धार। मकर संक्राति तिल-गुड़ की मिठास के साथ-साथ पतंगबाजी के उत्साह से भरा पर्व होता है, लेकिन पतंगबाजी के पेंच लड़ाकर, हर पल रोमांच और अनगिनत खुशियों से भर देने वाला यही पर्व एक ही पल में आपसे सारी खुशियां छीन भी सकता है। जी हां, पतंग उड़ाने के लिए आप जिस मांझे का इस्तेमाल करते हैं, वह बेहद खतरनाक भी हो सकता है।
मकर संक्राति जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है बच्चों में पतंगबाजी को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर अनदेखी की वजह से चीन से आया धागा (मांझा) खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है जबकि इसकी बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
बाजार में लायलोन की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। लायलोन धागे का असर बच्चों के हाथों की उंगलियों पर आना शुरू हो गया है। गौरतलब है कि धागे पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन दुकानदार इसके बावजूद भी लायलोन का धागा बेच रहे हैं।
खुलेआम हो रही बिक्री –
शहर में पट्ठा चौपाटी व आनंद चोपाटी व शहर संकरी गलियों में पतंग व धागों की बिक्री हो रही है। यहां इस बार भी दो महीनों से लायलोन की बिक्री शुरू हो चुकी है। इधर हटवाड़ा क्षेत्र में भी लायलोन का धागा बेचा जा रहा है। इसके विपरीत सूती धागा बाजार में कहीं नजर नहीं आ रहा है। न तो दुकानदार सूती धागे को बेचने में रुचि ले रहे हैं और न ही पतंग का लुत्फ लेने वाले इसकी मांग कर रहे हैं।
पक्षियों को भी नुकसान –
लायलोन से सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों को है। इसकी वजह यह है कि पतंगबाजी के दौरान आकाश में अक्सर पक्षी लायलोन के धागे में उलझ जाते हैं। लायलोन बेहद मजबूत होने के कारण वह टूटता नहीं और पक्षी बुरी तरह घायल हो जाते हैं।
पेड़ों पर फंसा नायलोन भी पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होता है। इधर पतंगबाजी के दौरान विद्युत आपूर्ति लाइन भी फॉल्ट होती है जिससे हादसों का अंदेशा बना रहता है।
पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से बिक रही प्रतिबंधित चाइना डोर –
प्रतिबंध होने के बावजूद शहर में चाइना की डोर पुलिस व प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से बिक रही है। दुकानदार इसे चोरी-छिपे बेच रहे हैं। ग्राहक से मोल भाव तय कर पहले पैसा लिया जाता है, फिर दुकानदार उन्हें लाकर चाइना की डोर दे देता है।
कई क्वालिटी में मिल रही –
पतंग दुकानदारों के मुताबिक चाइना डोर में सबसे ज्यादा मांग फाइटर व मोनो काइट की है। वही कोरोना के कारण थोड़े भाव बढ़े हुए हैं। फाइटर 550 रुपये तो मोनो काइट का दाम 450 रुपये प्रति बंडल है।
इसके अलावा 300 से 350 रुपये में चाइना डोर मिल रही है। इसे खरीदने के बाद उसे उचके में लपेटना पड़ता है। एक बंडल में करीब 5 से 6 हजार मीटर डोर आती है। इससे कई उचके तैयार किए जा सकते हैं।
साल भर में चाइना की डोर से लाखों का व्यापार होता है। जहां एक ओर सरकार स्वदेशी अपनाने की बात करते हैं, वही दूसरी ओर देश मे चाइना के डोर का आना व बिकना बंद होने का नाम नहीं ले रहा है।
कार्रवाई करेंगे –
जिले व शहर में चाइना के धागे की बिक्री हो रही है तो इसे दिखाते हैं व इन पर कार्रवाई करेंगे।
डॉ. सलोनी सिडाना, एडीएम, धार