कोरोना ने बस मालिकों की कमर तोड़ी, सबकुछ बंद लेकिन दौड़ रहा टैक्स और ब्याज का घोड़ा


बसें बंद होने के बावजूद अब तक सरकार ने इनके टैक्स माफी की घोषणा नहीं की और ना ही इन्हें बैंक से लिए कर्ज पर कोई रियायत मिलने की संभावना है। अब मप्र बस ऑपरेटर एसोसिएशन सरकार से मदद की मांग करने के लिए चिट्ठी लिखने की तैयारी में है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :
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धार। यात्रियों की सुविधा और स्वयं के परिवहन व्यापार के लिए लाखों-करोड़ों का लोन लेकर बच चलाने वाले संचालक इन दिनों संकट में हैं। कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार ने जनता की सुविधा के नाम पर ना केवल शहर-गांव बंद कर दिए बल्कि परिवहन तक बंद कर दिया गया।

सरकार का यह फैसला महामारी से निपटने में रामबाण जरूर साबित हो रहा है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट में बस संचालक भी आ रहे हैं। धार से प्रतिदिन विभिन्न मार्गों पर 400 से ज्यादा बसें दौड़ती हैं, लेकिन पिछले दो माह से सब कुछ बंद है और बस संचालकों का कारोबार ठप्प पड़ा है।

बसें बंद होने के बावजूद अब तक सरकार ने इनके टैक्स माफी की घोषणा नहीं की और ना ही इन्हें बैंक से लिए कर्ज पर कोई रियायत मिलने की संभावना है। अब मप्र बस ऑपरेटर एसोसिएशन सरकार से मदद की मांग करने के लिए चिट्ठी लिखने की तैयारी में है।

सूना पड़ा बस स्टैंड, बच्चे खेल रहे थे क्रिकेट व टेनिस, धूल खा रही बसें –

प्रतिबंधित होने से शहर का बस स्टैंड सूना पड़ा है। इधर बसों का संचालन बंद होने से उन पर धूल जम रही है, जिससे आने वाले दिनों में उनकी ओवलऑइलिंग करवाने पर फिर खर्च करना होगा।

बसें बंद होने से यात्रियों को भी परेशानी उठाना पड़ रही है, जो अस्पतालों के चक्कर लगाने या किसी जरूरी काम के लिए भी भाड़े पर गाड़ियां लेने को मजबूर हैं। बस स्टैंड व डिपो की खाली जगह में बच्चे क्रिकेट और टेनिस जैसे खेल खेल रहे हैं।

बस स्टैंड पर जाने के लिए एक परिवार के तीन लोग बैठे मिले। उन्होंने बताया कि इंदौर जाना है। उन्होंने सोचा था कि इंदौर तक बस मिल जाएगी, लेकिन मिली नहीं। अब हम प्राइवेट टैक्सी करके ही जाना पड़ेगा।

समायोजन में भी धांधली –

पिछले वर्ष लॉकडाउन के समय बंद रही बसों से संचालकों को राहत देने के लिए परिवहन विभाग ने टैक्स माफ किया था, लेकिन 22 मार्च 2020 से 31 मार्च 2020 तक जमा करवाए गए टैक्स का समायोजन अब तक नहीं हो सका है। कुछ बस संचालकों ने बताया कि जमा किए हुए टैक्स के समायोजन में भी लेनदेन कर धांधली की जा रही है।

जिले की 400 बसों का संचालन –

दो महीने से अधिक हो गए बसों को बंद हुए वही सरकार टैक्स माफ करना चाहिए। बस ऑपरेटरों ने बसों के पहिये थाम रखे हैं, वहीं बस मालिक जल्द ही बैठक रखकर सरकार टैक्स माफ के लिए दबाब बनाएगी। नहीं करेगी तो बस मालिक बसों को चालू नहीं करेंगे।

वहीं बस स्टैंडों पर बड़ी संख्या में यात्री रोज परेशान होते मिलते हैं। ये लोग छोटी-मोटी यात्रा के लिए भी परेशान होते हैं। इधर बसें बंद होने से एजेंटों के सामने परिवार का पेट पालने का संकट खड़ा हो गया है।

कई एजेंट सब्जी बेचकर परिवार पाल रहे हैं तो कंडेक्टर, हेल्पर और क्लीनर दूसरे काम के साथ मजदूरी करने को मजबूर हैं। बस स्टैंड का मुआयना किया तो यहां एजेंट से लेकर यात्री तक सभी परेशान मिले।

किलोमीटर रुट के हिसाब से टैक्स –

टैक्स रुट के हिसाब से बसों का टैक्स तय होता है। 100 किलोमीटर तक की दूरी के परमिट वाली बसों में 200 रुपये प्रति सीट प्रति माह के हिसाब से यात्री टैक्स लगता है। यानी 50 सीटर बस का 10 हजार रुपये और 28 सीटर बसों का 5600 रुपये प्रति माह के हिसाब से टैक्स जमा करना होता है।

100 किलोमीटर से अधिक दूरी की बस पर प्रति सीट ज्यादा टैक्स लगता है। 200 छोटी-बड़ी बसें चलती हैं। हर महीने लगभग 17 से 20 लाख रुपये का टैक्स इन बस मालिकों को जमा करना होता है।

मार्च के अंतिम सप्ताह, अप्रैल, मई और जून में बसें नहीं चली हैं। इस टाइम पीरियड का लगभग लाख रुपये का टैक्स बनता है। बस मालिकों का कहना है कि जब बसें चली नहीं तो तीन महीने का टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए, सरकार को टैक्स माफ करना चाहिए।

टैक्स को लेकर बैठक –

टैक्स को लेकर हम बैठक रख रहे हैं। हमने पिछले बार भी बसें नहीं चलाईं थी। इस बार भी बसें बंद हैं। बस मालिकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है, वहीं कोरोना के कारण पहले ही बसों के मालिक, कंडक्टर और क्लीनर सब परेशान हैं।

– नरेंद्र सिंह बुंदेला, प्राइवेट बस एसोसिएशन अध्यक्ष, धार

बस संचालन हमारा कारोबार तो है ही लेकिन इसे जनता सहयोग की नजर से भी देखा जाना चाहिए। यदि बसें बंद हो जाएंगी तो परिवहन ठप्प हो जाएगा। हम लाखों का कर्ज लेकर बसें चला रहे हैं। कोरोना के कारण पिछले एक वर्ष से यातायात लगभग ठप्प ही रहा है। सरकार को ना केवल टैक्स माफी के बारे में बल्कि इसके साथ बैंक कर्ज में भी राहत की घोषणा करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो घाटे के कारण मप्र सरकार के परिवहन निगम की तरह निजी बसों का संचालन भी बंद हो जाएगा।

– शिव पटेल, अनुबंधित बस एसोसिएशन अध्यक्ष

अभी इसको लेकर कोई आदेश नहीं है –

अभी तो ऐसा कोई आदेश नहीं है। पिछली बार भी बसें बंद थी। टैक्स को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है जो भी आदेश होगा तो आदेश जारी कर दिए जाएंगे।

– मुकेश जैन, परिवहन आयुक्त, मध्यप्रदेश शासन



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