धार। आवारा श्वानों के कारण शहर और आसपास के लोग परेशान हैं। ये आवारा श्वान राह चलते लोगों को काट रहे हैं। इनका आतंक इस कदर है कि कई क्षेत्रों में लोगों ने उन गलियों से निकलना ही बंद कर दिया है लेकिन बड़े तो इन आवारा श्वानों से बच जाते हैं लेकिन बच्चे इन श्वानों से अक्सर नहीं बच पाते। मंगलवार को भी कई स्थानों पर इन श्वानों ने लोगों को अपना निशाना बनाया। इसके चलते अस्पताल में कई मरीज़ पहुंचे। इनमें से सबसे ज्यादा सबसे ज्यादा अर्जुन कॉलोनी और इंदिरा कॉलोनी के लोग शामिल हैं।
मंगलवार दोपहर को आवारा श्वानों के काटने के कारण 22 लोग अस्पताल पहुंचे। इनमें से ज्यादातर को प्राथमिक उपचार देकर छोड़ दिया गया लेकिन दो छोटी बहिनों पर श्वानों का हमला गंभीर रहा। इन्हें बच्चों के वार्ड में भर्ती कराया गया है। इन्हें हाथ और पैर में श्वानों ने काटा है और इसके चलते इन्हें पांच टांके आए हैं। जानकारी के मुताबिक अर्जुन कॉलोनी में घर के आंगन में पांच साल की निकिता पिता राकेश और दिव्या, तीन साल की वंशिका खेल रहे थे तभी अचानक एक आवारा श्वान ने हमला कर दिया। सबसे पहले श्वान ने निकिता को पैर में काटा, इसके तुरंत बाद ही दिव्या के हाथ की और लपका व काट लिया। इधर बच्चों की आवाज सुनकर घर में मौजूद दादा मोतीलाल दौडकर बाहर आए व वंशिका को श्वान के हमले से बचाने की कोशिश की लेकिन श्वान ने उन पर भी हमला कर दिया। इसके बाद उन्होंने आंगन में रखी लकड़ी से श्वान पर को मारा। आवारा श्वानों के काटने के कारण अस्पताल में अर्जुन कॉलोनी से कुल 12 लोग पहुंचे थे।
अस्पताल में धार, तिरला, आहू, दिलवारा मांडू सहित अन्य जगह के कुल 22 लोग पहुंचे थे। इसी तरह कंबल का व्यवासाई करने वाली चित्तौड़ निवासी अनीता अपने स्वजनों के साथ मुख्य बाजार में सामान खरीदने गई थी। इसी दौरान श्वान ने उन पर हमला कर दिया।
आवारा श्वानों की समस्या पर स्थानीय निकाय ने शायद ही कभी गंभीरता से ध्यान दिया है। इससे पहले भी क्षेत्र में कई लोगों पर श्वान हमला करते रहे हैं और इनमें से ज्यादातर बच्चे ही शिकार हुए हैं। इसे लेकर नपा के सभी प्रयास अब तक बेहद दिखावटी ही रहे हैं। नपा ने कुछ समय के लिए मुहिम तो चलाई लेकिन फिर इसे बंद कर दिया गया। नपा के पास श्वानों को हटाने के लिए खास उपाय नहीं हैं ऐसे में आवारा श्वानों को अक्सर लोग मार देते हैं जिसे किसी भी लिहाज़ से सही नहीं कहा जा सकता है। नपा को इन श्वानों पर काबू करने के लिए नसबंदी अभियान चलाना चाहिए लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया है।