बारिश से पहले नहीं जागे तो फट सकता है चुनार बांध: कारम जैसी त्रासदी की दस्तक?


धार जिले के सरदारपुर तहसील में स्थित चुनार बांध खतरे की स्थिति में है। मरम्मत में देरी हो रही है और बारिश से पहले सुधार न हुआ तो बड़ा हादसा हो सकता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

कारम बांध हादसे को अभी दो साल भी नहीं बीते और अब सरदारपुर तहसील का चुनार बांध उसी दिशा में बढ़ता दिख रहा है। तकनीकी खामियों, लापरवाही और धीमी सरकारी प्रक्रिया के चलते इस बांध की स्थिति चिंताजनक हो गई है। 2018 में 25.58 करोड़ की लागत से बना यह बांध आज मामूली मरम्मत के लिए भी तरस रहा है। यदि समय रहते इसका सुधार कार्य नहीं हुआ, तो यह बांध भी बारिश के दबाव में टूट सकता है और आदिवासी बहुल इलाके के दर्जनों गांवों को भारी नुकसान हो सकता है।

कई बार धस चुकी है मिट्टी

18 मार्च 2023 को कुछ अज्ञात लोगों ने स्लूज गेट में पत्थर डाल दिए, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गया। तभी से इसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। 8 सितंबर 2023 को अतिवृष्टि के कारण बांध की पाल पर बड़ा गड्ढा हो गया। इसके बाद 16 और 17 सितंबर को भी डाउनस्ट्रीम से भारी मात्रा में सीपेज हुआ। मिट्टी के कटाव को तत्काल रोकने के प्रयास किए गए, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान आज तक नहीं हुआ।

इतना ही नहीं, 22 नवंबर 2023 और 3 सितंबर 2024 को भी स्लूज वेल के सामने मिट्टी धंसने की घटनाएं हुईं। हर बार अस्थायी तौर पर गड्ढों को मिट्टी डालकर भर दिया गया, लेकिन मरम्मत का स्थायी कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सका है।

 

प्राक्कलन लौटा, फाइलों में उलझ गया सुधार कार्य

चुनार बांध की विशेष मरम्मत के लिए 99.53 लाख रुपये का प्राक्कलन फरवरी 2024 में भोपाल भेजा गया था। लेकिन इसे तकनीकी त्रुटियों के चलते लौटा दिया गया। प्रमुख अभियंता ने स्पष्ट लिखा कि पिंचिंग कार्य का विवरण अधूरा है, विगत वर्षों के व्यय की जानकारी नहीं है, और तकनीकी गणनाएं अपूर्ण हैं। इसके चलते फाइल अब तक पुनः भोपाल नहीं पहुंच सकी है।

 

क्या दोहराएगा इतिहास खुद को?

कारम बांध में भी ऐसी ही छोटी तकनीकी चूक ने भारी तबाही मचाई थी। फसलें बर्बाद हुईं, लोग विस्थापित हुए। चुनार बांध की स्थिति उससे अलग नहीं दिख रही। बांध का स्लूज गेट तकनीकी रूप से कमजोर है, और बारिश से पहले मरम्मत न होने की स्थिति में यह बांध भी बड़ी आपदा का कारण बन सकता है।

 

विधायक और अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं

विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा, “शासन-प्रशासन को कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर बारिश से पहले मरम्मत नहीं हुई तो ग्रामीणों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।”

वहीं जल संसाधन विभाग के एसडीओ एम.ए. सिद्दीकी का कहना है कि “प्राक्कलन को संशोधित किया जा रहा है। जल्द ही प्रशासकीय स्वीकृति मिलने की संभावना है।



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