धार। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता तब तक कोई कार्रवाई नहीं होती है। इसी तरह जिले का आलम भी यही है कि उज्जैन की घटना के बाद भी शहर में कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है और आज भी लायलोन का मांझा बाजार में बिक रहा है।
जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद भी पतंग व्यापारी घातक चायनीज मांझे को बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं और यही कारण है कि शहर में चायनीज मांझे की जमकर खरीद-फरोख्त का काम चल रहा है।
बेरोकटोक होकर बेची जा रही है –
मौत की डोर के नाम से प्रसिद्ध चायनीज मांझे से शहर में लगातार हादसे भी हो रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी न तो व्यापारी और ना ही आमजन चायनीज डोर का इस्तेमाल बंद कर रहे हैं।
चायनीज डोर की वजह से दो दिनों में करीबन एक दर्जन से अधिक लोग घायल होकर इलाज कराने हॉस्पिटल पहुंच चुके हैं। बता दें कि चायना डोर के क्रय-विक्रय पर प्रशासन द्वारा पूर्णत: प्रतिबंध लगा हुआ है।
लेकिन, इसके बाद भी मौत की इस डोर का जिला मुख्यालय पर व जिले भर में बेखौफ होकर जमकर उपयोग किया जा रहा है। प्रशासन द्वारा चायना डोर पर प्रतिबंध लगाने के बाद इसका सख्ती से पालन नहीं कराए जाने से बीते शुक्रवार से अब तक एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
रविवार को शहर के घोड़ा चौपाटी से गुजर रहे एक राहगीर के गले में चाइनीज मांझे वाला धागा फंस गया था। गनीमत रही कि युवक ने जैकेट पहन रखा था जिससे बड़ा हादसा नहीं हुआ।
साथ ही साथ पक्षियों के घायल होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस चाइनीज मांझे की वजह से कई पक्षियों के पंख भी कट चुके हैं जो आपको पेड़ों पर दिखाई देंगे।
उज्जैन की घटना के बाद भी चायनीज मांझे पर प्रतिबंध लगाने के बाद प्रशासन ने व्यापारियों के खिलाफ कोई सख्ती नहीं दिखाई है।
देशगांव की खबर के बाद जागा प्रशासन –
आपको बता दें जब शहर में धड़ल्ले से लायलोन धागा बिक रहा था, उसको लेकर देशगांव द्वारा खबर लगाने के बाद प्रशासन द्वारा 13 तारीख को आदेश जारी हुआ जो कि मकर संक्रांति के एक दिन पहले हुआ था। हालांकि, तब तक शहर भर की दुकानों से मौत का धागा लोगों के घरों में जा चुका था।
हर बार जारी होता है आदेश –
जिले में हर वर्ष प्रशासन की ओर से चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध के संबंध में आदेश जारी होते हैं, लेकिन वह सिर्फ फाइलों में ही दफन होकर रह जाते हैं।
हादसों को रोकने के लिए जिमेदारों को सीधे पतंगबाजी का सामान बेचने वालों की दुकानों पर जाकर कार्रवाई कर चाइनीज मांझा जब्त करना होगा, जिससे कि कार्रवाई के डर से अन्य लोग इसे न बेचें।
कार्रवाई या जांच के नहीं होने से इसका व्यवसाय करने वाले बेधड़क और बेखौफ होकर चाइनीज मांझे का उपयोग करते हैं। वैसे कारोबार से जुड़े लोग कहते हैं कि जहां से यह लायलोन धागा आता है वहीं कार्रवाई करनी होगी तब ही बाजार में बिक्री बंद होगी।
रक्षाबंधन से शहरभर में संक्रांति के साथ पतंगबाजी का जोर शुरू हो जाता है। यहां इस दौरान भी जमकर पतंगबाजी होती है जिसके चलते पतंग, चकरी ओर मांझे की जमकर बिक्री होती है।
इस दौरान भी दुकानों पर कोई भी इसकी जांच नहीं करता है कि कौन सा व्यवसायी चाइनीज मांझा बेच रहा है और कौन नहीं। प्रशासन की ओर से आदेश हमेशा जारी होता है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है जबकि शहर में भी पतंगबाजी के दौर में पूर्व में भी बड़े हादसे हुए हैं।
प्रशासन समय रहते दे ध्यान –
शासन ने एक ओर तो चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसके बाद भी बाजार में इसका कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है, जिसके चलते लोग इसका उपयोग करते है। पहले तो मांझे की चपेट में आने से सिर्फ पक्षी घायल होते थे लेकिन आज के दौर में मनुष्य भी इसकी चपेट में आकर जख्मी हो रहे हैं। प्रशासन को समय रहते इस ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कि इस तरह के हादसों को रोका जा सके। वहीं सरकार को कंपनियों पर कार्रवाई कर इसे बंद करना चाहिए। बाजार में माल आयेगा नहीं ओर बिक्री भी नहीं होगी। – गणेश खेर, समाजसेवी, धार