां: धामनोद, मनावर, कुक्षी, राजगढ़
डी-ग्रेड मंडियां: गंधवानी
उप मंडियां: केसूर, बगड़ी, नागदा, धरमपुरी, सिंघाना, बाकानेर
ई-मंडी प्रणाली के लाभ
मंडी सचिव एसएन पटेल ने बताया कि ई-मंडी प्रणाली किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए फायदेमंद है। यह व्यवस्था उपज की बिक्री प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समय बचाने वाली बना रही है। किसान अब अपनी उपज के भाव और बिक्री की जानकारी ऐप के जरिए प्राप्त कर सकते हैं। तुलवाई और भुगतान भी डिजिटल माध्यम से हो रहा है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना खत्म हो गई है।