– आम आदमी परेशान, बार-बार के लॉकडाउन से जिले में बढ़ गई है कालाबाज़ारी।
धार। जिले में बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे जिले में चार दिवसीय कोरोना कर्फ्यू लगया जा रहा है जिसके कारण बाजार में भीड़ बढ़ गई व दुकानदार मांग बढ़ने पर ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं। इस पर किसी भी जिम्मेदार का ध्यान नहीं गया है।
बाजार में बढ़ती कालाबाजारी को देखकर तो ऐसा लगता है कि कोरोना से तो लोग बाद में बचेंगे, पहले लोगों को महंगाई ही मार डालेगी। आम जनता मजबूर है क्योंकि जरूरत का सामान खरीदना ही है। कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए जब-जब लॉकडाउन लगाया गया, महंगाई बढ़ती गई।
गरीबों को इसकी मार झेलनी पड़ी है। इस बार भी लॉकडाउन को लेकर महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। हर जरूरी सामग्री की कीमत में आग लग गई है। जरूरत के कई सामान दोगुने दामों पर बेचे जा रहे हैं और वहीं जिला प्रशासन व जिम्मेदार इस ओर ध्यान भी नहीं दे रहे हैं।
आमतौर पर सब्जी के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला आलू लॉकडाउन के पहले से ही बाजार में दोगुने दामों पर मिल रहा है। सब्जियों के दाम तो जैसे आसमान छू रहे हैं। जो आलू-प्याज बाजार में 20 रुपये था आज 50 से 60 रुपये प्रति किलो और वहीं अन्य सब्जियों की कीमतों में लंबे समय से आग लगी हुई है।
अब बात करें किराना सामग्री की तो तुअर दाल और तेल दोनों सेंचुरी पार कर चुके हैं। महंगाई की मार ने आम आदमी के घर का बजट पूरी तरह से खराब कर दिया है।
लोगों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन को उपाय मानने वाले जिम्मेदारों का ध्यान कभी महंगाई की ओर नहीं जा रहा है। यदि इस ओर ध्यान जाता तो जमाखोरी व कालाबाजारी करने वालों पर अवश्य नकेल कसता और कीमतें कभी बेकाबू नहीं होती।
बहरहाल लॉकडाउन के दौरान जमाखोरी तथा अधिक कीमत लेने वाले दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने पर ही जिलेवासियों को राहत मिल सकती है क्योंकि लॉकडाउन के बाद महंगाई की मार झेल रहा आम आदमी कोरोना से बचेगा तो महंगाई उसे मार डालेगी और महंगाई से बचेगा तो कोरोना खतरा बना हुआ है।
मेडिकल पर दवाईयां महंगी –
बता दें कि सर्दी-खांसी के मरीज इन दिनों ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। डॉक्टर को दिखाने के बाद मरीज मेडिकल पर दवाई लेने जाते हैं तो उन्हें पहले एमआरपी रेट से भी ज्यादा पैसे लिए जा रही है। वहीं कोरोना के मरीजो को इंजेक्शन में भी हॉस्पिटल व शासकीय हॉस्पिटल में भी इसकी कालाबाजारी जोरों पर चल रही है।
जिम्मेदार इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं। शासकीय हॉस्पिटल में दलालों की बाढ़ सी आ गई है। दलालों के माध्यम से इंजेक्शन मरीजों से संपर्क कर दिए जा रहे हैं। पाइवेट हॉस्पिटल भी सामान्य सर्दी-बुखार के मरीजो से मुंहमांगी फीस वसूल रहे हैं।
अबैध शराब का खेल लॉकडाउन के पहले ही शुरू –
बता दें कि लॉकडाउन लगा नहीं है और उसके पहले ही अवैध शराब की बिक्री शहर व जिले में चालू हो गई है। अवैध शराब के कारोबारी इसमें अभी से ही अपने पैर जमा लिए हैं और लोगों के घर-घर डिलीवरी देना शुरू कर दिया है।
नाम ना छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया है कि अभी शराब ले लो नहीं तो महंगी हो जाएगी और यह भी नहीं मिलेगी। जिसके कारण अभी से ब्लैकियरों के माध्यम से दी जा रही है।
लॉकडाउन मतलब कालाबाजारी –
आम आदमी का लॉकडाउन को लेकर कहना है कि लॉकडाउन का मतलब कालाबाजारी है। बाजार में लॉकडाउन के नाम पर दुकानदार मनमाने दाम वसूल रहे हैं। आम आदमी को लूटा जा रहा है।
वहीं इस ओर अधिकारी व जिम्मेदारी ध्यान दें तो आम आदमी को दाम से ज्यादा पैसा नहीं देना पड़ेगा। कोरोना महामारी में हर कोई पैसे कमाने की सोच रहा है व हर आम व्यक्ति इसका शिकार हो रहा है।
कार्रवाई करेंगे –
बाजार में दुकानदारों व अन्य व्यापारियों द्वारा मूल्य से अधिक पैसे लिए जा रहे हैं तो हम करवाई करेंगे। अगर ग्राहक इसकी शिकायत हमें करते हैं तो हम उन पर कार्रवाई करेंगे।
– दिव्या पटेल, एसडीएम धार