धार। मौसम बदलते ही रबी की फसल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रात का पारा लगातार गिर रहा है। वहीं आने वाले दिनों में 5 डिग्री से नीचे जाता है तो फसलों को नुकसान होगा।
आसमान से काले बादलों का पहरा हटते ही रातें एक बार फिर सर्द हो चली हैं और दिन के समय भी सर्द हवाओं का जोर बना रहने से लोगों को ठिठुरना पड़ रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि इस सप्ताह में सर्दी ज्यादा होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण बीते कुछ दिनों से आसमान पर काले बादलों का पहरा बना हुआ था और मावठे की बारिश भी हो रही थी, लेकिन बाद आसमान से काले बादलों के छंटते ही सर्द हवाओं ने ठिठुरन का अहसास करा दिया।
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, मौसम साफ होने और ठंडी हवाओं के चलने की वजह से अधिकतम तापमान 20.4 डिग्री दर्ज किया गया और न्यूनतम तापमान 6.5 डिग्री रहा। मौसम विभाग के अनुसार तीन से चार दिनों में शीतलहर का कहर कम होता जाएगा।
गौरतलब है कि सर्द हवाओं की तेज सरसराहट की वजह से तापमान में दोबारा से गिरावट शुरू हो गई है। यही कारण रहा कि गुरुवार को न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री पर जा पहुंचा। इसी तरह अधिकतम तापमान भी 20.4 डिग्री दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के ओमप्रकाश हारोड के अनुसार रात के तापमान में फिलहाल गिरावट बनी रहेगी और मकर संक्रांति तक न्यूनतम तापमान 6.5 डिग्री के इर्द-गिर्द पहुंचकर लोगों को तेज ठंड का अहसास कराएगी। हालांकि इसके बाद तापमान में फिर बढ़ोत्तरी की संभावना है।
बीमारियों से मिलेगा छुटकारा –
किसानों ने बताया कि यदि बारिश नहीं होती और तापमान अभी से बढ़ने लगता है तो चना में हवाओं के कारण खतरा बढ़ जाता है। वहीं ठंड अपना असर दिखा सकती थी। बारिश होने से कई बीमारियों की संभावना खत्म हो गई।
अब पिछली फसलों के लिए फायदा है तो वही अगली फसलों में हवाओं के चलने से नुकसान है। बारिश से चना और गेहूं की फसलों की पैदावार में भी बढ़ोत्तरी होगी।
पाले से फसल पर असर –
- पाले के प्रभाव से फल मर जाते हैं और फूल झड़ने लगते हैं। प्रभावित फसल का हरा रंग समाप्त हो जाता है।
- पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा दिखता है। ऐसे में पौधों के पत्ते सड़ने से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है।
- पत्ती, फूल एवं फल सूख जाते हैं। फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं और स्वाद भी खराब हो जाता है।
- पाले से फल और सब्जियों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। सब्जियों पर पाले का प्रभाव अधिक होता है। कभी-कभी शत प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है।
- शीत ऋतु वाले पौधे 2 डिग्री तक का तापमान सहने में सक्षम होते है। इससे कम तापमान होने पर पौधे की बाहर व अन्दर की कोशिकाओं में बर्फ जम जाती है।
पाले से फसल को बचाने के उपाय –
- जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो, उस रात 12 से 2 बजे के आस-पास खेत को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए कूड़ा-कचरा, घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए।
- पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है और भूमि का तापमान कम नहीं होता है।
- सर्दी में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है। जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। एक लीटर गंधक के तेजाब को एक हजार लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रेयर से छिड़काव करना चाहिए।
- इसका असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर-पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब के छिड़काव को 15-15 दिन के अंतराल पर दोहराते रहें।
- गेहूं, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है।
सिंचाई की बचत –
15 दिनों के अंतराल में हुई यह बारिश गेहूं और चने की फसल के लिए अमृत है। बारिश होने से सिंचाई व पानी की बचत हो रही है। अभी हुई बारिश से गेहूं व अन्य फसलों को अभी कुछ दिन पानी की आवश्यकता नहीं है। – सुरेश राठौड़, किसान, तलाई
फसलों को फायदा –
बरसात क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुई है। इससे फसलों को बहुत फायदा होगा। चूंकि कई क्षेत्र में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है। यहां के अधिकांश किसान प्रकृति पर ही निर्भर हैं। इनके लिए यह बारिश लाभकारी हो रही है। यह मौसम ठंडा होने से भी हम किसानों को फायदा है। – गजराज सिंह पटेल, किसान, अनारद
अभी से किसान फसलों की सुरक्षा करें –
अभी मौसम फसलों के लिए अच्छा है। अगर मौसम 5 डिग्री से कम हुआ तो फसलों में पाले की संभावना बनती है जिससे फसलों को नुकसान होता है। अभी से किसान फसलों की सुरक्षा करें। – डॉ. जीएस गठिये, कृषि वैज्ञानिक, धार